सपा से खफा, सीएम योगी से मुलाकात…सवर्ण विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्यों छोड़ा अखिलेश का साथ?
UP Politics: राज्यसभा चुनाव में अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, समाजवादी पार्टी के सवर्ण चेहरा मनोज पांडेय के साथ ही उसके 7 अन्य विधायक बागी हो गए हैं. सपा के विधायक मनोज पांडे ने मुख्य सचेतक पद से भी इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेज दिया है. मनोज पांडेय सपा के ब्राह्मण चेहरा रहे हैं. अखिलेश यादव ‘पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक यानी पीडीए’ के फॉर्मूले के साथ लोकसभा चुनाव में उतरे हैं. हालांकि, इसके साथ ही ब्राह्मणों को भी साधने की कोशिश में लगे है. लेकिन, अब सपा का ब्राह्मण वोट बैंक खिसक सकता है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि अचानक मनोज पांडेय ने राज्यसभा चुनाव में सपा का साथ क्यों छोड़ दिया?
मनोज पांडेय ने क्यों दिया इस्तीफा?
उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि मनोज पांडे सनातन धर्म के पक्षधर रहे हैं और रामलाल के दर्शन के लिए जब प्रस्ताव आया, तब यह चाहते थे कि सभी विधायक राम मंदिर में रामलला के दर्शन करने जाएं. लेकिन इस दौरान उनका विरोध किया गया. सपा ने अपने सारे विधायकों को राम के दर्शन से जाने से रोक दिया था. इस बात से मनोज पांडेय नाराज थे. उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी के आने विधायक भी जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. राम मंदिर मामले से आहत होकर मनोज पांडेय के साथ ही कई अन्य विधायक भी भारतीय जनता पार्टी में आ रहे हैं.
इन सपा विधायकों ने की कॉस वोटिंग
इस बीच समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद मनोज पांडेय ने सीएम योगी से मुलाकात की है. इसके अलावा सपा विधायक अभय सिंह, राकेश सिंह, राकेश पाण्डेय और विनोद चतुर्वेदी ने भी सीएम योगी से मुलाकात की. वोटिंग से पहले राकेश सिंह ने कहा था कि वे जय सियाराम के नाम पर वोट करेंगे. इसी तरह अभय सिंह ने कहा कि सपा से कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन किसको वोट देंगे, इस सवाल पर वो खुलकर नहीं बोले. वहीं अब खबर आ रही है कि सपा के इन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है.
सवर्ण वोटबैंक में सेंध !
दरअसल यूपी में कुल मतदाताओं का 25-28% हिस्सा अगड़ी जातियों का है, जिसमें ब्राह्मण सबसे अधिक हैं. ये आंकड़ा मोटे तौर पर करीब 15 फीसदी माना जाता है. इसके बाद करीब 4 से 5 प्रतिशत क्षत्रिय मतदाता माने जाते हैं. आंकड़ों के अनुसार बीजेपी को हर चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक वोट सवर्ण मतदाता के मिलते आए हैं. 2014 के आम चुनाव में यह आंकड़ा 80 फीसदी तक पहुंच गया था. वहीं राज्य की 80 से करीब 25 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां ब्राह्मण मतदाता चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. मनोज पांडेय अगर बीजेपी में शामिल होते हैं तो कहीं न कहीं सपा के लिए ब्राह्मण समुदाय को साधना मुश्किल होगा. पिछले कुछ महीनों में सपा ने ब्राह्मण सभा आदि करके ब्राह्मणों को अपने पाले में करने की खूब कोशिश की लेकिन, अब पार्टी को बड़ा झटका लगा है. मनोज पांडेय का यूपी में बड़ा नाम है.
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यूपी में मनोज पांडेय का बड़ा नाम
समाजवादी पार्टी विधायक मनोज पांडेय क्षेत्र में बड़ा नाम हैं. सोमवार को मनोज पांडेय समाजवादी पार्टी की बैठक में शामिल नहीं हो पाए थे. इसके बाद उन्होंने काम का हवाला देकर व्यस्त रहने की बात कही थी. हालांकि, उनको लेकर दावा किया जा रहा था कि वे सपा से बाहर जा सकते हैं. सपा विधायक के तौर पर राज्यसभा चुनाव में भाजपा के आठवें उम्मीदवार को वोट दिए जाने से संजय सेठ का गणित सेट होना तय माना जाने लगा है. साथ ही, मनोज पांडेय अगर समाजवादी पार्टी से बाहर होते हैं तो ब्राह्मण वर्ग की नाराजगी पार्टी से बढ़ सकती है. पिछले दिनों अखिलेश यादव ने पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पर जोर दिया है. ऐसे में उच्च वर्ग के विधायकों में नाराजगी बढ़ती दिखी है.
अखिलेश ने क्या कहा?
अखिलेश यादव ने कहा कि जिन लोगों को लाभ लेना था, वे सरकार के साथ चले गए. बीजेपी ने चंडीगढ़ नगर निगम में भी धांधली की है. ये लोग चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. सपा के बागियों पर हम जल्द ऐक्शन लेंगे. अखिलेश ने कहा कि सपा के बागी जनता का सामना कैसे करेंगे. उनकी हरकतों से सपा और मजबूत होगी. यूपी की जनता सब देख रही है.