जाट, पंजाबी, महिला या पूर्वांचली… दिल्ली का ‘सुलतान’ कौन? समझिए BJP में क्या चल रहा
प्रतीकात्मक तस्वीर
Delhi BJP CM Race: दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल अब हर दिल्लीवाले के दिमाग में है. बीजेपी के अंदर इस पर खूब मंथन हो रहा है और पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठकें लगातार चल रही हैं. अब तक कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिरकार किसे मिलेगा मुख्यमंत्री बनने का मौका? क्या दिल्ली में बीजेपी एक जाट मुख्यमंत्री बनाएगी, या पंजाबी, पूर्वांचली, पहाड़ी या फिर महिला नेत्री को मौका मिलेगा? हम आपको इस पंक्ति से लेकर आखिरी तक पूरी कहानी विस्तार से और मजेदार तरीके से समझाएंगे, तो चलिए शुरू करते हैं.
कोई है जो पीएम मोदी की उम्मीदों पर खरा उतरेगा?
दिल्ली में बीजेपी के विधायक दल की बैठक चल रही है, जिसमें पार्टी के बड़े नेता जैसे जेपी नड्डा, अमित शाह और बीएस संतोष विधायकों से उनके विचार ले रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, बात यही हो रही है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता पाने के बाद बीजेपी इस बार बड़े फैसले लेने जा रही है. लेकिन सवाल यह है कि यह बड़ा फैसला किसके पक्ष में जाएगा? क्या बीजेपी दिल्ली में जाट, पंजाबी, पूर्वांचल, पहाड़ी, या महिला को मौका देगी? पार्टी के नेताओं के बीच इस पर गहन विचार-विमर्श हो रहा है, और सबसे अहम सवाल यही है कि पीएम मोदी का मुख्यमंत्री चुनने का क्राइटेरिया क्या होगा?
बीजेपी की परंपरा
दिल्ली में एक परंपरा रही है, जो 1998 से चली आ रही है. हर बार वही नेता मुख्यमंत्री बनता है, जो नई दिल्ली सीट से जीतता है. 1998 में शीला दीक्षित ने इस परंपरा की शुरुआत की थी, और केजरीवाल तक यह सिलसिला चलता रहा. इस बार नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल को प्रवेश वर्मा ने हराया है. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रवेश वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री को हराया है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने पहले ही अपनी जगह आतिशी को मुख्यमंत्री बना दिया था. लेकिन क्या इस बार भी प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाएगा? इस सवाल का जवाब हमें बीजेपी के बड़े नेता ही देंगे. दिल्ली में मुख्यमंत्री बनने के लिए अब तक कई नाम सामने आ चुके हैं, और सभी ने अपनी-अपनी ताकत दिखाई है. तो चलिए, जानते हैं कौन-कौन से नाम रेस में हैं:-
प्रवेश वर्मा – जाट फैक्टर और साहिब सिंह वर्मा के बेटे
प्रवेश वर्मा का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे है. वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, और उनका दिल्ली में एक मजबूत आधार है. प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली सीट से केजरीवाल को हराया है. इसके अलावा, प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से हैं और दिल्ली के 13 जाट बहुल सीटों में से बीजेपी ने 11 सीटें जीती हैं. इससे यह माना जा सकता है कि बीजेपी जाट वोट बैंक को साधने के लिए उन्हें मौका दे सकती है.
मनजिंदर सिंह सिरसा – पंजाबी समुदाय के नेता
दिल्ली में पंजाबी समुदाय का एक बड़ा प्रभाव है, और इसी कारण से मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में चर्चा में है. उन्होंने राजौरी गार्डन से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है और इसके साथ ही पंजाबी समुदाय में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. सिरसा का राजनीतिक करियर भी काफी दिलचस्प रहा है, क्योंकि वह पहले अकाली दल से जुड़े हुए थे, लेकिन बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. वह दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जो उनकी पंजाबी समुदाय में एक मजबूत छवि बनाता है. उनकी ताकत पंजाबी वोट बैंक में है, और खासकर सिख वोटरों के बीच उनका अच्छा प्रभाव है. इस बार बीजेपी अगर पंजाबी समुदाय को ध्यान में रखते हुए अपनी पार्टी का सीएम उम्मीदवार चुने, तो मनजिंदर सिंह सिरसा इस रेस में एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पूरे उत्तर भारत में अपनी धाक जमाने वाली बीजेपी पंजाब में अभी भी अछूता ही है.
आशीष सूद- मजबूत पंजाबी चेहरा
दिल्ली के सीएम पद की रेस में भाजपा नेता आशीष सूद शामिल माने जा रहे हैं. वो बीजेपी के पंजाबी चेहरा हैं. वह पार्षद रहे हैं. दिल्ली बीजेपी के महासचिव रह चुके हैं. अभी गोवा के प्रभारी और जम्मू कश्मीर के सह प्रभारी हैं. जम्मू कश्मी विधानसभा चुनाव में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. उनके केंद्रीय नेताओं के साथ करीबी संबंध है. वह डीयू के भी अध्यक्ष रह चुके हैं.
