नई दिल्ली सीट इस बार राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुकी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए यह सीट फंसी हुई है, क्योंकि उनके खिलाफ मुकाबला कर रहे हैं भाजपा के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित. अब, इस सीट के वोटर्स की बात करें, तो यह वही इलाका है जहां बड़ी संख्या में केंद्रीय कर्मचारी रहते हैं, जिनके लिए हाल ही में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को लागू किया है.
बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली के सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी, और पार्टी का लक्ष्य दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी यही सफलता दोहराने का है. बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण फैक्टर है.
पोस्ट में यह भी धमकी दी गई है कि अगर प्रेम ढिल्लों ने अपनी राह नहीं बदली, तो वह कहीं भी चले जाएं, उन्हें नहीं बख्शा जाएगा. पोस्ट में यह लिखा गया है, "तुम जहां भी जाओ, तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकेगा. कनाडा हो, ऑस्ट्रेलिया हो, तुम्हें हमारे खिलाफ जो कुछ भी किया है, उसका बदला लिया जाएगा."
क्या आप जानते हैं कि इस बार दिल्ली की विधानसभा चुनावी लड़ाई एक पुराने जोड़ीदार के बीच नहीं, बल्कि 'इंडिया' गठबंधन के खिलाफ चल रही है? ये गठबंधन पिछले लोकसभा चुनाव में साथ था, लेकिन इस बार उसकी 5 पार्टियां आपस में ही लड़ रही हैं.
फेसबुक ने केवल सोशल नेटवर्किंग के मायने नहीं बदले, बल्कि एक नई डिजिटल संस्कृति का निर्माण किया. अब हर किसी के पास एक डिजिटल आइडेंटिटी थी – प्रोफाइल, फोटो, पोस्ट, और अपडेट्स. फेसबुक के एक क्लिक से लोग दुनियाभर में पहुंचने लगे थे.
इस चुनाव में मतदान के लिए दिल्ली में कुल 13,766 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इसके अतिरिक्त, 2,696 मतदान स्थल को अलग से तय किया गया है, ताकि पूरी प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित हो सके.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 54.35% वोट मिले, AAP को 24.17% वोट मिले, और कांग्रेस को 18.91% वोट मिले थे. हालांकि, AAP और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों अलग-अलग चुनावी मैदान में हैं.
दिलचस्प यह है कि इस बार फलोदी सट्टा बाजार ने कांग्रेस पार्टी को चुनावी मुकाबले से बाहर होते हुए दिखाया है. पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस को लेकर बाजार के अनुमानों में हलचल बनी रहती थी, लेकिन इस बार कांग्रेस की स्थिति सट्टा बाजार में बेहद कमजोर मानी जा रही है.
इस पूरे ड्रामे में जहां एक ओर बांग्लादेश क्रिकेट की असल स्थिति सामने आ रही है, वहीं ये सवाल भी उठता है कि क्या क्रिकेट के मैदान पर खेलने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा सुलूक किया जाना चाहिए? बकाया पेमेंट और किट बैग्स का खेल क्रिकेट के मजेदार पहलू की जगह अब एक अजीब सी खिचड़ी बन चुका है.
अब यहां थोड़ा ट्विस्ट आता है. अगर आपकी आय 12.75 लाख से बढ़कर 12.76 लाख हो जाती है, तो आपको पूरी कमाई पर टैक्स देना पड़ेगा, जबकि आय तो केवल 1 हजार रुपये बढ़ी है. इसमें अजीब सा लगेगा कि इतनी छोटी सी बढ़त पर इतना भारी टैक्स क्यों? इसी जगह पर 'मार्जिनल रिलीफ' का नियम काम आता है.