Haldwani Violence: कौन हैं हल्द्वानी हिंसा में मारे गए 5 लोग? आपको अंदर तक झकझोर देगी अनस और प्रकाश की कहानी
Haldwani Violence: 8 फरवरी को हल्द्वानी नगर निगम ने अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत शहर के बनभूलपुरा इलाके में एक मदरसा और एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. बुलडोजर एक्शन के बाद स्थानीय लोगों और पुलिस अधिकारियों के बीच झड़प हुई, आगजनी और पथराव के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए. झड़पों के बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया, इंटरनेट बंद कर दिया गया और देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने बताया कि हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई है. वहीं करीब 300 लोग घायल भी हुए हैं.
इसमें 100 पुलिस वाले भी घायल हुए हैं. वहीं छठे व्यक्ति की भी मौत की खबर सामने आई है. हालांकि, मौत की पुष्टि नहीं हो सकी है. मरने वालों में बाप और बेटा भी शामिल है. कहा जा रहा है कि महज 16 साल थी. जानकारी के मुताबिक, सभी मृतकों का पोस्टमॉर्टम किया गया है. प्रशासन ने पांच लोगों की मौत की पुष्टि कर दिया है.
मरने वालों की हुई पहचान
जो लोग मारे गए हैं उनकी पहचान हो गई हैं. मरने वालों में फईम (30) निवासी लाइन नंबर 16 गांधीनगर, जाहिद उर्फ जॉनी (45) निवासी गफूर बस्ती, अनस (16) पुत्र जाहिद उर्फ जॉनी, सीवान (22) निवासी लाइन नंबर 9 और प्रकाश (24)निवासी बाजपुर के रूप में हुई है. अभी यह साफ नहीं हुआ है कि इन लोगों की मौत कैसे हुई. पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई हैं.
मरियम मस्जिद और अब्दुल रज्जाक ज़कारिया मदरसा कहलाने वाली इन संरचनाओं का निर्माण 2002 में बनभूलपुरा के कंपनी बाग इलाके में किया गया था. उनकी देखभाल अब्दुल मलिक और उनकी पत्नी सफिया मलिक करते थे. हल्द्वानी के नगर निगम आयुक्त, पंकज उपाध्याय ने बताया कि संरचनाएं नजूल भूमि पर बनाई गई थीं. उपाध्याय ने कहा, “निगम ने 30 जनवरी को अब्दुल मलिक को मस्जिद और मदरसा ढहाने का नोटिस दिया था.”
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रासुका के तहत होगी कार्रवाई
वहीं, शुक्रवार सुबह मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार के बाद शाम को हल्द्वानी पहुंचे. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बनभूलपुरा के उपद्रवियों को चिह्नित कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई होगी. उन्होंने जांच कमेटी बनाकर कार्रवाई करने की बात भी कही.
बता दें कि बनभूलपुरा वही इलाका है जहां पिछले वर्ष रेलवे की भूमि पर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को खाली कराने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया था. यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.