लालू के लिए सारण और पाटलिपुत्र सीट बनी साख का सवाल, मीसा और रोहिणी के लिए चुनौती बेहद कड़ी

बता दें कि साल 2009 में परिसीमन के बाद छपरा लोकसभा सीट सारण हो गई. लालू यादव इसी सीट से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं और जीत भी चुके हैं.  हालांकि साल 2014 में राजद के हाथ से यह सीट निकल गई थी.
लालू यादव, मीसा भारती, रोहिणी आचार्य

लालू यादव, मीसा भारती, रोहिणी आचार्य

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव-2024 के लिए चार चरणों की वोटिंग समाप्‍त हो चुकी है. पांचवें चरण के लिए 20 मई को वोट डाले जाएंगे. इस फेज में बिहार की 5 सीटों पर मतदान होना है. इन पांच सीटों में सारण (साल 2009 से पहले छपरा), हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और सीतामढ़ी शामिल हैं. हालांकि, बिहार की इन पांचों सीटों में सबकी निगाहें सारण लोकसभा सीट पर टिकी हुई है. यहां से लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य मैदान में हैं. एक और सीट है पाटलिपुत्र, जहां से लालू यादव की बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ रही हैं. आइये आज इन्हीं दोनों सीटों के बारे में बताते हैं.

सबसे पहले सारण की बात करते हैं. पांचवें चरण में 20 मई को यहां मतदान होगा. 44 वर्षीय रोहिणी यहां राजद की उम्मीदवार हैं. दूसरी सीट पाटलिपुत्र है, जो कभी पटना का हिस्सा था, यहां लालू की सबसे बड़ी संतान और राज्यसभा सांसद मीसा भारती की टक्कर बीजेपी नेता राम कृपाल यादव से है.

बात सारण लोकसभा सीट की

बता दें कि साल 2009 में परिसीमन के बाद छपरा लोकसभा सीट सारण हो गई. लालू यादव इसी सीट से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं और जीत भी चुके हैं. हालांकि साल 2014 में राजद के हाथ से यह सीट निकल गई थी. बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी ने उन्हें पटखनी दी थी. अब लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से अपनी बेटी रोहिणी को मैदान में उतारा है. रोहिणी आचार्य ने ही लालू प्रसाद यादव को अपनी किडनी डोनेट की है. रोहिणी के चुनाव मैदान में उतरने से सारण में मुकाबला दिलचस्प हो गया है. इस बार राजद की कोशिश है कि एक बार फिर अपने गढ़ में जीत हासिल किया जाए.

अगर लोकसभा सीट की जातिगत समीकरण की बात करें तो यह दिलचस्प और स्पष्ट है. यहां राजपूत और यादव मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है. राजपूत वोटर्स आमतौर पर भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी के पक्ष में होते हैं, जबकि यादव मतदाता लालू यादव के समर्थक माने जाते हैं. इस बार लालू यादव खुद ही इस सीट पर ज्यादा से ज्यादा समय बिता रहे हैं. रोहिणी अपने भाई और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की अपील और अपने पिता के पुराने जादू पर भी निर्भर हैं, ताकि वह उस सीट पर फिनिश लाइन से आगे निकल सकें.

सारण में अनुमानित 18 लाख मतदाताओं में से लगभग 3.5 लाख यादव और 3.25 लाख राजपूत हैं, इसके बाद लगभग दो लाख मुस्लिम और 1 लाख बनिया और कुशवाह (अन्य पिछड़ा वर्ग) हैं. अब देखना ये होगा कि रोहिणी कैसे बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी को चुनौती देती हैं.

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राम कृपाल यादव के सामने मीसा भारती

अब बात पाटलिपुत्र की कर लेते हैं. यहां मीसा भारती अधिक से अधिक जमीन हासिल करने का प्रयास कर रही हैं, जिसे 2008 के परिसीमन में पटना लोकसभा क्षेत्र से अलग कर बनाया गया था. मीसा पिछली दो बार से राम कृपाल यादव से हार गई हैं, जो उनसे अलग हो गए थे. लालू और राबड़ी देवी की सबसे बड़ी संतान भाजपा को हराने  के लिए अपने भाई तेजस्वी की मुस्लिम-यादव वाली पिच पर भरोसा कर रही है. लेकिन वह सफल होंगी या नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि 1 जून को मतदान से पहले सामाजिक संयोजन किस दिशा में बदलता है.

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर लगभग 20.5 लाख मतदाता है. इस निर्वाचन क्षेत्र में 4.25 लाख से अधिक ऊंची जातियां हैं, जिनमें मुख्य रूप से कायस्थ और उसके बाद भूमिहार और ब्राह्मण हैं. जबकि 8 लाख ओबीसी, जिनमें 4.25 लाख यादव शामिल हैं और लगभग 3 लाख अनुसूचित जाति के पासवान, रविदास और मुसहर मतदाता हैं.

प्रचार अभियान में मीसा पीएम मोदी और अपने बीजेपी प्रतिद्वंद्वी पर लगभग समान रूप से निशाना साध रही हैं और दावा कर रही हैं कि मोदी फैक्टर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है. मीसा कहती हैं कि पीएम मोदी ने दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था, वो कहां हैं. अगर इंडिया ब्लॉक सत्ता में आता है, तो हम एक करोड़ नौकरियां देंगे और वृद्धावस्था पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये करेंगे.

राम कृपाल यादव का कहना है कि मुझे नहीं पता कि राजद मेरे बारे में क्या कहता है. मैंने भले ही निर्वाचन क्षेत्र में कोई बड़ा काम नहीं किया हो, लेकिन मेरे पास कई छोटे-छोटे विकास कार्य हैं. नरेंद्र मोदी पूरे बिहार और देश भर में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं. बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, बीजेपी के साथ गठबंधन में थी.

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