शिंदे को चाहिए ये मंत्रालय, BJP की तरफ से ना! अब महाराष्ट्र में महायुति के बीच कैसे बनेगी बात?

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के परिणामों को एक हफ्ता से अधिक समय हो चुका है, लेकिन अब तक मुख्यमंत्री पद और मंत्रिमंडल गठन को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. राज्य में बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के बीच जद्दोजहद जारी है. खासकर मुख्यमंत्री पद को लेकर संघर्ष तेज़ हो […]
देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे

देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के परिणामों को एक हफ्ता से अधिक समय हो चुका है, लेकिन अब तक मुख्यमंत्री पद और मंत्रिमंडल गठन को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. राज्य में बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के बीच जद्दोजहद जारी है. खासकर मुख्यमंत्री पद को लेकर संघर्ष तेज़ हो गया है, क्योंकि दोनों ही दलों के पास इसे लेकर अपनी-अपनी दलीलें और रणनीतियां हैं.

शिंदे की नाराजगी और मंत्री पद की मांग

सूत्रों के अनुसार, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस समय अपने पैतृक गांव सातारा में हैं और उनकी योजना है कि वे शनिवार को भी वहीं रहेंगे. पहले उनका कार्यक्रम था कि वे मुंबई लौटेंगे, लेकिन फिलहाल वे सातारा में ही रुकने का मन बना चुके हैं. शिंदे की इस समय की नाराजगी को लेकर कुछ नई जानकारी सामने आई है. बताया जा रहा है कि उन्हें शिवसेना को मिलने वाले मंत्री पदों पर असंतोष है. शिंदे ने कुछ अहम पदों की मांग की है, जिसमें गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और विधानसभा स्पीकर का पद शामिल है. ये तीनों पद ऐसी मांगें हैं, जो बीजेपी को मंज़ूर नहीं हैं, और इसी वजह से सरकार गठन की प्रक्रिया में देर हो रही है.

बीजेपी की चुनौतियां और शिंदे की शर्तें

बीजेपी को शिंदे की इन मांगों पर ऐतराज है. बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, जबकि शिंदे गुट इसके खिलाफ है. शिंदे ने इस मुद्दे पर अपना स्टैंड साफ किया है और कहा है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में लिए गए किसी भी फैसले को मानेंगे. शिंदे ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रधानमंत्री जो भी निर्णय लेंगे, वह उसे स्वीकार करेंगे, जिससे यह साफ हो गया कि अब इस मामले में अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना होगा.

महायुति की बैठक

गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर महायुति के नेताओं की एक बैठक हुई, जिसमें शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे. बैठक लगभग दो घंटे तक चली, लेकिन इसके बावजूद किसी भी निर्णय पर सहमति नहीं बन पाई. इस बैठक के बाद, शिंदे अपने पैतृक गांव सातारा लौट गए, जिससे प्रस्तावित बैठक को स्थगित करना पड़ा. अब सभी की निगाहें रविवार को मुंबई में आयोजित होने वाली बैठक पर हैं, जहां महायुति के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद और मंत्रिमंडल गठन को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है.

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महाराष्ट्र में बीजेपी की स्थिति

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जीत दर्ज की है. हालांकि, शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी भी अच्छे प्रदर्शन के साथ विधानसभा में पहुंची हैं. शिवसेना ने 57 सीटें और एनसीपी ने 41 सीटों पर विजय प्राप्त की है. बीजेपी के नेता चाहते हैं कि देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाए, जबकि शिवसेना के नेता शिंदे को फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा, शिवसेना के कुछ नेता बिहार के सत्ता गठबंधन का उदाहरण दे रहे हैं, जिसमें जेडीयू के पास बीजेपी से कम सीटें होने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया था. ऐसे में शिवसेना के नेता यह तर्क दे रहे हैं कि शिंदे को भी मुख्यमंत्री का पद मिलना चाहिए, हालांकि बीजेपी इस पर सहमत नहीं हो रही है.

सत्ता में साझेदारी को लेकर खींचतान

राज्य में सत्ता में हिस्सेदारी और शिंदे की भूमिका को लेकर लगातार खींचतान हो रही है, और यही कारण है कि सरकार गठन में देरी हो रही है. शिंदे ने अपनी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री बनने की मजबूत दावेदारी पेश की है, वहीं बीजेपी को यह आशंका है कि अगर शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है तो पार्टी के लिए आगे चलकर मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

रविवार को होने वाली बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला

अब सभी की नज़र रविवार को होने वाली बैठक पर है, जहां महायुति के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद और मंत्रिमंडल गठन को लेकर निर्णायक फैसला लिया जा सकता है. इस बैठक में शिंदे, फडणवीस, अजित पवार और बीजेपी के अन्य नेताओं के बीच गंभीर चर्चा होनी है, जिसके बाद महाराष्ट्र में सरकार गठन की दिशा स्पष्ट हो सकती है.

अंत में, यह कहना उचित होगा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए अभी काफी उठापटक बाकी है और यह स्पष्ट होना बाकी है कि मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर कौन बैठेगा. हालांकि, यह भी तय है कि इस प्रक्रिया में बीजेपी और शिवसेना के बीच मतभेदों का समाधान निकाला जाना है, जो राज्य की राजनीति के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

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