UP Lok Sabha Election 2024: तीसरे चरण में मुलायम परिवार के 3 सदस्यों की अग्नि परीक्षा, जानें मैनपुरी, फिरोजाबाद और बदायूं का राजनीतिक हाल
UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई यानी आज उत्तर प्रदेश की 10 संसदीय सीटों पर मतदान जारी है. इस चरण में सभी की निगाहें समाजवादी पार्टी के संरक्षक रहे दिवंगत मुलायम सिंह यादव के परिवार के सदस्यों पर हैं. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का लक्ष्य मैनपुरी लोकसभा सीट बरकरार रखना है, जो उन्होंने अपने ससुर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव में जीती थी. वहीं सपा के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव फिरोजाबाद सीट दोबारा हासिल करने की कोशिश करेंगे.
सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव, बदायूं लोकसभा सीट से चुनावी शुरुआत कर रहे हैं. साल 2014 में इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव ने किया था. यादव परिवार के सदस्यों के अलावा, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, राजस्व राज्य मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि के भाग्य पर मुहर लगाने के लिए मतदाता मतदान करेंगे.
मैनपुरी में डिंपल के सामने बड़ी चुनौती
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक मैनपुरी के रोड शो में बुलडोजरों के जरिये बीजेपी ने ये मैसेज दिया कि उत्तर प्रदेश में जिस तरह अपराधियों और माफियाओं का सफाया हुआ है. उसी तरह मैनपुरी में समाजवादी पार्टी के अभेद किले को भी ध्वस्त करके कमल खिलेगा. मैनपुरी में 7 मई को मतदान हैं. ये सीट मुलायम परिवार का मजबूत किला है और इसलिए उत्तर प्रदेश की हॉट सीट भी है. रोड शो में बुलडोजर और CM योगी का भाषण. दोनों से ये समझ में आ रहा था कि मैनपुरी में मुलायम परिवार के गढ़ पर कब्जा करने के लिए बीजेपी ने पूरा जोर लगाया हुआ है. हालांकि, इस बार जो समीकरण बना है उसे देखते हुए लग रहा है कि न ही डिंपल की राह आसान होने वाली है और न ही बीजेपी उम्मीदवार जयवीर सिंह की.
पिछले चुनाव के नतीजे
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी, लेकिन उनका अक्टूबर 2022 में निधन हो गया. इसके बाद यहां उपचुनाव करवाए गए और सपा ने डिंपल यादव को चुनावी अखाड़े में उतारा और उन्होंने अपने प्रतिद्वद्वी व बीजेपी के प्रत्याशी रघुराज प्रताप शाक्य को 2 लाख 88 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया. इस बार सपा की साख दांव पर लगी है.
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बदायूं लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण
यह सीट भी यादव परिवार की साख का इम्तिहान लेगी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले यहां चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया था. धर्मेन्द्र 2009 व 2014 में बदायूं से बतौर सपा प्रत्याशी सांसद चुने गए थे, लेकिन 2019 में चुनाव हार गए थे. अखिलेश ने इस बार फिर उन्हें यहां से टिकट थमाया, लेकिन बाद में उन्हें आजमगढ़ से प्रत्याशी बनाकर चाचा शिवपाल सिंह यादव को बदायूं के चुनाव मैदान में उतार दिया. बाद में स्थानीय इकाई की मांग पर अखिलेश ने चाचा शिवपाल की जगह उनके पुत्र आदित्य यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया. भाजपा ने यहां वर्तमान सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया है तो बसपा ने मुस्लिम खां पर भरोसा जताया है. भाजपा यहां अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए जोर लगाएगी.
फिरोजाबाद लोकसभा सीट सपा के लिए चुनौती
सुहाग नगरी फिरोजाबाद. चूड़ियों का यह शहर रिश्तों को खूब जोड़ता और परखता है. बनते-बिगड़ते रिश्तों की खनक यहां पिछले चुनावों में भी खूब सुनाई दी थी. यहां कभी जीत का सेहरा बंधता है तो और कभी पराजय का ‘हार’ भी प्रत्याशियों को पहनना पड़ता है. इस बार भी यहां चुनाव बड़ा रोचक है. पहले चाचा-भतीजा (शिवपाल और अक्षय) अलग थे और इस बार साथ. सपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट के चुनावी संग्राम पर भी सभी की नजर टिकी हुई है.
बीते चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी लेकिन इस बार सीट पर सियासी माहौल बदला हुआ नजर आ रहा है. बीजेपी ने सिटिंग सांसद चंद्रसेन जादौन का टिकट काट दिया है और विश्वदीप सिंह पर दांव लगाया है. विश्वदीप सिंह के पिता ठाकुर बृजराज सिंह 1957 से 1962 तक सेसोपा से सांसद रहे हैं.सपा ने इस सीट से अक्षत यादव को और बसपा ने पूर्व मंत्री चौधरी बशीर को मैदान में उतारकर फिरोजाबाद सीट की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. सपा के लिए इस सीट को जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है.