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विजेंद्र गुप्ता – बीजेपी के पुराने दिग्गज
विजेंद्र गुप्ता ने रोहिणी से तीसरी बार जीत दर्ज की है, और वह बीजेपी के पुराने दिग्गज नेता हैं. उन्होंने 2015 और 2020 में भी शानदार प्रदर्शन किया था. विजेंद्र गुप्ता का नाम भी इस बार सीएम की रेस में तेजी से उभर कर सामने आया है. उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर केजरीवाल सरकार को चुनौती दी थी. विजेंद्र गुप्ता की सॉफ्ट पर्सनालिटी और राजनीति में अनुभव उन्हें इस रेस में आगे ले आ सकता है.
मनोज तिवारी – पूर्वांचली चेहरा
दिल्ली में 30 फीसदी पूर्वांचल वोटर्स हैं, जो 23 सीटों पर अपना असर रखते हैं. बीजेपी ने 17 सीटों पर जीत हासिल की है. मनोज तिवारी, जो कि पूर्वांचल समुदाय से आते हैं, उनका नाम भी सीएम की रेस में आ रहा है. मनोज तिवारी तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं और उनके पास राजनीति का अच्छा अनुभव भी है. वह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उनकी दिल्ली में लोकप्रियता में कोई कमी नहीं है. इस कारण, उन्हें पार्टी द्वारा सीएम उम्मीदवार के तौर पर सामने लाया जा सकता है.
कपिल मिश्रा – युवा और सोशल मीडिया स्टार
कपिल मिश्रा का नाम भी सीएम की रेस में है, खासकर सोशल मीडिया पर पॉपुलैरिटी के कारण. कपिल मिश्रा ने करावल नगर से चुनाव जीता है, और उनका जुड़ाव युवा वोटरों से बहुत अच्छा है. वह हमेशा केजरीवाल पर हमला करते रहे हैं और सोशल मीडिया पर उनकी ताकत बहुत मजबूत है. हालांकि, उनका अनुभव अन्य नेताओं के मुकाबले थोड़ा कम है, लेकिन उनकी युवा छवि और पार्टी के प्रति निष्ठा उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बना सकती है.
स्मृति ईरानी – क्या बीजेपी एक महिला को देगी मौका?
बीजेपी के अंदर इस बार एक और दिलचस्प चर्चा चल रही है कि क्या पार्टी महिला मुख्यमंत्री को मौका दे सकती है? इस समय स्मृति ईरानी का नाम सबसे आगे है. वह केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं और 2019 में राहुल गांधी को हराकर बहुत चर्चा में आई थीं. स्मृति ईरानी का अनुभव और पार्टी के प्रति उनका योगदान उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है. बीजेपी ने पहले भी महिला नेताओं को मौका दिया है, जैसे वसुंधरा राजे और सुषमा स्वराज, तो क्या दिल्ली में भी यह परंपरा जारी रखी जाएगी? अगर हां, तो बीजेपी स्मृति ईरानी को सीएम बना सकती है.
रेखा गुप्ता और शिखा रॉय
दिल्ली में इस बार महिलाओं के सीएम की रेस में रेखा गुप्ता और शिखा रॉय का भी नाम सामने आ रहा है. रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग सीट पर आम आदमी पार्टी की कद्दावर नेता बंदना कुमारी को हराया है. वहीं शिखा रॉय ने ग्रेटर कैलाश सीट पर सौरभ भारद्वाज को हराकर सबको हैरान कर दिया. इन दोनों का नाम अब सीएम की रेस में सुर्खियों में है.
पीएम मोदी का सरप्राइज फैक्टर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा किसी बड़े सरप्राइज के लिए जाने जाते हैं. उनका स्टाइल होता है कि वे ऐसे फैसले लेते हैं, जो सबको चौंका देते हैं. राजस्थान में उन्होंने भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश में मोहन यादव और हरियाणा में नायब सिंह सैनी जैसे नए चेहरे को मौका दिया. क्या दिल्ली में भी ऐसा हो सकता है? क्या पार्टी एक नए चेहरे को सीएम बनाने का फैसला लेगी? यह भी एक बड़ा सवाल है, क्योंकि मोदी अक्सर नए चेहरों पर दांव खेलते हैं.
13 फरवरी के बाद हो सकता है सीएम का फैसला
दिल्ली में 13 फरवरी के बाद बीजेपी अपनी नई सरकार का शपथ ग्रहण करवा सकती है. तब तक पार्टी की बैठक में विधायकों से ली गई राय को ध्यान में रखते हुए सीएम के नाम पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी इस समय फ्रांस और अमेरिका के दौरे पर हैं, जिससे पार्टी को कुछ समय मिल सकता है.
कौन बनेगा दिल्ली का सीएम?
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनने के लिए एक से एक बड़े नाम रेस में हैं. जाट, पंजाबी, महिला, पूर्वांचली, या फिर एक नया चेहरा—बीजेपी के पास ढेर सारे विकल्प हैं. मोदी और शाह की बैठक में जो भी फैसला लिया जाएगा, वो पार्टी के लिए कितना सही साबित होगा, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इस बार दिल्ली में बीजेपी का अगला मुख्यमंत्री जो भी बने, वह अपनी पार्टी के लिए एक नई उम्मीद और दिशा लेकर आएगा. अब बस इंतजार है 13 फरवरी का, जब इस सवाल का जवाब मिलेगा—दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?