Chhattisgarh: बस्तर दशहरा के रस्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का पैर टूटा, अस्पताल में भर्ती लेकिन कोई देख-रेख नहीं

Chhattisgarh News: जगदलपुर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा ना सिर्फ बस्तर बल्कि विश्व में भी काफी प्रसिद्ध है, इस दशहरा पर्व को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है, इस रस्म को निभाने के साथ ही चार मंजिला और आठ मंजिला रथ का निर्माण करने बस्तर के ग्रामीण ही अहम भूमिका निभाते है.
Chhattisgarh News

बस्तर दशहरा के लिए काम करने वाला व्यक्ति घायल

Chhattisgarh News: जगदलपुर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा ना सिर्फ बस्तर बल्कि विश्व में भी काफी प्रसिद्ध है, इस दशहरा पर्व को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है, इस रस्म को निभाने के साथ ही चार मंजिला और आठ मंजिला रथ का निर्माण करने बस्तर के ग्रामीण ही अहम भूमिका निभाते है, ऐसे में इसी आठ मंजिला रथ का निर्माण करने के दौरान लकड़ी गिरने से एक ग्रामीण का पैर टूट गया, उसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती तो करा दिया गया, लेकिन उसका हालचाल पूछने के लिए कोई भी नही गया.

बस्तर दशहरा के रस्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का पैर टूटा

बस्तर दशहरा पर्व की हर रस्म आदिवासी ग्रामीण आस्था की वजह से बिना किसी सुविधा की चाह रखे पूरी करते हैं। ऐसे में यदि हादसे हो जाते हैं और उन तक लोग मिलने तक नहीं पहुंचते तो टीस स्वाभाविक है। करोड़ों रुपए खर्च कर मनाए जाने वाले इस लोक पर्व से आदिवासियों की आस्था गहरे तक जुड़ी हुई है।
बस्तर दशहरा पर्व के लिए तैयार किए जा रहे दुमंजिला काष्ठ रथ के निर्माण के लिए लकड़ी लाने के दौरान ग्रामीण का पैर टूट गया, पिछले कुछ दिनों से मेडिकल कालेज में पंचम निषाद का इलाज चल रहा है.

ये भी पढ़ें- प्रदेश की महिलाओं में बीजेपी का क्रेज, अब तक 15 लाख से ज्यादा महिलायें ले चुकी हैं पार्टी की सदस्यता

अस्पताल में भर्ती लेकिन कोई देख-रेख नहीं

इन 8 दिनों में कोई भी उसका हाल-चाल जानने नहीं पहुंचा और इस बात का उसे खेद है। विश्व प्रशिद्ध बस्तर दशहरे पर्व में मुख्य आकर्षण विशालकाय रथ होता है। इस साल 8 चक्कों का रथ तैयार किया जा रहा है। इसे बनाने के दौरान ही पंचम निषाद का पैर टूट गया था, चोट गहरी थी, इसलिए डाक्टरों को ऑपरेशन करना पड़ा। दर्द से कराह रहे पंचम का हाल जानने न तो कोई जनप्रतिनिधि पहुंचा और न प्रशासन के लोग,
बस्तर सांसद और दशहरा कमेटी के अध्यक्ष महेश कश्यप का इस संबंध में कहना है कि समय के साथ बदलाव हो रहा है। पहले कंधे पर भारी-भरकम लकड़ियां ढोकर लाई जाती थीं और अब ट्रकों से लाई जा रही हैं। सड़क भी अच्छी है। धीरे-धीरे और सुविधाएं जुटाएंगे।

ज़रूर पढ़ें