हुस्न परियों से परेशान अमेरिका, गोले-बारूद के बिना भी मदहोशी से राज उगलवा लेती हैं रूस-चीन की हसीनाएं!
प्रतीकात्मक तस्वीर
Russia China Honeytrap: दुनिया की महाशक्तियों के बीच जासूसी का खेल कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब रूस और चीन ने इस खेल को एक नया रंग दे दिया है. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ये दोनों देश अब पारंपरिक जासूसी के बजाय ‘हनीट्रैप’ का सहारा ले रहे हैं. यानी, आकर्षक महिलाओं के जरिए अमेरिकी अधिकारियों, इंजीनियरों और टेक प्रोफेशनल्स को अपने जाल में फंसाकर गोपनीय जानकारी हासिल की जा रही है. यह एक तरह का मनोवैज्ञानिक युद्ध है, जिसमें इंसानी कमजोरियों को हथियार बनाया जा रहा है.
टेक वॉर से बेडरूम तक पहुंचा खेल
अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और रूस की यह रणनीति बेहद सुनियोजित है. ये देश अमेरिका के टेक्नोलॉजी सेक्टर, स्टार्टअप्स और रक्षा विभाग से जुड़े लोगों को निशाना बना रहे हैं. ‘द सन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे लिंक्डइन पर आकर्षक महिलाओं से दोस्ती के लिए ढेरों रिक्वेस्ट मिलते हैं. ये महिलाएं बातचीत शुरू करके धीरे-धीरे गोपनीय जानकारी हासिल करने की कोशिश करती हैं.
वर्जीनिया में एक सम्मेलन में दो चीनी महिलाएं पकड़ी गईं, जो संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थीं. इसी तरह, एक रूसी महिला ने एक अमेरिकी एयरोस्पेस कर्मचारी से शादी कर ली और अब वह क्रिप्टो और रक्षा-तकनीक से जुड़े क्षेत्रों में सक्रिय है. हैरानी की बात यह है कि उसके पति को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है. कई बार ऐसी जासूस शादी करके, बच्चे पैदा करके और सामान्य जिंदगी जीने का दिखावा करके सालों तक जानकारी जुटाती रहती हैं.
चीन का ‘संपूर्ण समाज’ जासूसी नेटवर्क
अमेरिकी जांच एजेंसियों का दावा है कि चीन ने अपने नागरिकों को एक तरह से जासूसी का हथियार बना दिया है. इसमें छात्र, निवेशक, कारोबारी और शोधकर्ता भी शामिल हैं. एक अधिकारी ने कहा, “अब हम पुराने जमाने के जासूसों का पीछा नहीं कर रहे, बल्कि एक पूरे समाज से जूझ रहे हैं.” चीन पर पहले भी अमेरिकी व्यापारिक रहस्यों की चोरी का आरोप लग चुका है, जिससे अमेरिका को हर साल करीब 600 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है. इसके अलावा, चीनी एजेंसियां ‘पिच कॉम्पिटीशन’ जैसे आयोजनों के बहाने स्टार्टअप्स से उनके बिजनेस आइडियाज और बौद्धिक संपदा चुरा रही हैं.
यह भी पढ़ें: फिदायीन हमले से दिल्ली को दहलाने की साजिश नाकाम, दबोचे गए ISIS के 2 आतंकी, भोपाल से हुई एक की गिरफ्तारी
रूस का पुराना हथियार फिर सक्रिय
रूस भी अपनी पुरानी ‘हनीट्रैप’ रणनीति को फिर से जिंदा कर रहा है. साल 2010 में चर्चित रूसी जासूस एना चैपमैन इसका एक बड़ा उदाहरण थीं, जो अब मॉस्को में एक खुफिया संग्रहालय चला रही हैं. एक अन्य रूसी जासूस एलिया रोजा ने खुलासा किया था कि उन्हें सैन्य अकादमी में पुरुषों को लुभाने और उनसे रहस्य उगलवाने की ट्रेनिंग दी गई थी. हाल ही में लंदन में दो बुल्गारियाई महिलाएं पकड़ी गईं, जो एक रूसी जासूसी नेटवर्क का हिस्सा थीं. सब
FBI की चेतावनी
अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने भी इस खतरे को गंभीरता से लिया है. एक मशहूर मामले में चीनी जासूस फैंग फैंग ने 2011 से 2015 तक कई अमेरिकी नेताओं को अपने जाल में फंसाया. उसने एक अमेरिकी सांसद एरिक स्वॉलवेल से भी नजदीकी बनाई थी. हालांकि, FBI ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह चीन भाग गई. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह ‘बेडशीट वॉर’ सिर्फ जासूसी नहीं, बल्कि अमेरिका के सुरक्षा ढांचे पर सीधा हमला है.
अमेरिका का जवाब
इस बढ़ते खतरे के बीच अमेरिका अपनी सुरक्षा को और मजबूत करने की कोशिश में है. खुफिया एजेंसियां अब अपने कर्मचारियों को ऐसी जासूसी से सावधान रहने की ट्रेनिंग दे रही हैं. साथ ही, टेक कंपनियों और स्टार्टअप्स को भी अपने डेटा और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह जंग सिर्फ तकनीक या जानकारी की चोरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक युद्ध है, जिसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका को नई रणनीतियों की जरूरत है.