MP News: सरकार की दो बड़ी एजेंसियों में नहीं कम हो रही खींचतान, PWD की नगरीय प्रशासन को दो टूक- CPA की संपत्तियों का आधिपत्य हमारे पास ही रहने दिया दिया जाए

MP News: सीपीए के पास मंत्रालय, सतपुड़ा भवन, विंध्याचल, विधानसभा भवन, विधायक विश्रामगृह, शहीद स्मारक, पर्यावास भवन, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के चिकित्सालय, डिस्पेंसरी, आवास के मेंटेनेंस के अलावा भोपाल के प्रमुख मार्गों और पार्कों को संधारित करने का कम सीपीए के जिम्मे था.
MP News Vallabh Bhawan – Photo: Social Media

वल्लभ भवन - फोटो : सोशल मीडिया

MP News: लोक निर्माण विभाग किसी भी सूरत में राजधानी परियोजना प्रशासन (capital project administration) की संपित्तयों का आधिपत्य नगरीय विकास एवं आवास विभाग को देने को तैयार नहीं है. नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने पिछले दिनों लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को फाइल भेजकर सीपीए की संपत्तियां उसे हस्तांतरित किए जाने को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मांगा था. कुछ दिन तक फाइल होल्ड करने के बाद अंततः पीडब्ल्यूडी ने नगरीय विकास विभाग को अपना अभिमत दे दिया है.

मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि विभागीय मंत्री राकेश सिंह से चर्चा के बाद विभाग ने अपना अभिमत दिया है। इसमें विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सीपीए की संपत्तियां हस्तांतरित नहीं करना चाहता. इस संबंध में पीडब्ल्यूडी ने बाजिव कारण गिनाते हुए कहा है कि सीपीए की संपत्तियों के संधारण की जिम्मेदारी का कार्य हमारे पास ही रहने दिया जाए. जानकारी के अनुसार ढाई साल पहले सीपीए को बंद करने के बाद इसकी संपत्तियां (सड़कों- बड़े सरकारी भवनों का मेंटेनेंस) लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित कर दी गई थीं. गत 30 अगस्त को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर से सीपीए को पुनर्जीवित करने के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया था.

कैबिनेट से ही निकलेगा CPA के पुनर्गठन का हल

अधिकारियों का कहना है कि सीपीए के पुनर्गठन को लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाना है. चूंकि सीपीए की संपत्तियां पीडब्ल्यूडी के आधिपत्य में हैं इसलिए विभाग की एनओसी के बगैर प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं लाया जा सकेगा. यही वजह है कि नगरीय विकास विभाग ने एनओसी लेने के लिए पीडब्ल्यूडी को फाइल भेजी थी. इस मामले में अपर मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी केसी गुप्ता ने सिर्फ इतना कहा कि सीपीए को लेकर हमने अपना अभिमत दे दिया है.

PWD ने अपने अभिमत में यह कहा

मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी की ओर से दिए गए अभिमत में कहा गया है कि विभाग का मूल काम सिविल वर्क से जुड़ा है. हमारे पास इस कार्य के लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों का बड़ा अमला है। विभाग दो साल से ज्यादा समय से सीपीए की संपत्तियों का मेंटेनेंस भलीभांति कर रहा है. इसमें कहीं, कोई शिकायत सामने नहीं आई है. ऐसे में सीपीए की संपत्तियां हस्तांतरित करने का कोई औचित्य नहीं है.

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इसलिए CPA का आधिपत्य चाहते हैं विभाग

सीपीए के पास मंत्रालय, सतपुड़ा भवन, विंध्याचल, विधानसभा भवन, विधायक विश्रामगृह, शहीद स्मारक, पर्यावास भवन, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के चिकित्सालय, डिस्पेंसरी, आवास के मेंटेनेंस के अलावा भोपाल के प्रमुख मार्गों और पार्कों को संधारित करने का कम सीपीए के जिम्मे था.

यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन का काम देख रहा था. इन कार्यों का बजट करोड़ों में है. मंत्रालय का रेनोवेशन 107 करोड़ की लागत से किया जा रहा है. सतपुड़ा और विंध्याचल भवन को तोड़कर करोड़ों की लागत से नया भवन बनाया जाना प्रस्तावित है. अभी यह काम पीडब्ल्यूडी के जिम्मे हैं. यदि सीपीए के पुनर्गठन के बाद पूर्व की तरह इसका आधिपत्य नगरीय विकास एवं
आवास विभाग को सौंप दिया जाता है.

शिवराज ने दिए थे CPA बंद करने के निर्देश

तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर 3 मार्च, 2022 को कैबिनेट ने सीपीए को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद सीपीए में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारियों- कर्मचारियों को मूल विभाग वापस लौटा दिया गया था. शहर की सड़क और भवनों के मेंटेनेंस का काम पीडब्ल्यूडी और पार्कों के संधारण का दायित्व वन विभाग को सौंप दिया गया था. सीपीए दोबारा चर्चा में तब आया, जब गत मार्च में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर सीपीए को दोबारा चालू करने की मांग की.

इसके बाद शासन ने सीपीए के पुनर्गठन की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी. हालांकि कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने गत 4 जुलाई को विधानसभा को बताया था कि सरकार का सीपीए को फिर से शुरू करने का कोई विचार नहीं है. है, तो ये सभी कार्य उसे हस्तांतरित हो जाएंगे. यही वजह है कि दोनों विभागों के बीच सीपीए के आधिपत्य को लेकर चल रही है.

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