यूपी उपचुनाव पर दिल्ली में मंथन, अमित शाह की क्लास में शामिल होंगे सीएम योगी, बैठक में बनेगी रणनीति
UP By-Election: उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पिच पर उपचुनाव की गर्मी अब अपने चरम पर पहुंच चुकी है. राज्य की दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों को लेकर सियासी बिसात बिछाई जा रही है. नई दिल्ली में आज भारतीय जनता पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता शामिल होंगे. इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और दोनों उपमुख्यमंत्रियों का होना तय है. इस बातचीत में उपचुनाव की रणनीति पर विचार-विमर्श होने की संभावना है, जो राज्य के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है.
उपचुनाव की तारीखें अभी भी अनिश्चित
हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन प्रदेश की राजनीतिक हलचल को देखकर यह स्पष्ट है कि सभी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच इस बार की लड़ाई बेहद दिलचस्प रहने की उम्मीद है. सपा ने पहले ही कुछ नामों की घोषणा कर दी है, जिससे चुनावी रणनीति और भी पेचीदा हो गई है.
सीटों की सूची और राजनीतिक समीकरण
उपचुनाव में जिन सीटों पर वोटिंग होनी है, उनमें करहल, मिल्कीपुर, कटहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मंझवा, और सीसामऊ शामिल हैं. इन सीटों में से 5 सपा के पास पहले से हैं, जबकि आरएलडी और निषाद पार्टी के पास एक-एक सीट है. बीजेपी की तीन सीटें हैं. लोकसभा चुनाव में सपा की शानदार जीत के बाद बीजेपी इस उपचुनावों को अग्निपरीक्षा के रूप में देख रही है.
यह भी पढ़ें: जेल में रची गई साजिश, 2.5 लाख की सुपारी…बाबा सिद्दीकी हत्याकांड पर मुंबई पुलिस का बड़ा खुलासा
बीजेपी की रणनीति
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने 9 सीटों के लिए कुल 27 संभावित नामों की एक सूची तैयार की है. इस सूची पर चर्चा कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. खास बात यह है कि बीजेपी मीरापुर सीट को आरएलडी के लिए छोड़ने का मन बना चुकी है, लेकिन खैर सीट को देने के लिए तैयार नहीं है. इसी बीच, निषाद पार्टी भी कटहरी और मझवां सीटें मांग रही है, जिन पर उनकी पहले से दावेदारी रही है.
सीटों पर दावेदारी और सपा का पक्ष
सपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, जिसमें तेज प्रताप यादव जैसे युवा नेताओं को टिकट दिया गया है. मीरापुर सीट पर इरफान सोलंकी के साथ सपा को जनता की सहानुभूति प्राप्त हो सकती है, जो बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है. कुंदरकी, जहां मुस्लिम वोटर लगभग 65% हैं, वह भी बीजेपी के लिए एक कठिनाई प्रस्तुत करता है.
चुनावी परिदृश्य का भविष्य
इन उपचुनावों का परिणाम केवल चुनावी नतीजों पर ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के भविष्य के राजनीतिक समीकरणों पर भी गहरा असर डालेगा. सभी दल अपने-अपने तरीके से अपनी शक्ति को पुनः स्थापित करने में जुटे हैं. इन उपचुनावों में सपा, बीजेपी, और अन्य छोटे दलों के बीच जंग का नतीजा आगामी विधानसभा चुनावों की दिशा निर्धारित कर सकता है.
इस प्रकार, उपचुनाव की ये 10 सीटें न केवल वर्तमान राजनीतिक स्थिति को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि आने वाले समय में यूपी की राजनीति में क्या-क्या परिवर्तन हो सकते हैं. सभी पार्टियों की नजर अब चुनाव आयोग की तरफ है, जिससे आगे की रणनीति तय हो सके.