70 राउंड फायरिंग, दहशत में मोकामा…कौन हैं सोनू-मोनू, जिसने बाहुबली अनंत सिंह को बनाया निशाना?

जैसे ही इस हमले की खबर आई, पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गए. पुलिस ने इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया और घटनास्थल से गोलियों के खोखे भी बरामद किए. आसपास के थानों को अलर्ट किया गया, और यह सुनिश्चित किया गया कि इलाके में किसी भी प्रकार की हिंसा ना फैले. लेकिन एक सवाल फिर उठता है कि क्या पुलिस सच में इन गैंग्स पर काबू पा सकेगी, या यह खौ़फनाक जंग ऐसे ही चलती रहेगी?
Anant Singh

मोकामा के बाहुबली नेता अनंत सिंह

Sonu-Monu Gang: बिहार की राजनीति अक्सर अपनी तगड़ी घटनाओं के लिए सुर्खियों में रहती है, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग ही है. एक ओर जहां बिहार में विकास और सुधार की बातें होती हैं, वहीं दूसरी ओर यहां की राजनीति और अपराध की दुनिया की सच्चाई बेहद खौ़फनाक नजर आता है. बुधवार को मोकामा में जो हुआ, उसने फिर से सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि बिहार के कुछ इलाकों में कानून और व्यवस्था पर किसका राज चलता है. यह कहानी है बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह और मोकामा के दहशतगर्द सोनू-मोनू गैंग के बीच के एक खौ़फनाक टकराव की.

गोलियों की तड़तड़ाहट

बाहुबली नेता अनंत सिंह अपनी दबंगई के लिए मशहूर रहे हैं. बुधवार शाम को बिहार के मोकामा इलाके में अनंत सिंह पर ऐसा हमला हुआ, जिसे देख सुनकर किसी को यकीन करना मुश्किल हो सकता है. दरअसल, एक छोटे से विवाद को सुलझाने के लिए अनंत जलालपुर गांव पहुंचे थे. मामला था पंचायती विवाद का, और अनंत सिंह का मानना था कि इलाके के लोग उन्हें सुनेंगे और उनकी मदद से समस्या हल हो जाएगी.

लेकिन जैसे ही वह गांव पहुंचे, कुछ ऐसा हुआ कि पूरा इलाका दहल उठा. मोकामा के सबसे खतरनाक गैंग्स में से एक सोनू-मोनू गैंग ने ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं. पूरी की पूरी गोलियां एक कार पर दागी गईं, और यह मानो किसी बॉलीवुड फिल्म की शूटिंग हो – बस फर्क इतना था कि यह असली था. गोलियों की आवाज से पूरा गांव कांप उठा. 70 राउंड फायरिंग के बाद भी चमत्कारी तरीके से अनंत सिंह इस हमले से बच निकले.

ये चोर हैं और इनके पिता डकैत हैं- अनंत सिंह

फायरिंग घटना के बाद पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह ने कहा, “दो लोगों ने फायरिंग की और मेरे साथियों में से एक की गर्दन में गोली लग गई. सोनू-मोनू चोर हैं. ये लोग लोगों की ज़मीनों को लूटते हैं. ये चोर हैं और इनके पिता डकैत हैं. ये लोग पिस्टल के साथ घूमते हैं. अगर पुलिस सही से काम करती, तो मुझे कोई चिंता नहीं होती. मैं मांग करता हूं कि इस मामले की जांच होनी चाहिए. लेकिन पुलिस पैसे लेती है और कोई कार्रवाई नहीं करती. सोनू-मोनू पुलिस के मुखिया जैसे हैं. मैं चाहता हूं कि लोग सुरक्षित रहें. मुझे सुरक्षा की कोई मांग नहीं है. यह सरकार का फैसला है कि मुझे जेल भेजे या नहीं. मैं हमेशा जनता के साथ खड़ा रहूंगा. तो क्या हुआ अगर मेरे खिलाफ केस है? मैं जनता के साथ हूं, मुझे केस से कोई फर्क नहीं पड़ता.”

सोनू-मोनू गैंग

अब, अगर आप सोच रहे होंगे कि ये सोनू और मोनू कौन लोग हैं, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि ये दोनों भाई बिहार के सबसे बड़े गैंग लीडर्स में से एक हैं. मोकामा में इनका खौ़फ इतना है कि इनके नाम से ही लोग थर-थर कांपते हैं. पुलिस इन दोनों को पकड़ने के लिए हाथ-पांव मार रही है, लेकिन इनके गिरोह का नेटवर्क इतना मजबूत है कि हर बार पुलिस की गिरफ्त से बच निकलते हैं.

आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि इन दोनों भाइयों का मुख्य धंधा कोई और नहीं, बल्कि रंगदारी, हत्या और लूट-खसोट है. ये लोग सिर्फ अपराध ही नहीं करते, बल्कि अपने साम्राज्य को फैलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. इनके खिलाफ दर्ज मुकदमे भी ढेर सारे हैं, लेकिन इनकी पकड़ इस इलाके पर इतनी मजबूत है कि आम आदमी तो क्या, पुलिस भी इनके खिलाफ कुछ खास नहीं कर पाती. और अब, इस गैंग का नया शिकार बने हैं अनंत सिंह – जिनके खिलाफ यह हमला किया गया.

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पुरानी दुश्मनी का खौ़फनाक चेहरा

सोनू-मोनू गैंग और अनंत सिंह के बीच की दुश्मनी कोई नई नहीं है. यह दोनों पहले भी एक-दूसरे के खिलाफ रहे हैं, और इस हमले ने यह साबित कर दिया कि यह दुश्मनी कभी खत्म नहीं होगी. राजनीति और अपराध के गठजोड़ का यह नमूना है, और दोनों पक्ष एक-दूसरे को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. यह हमला सीधे तौर पर एक संदेश था कि अब अनंत सिंह का दौर खत्म हो गया है.

स्थिति को काबू करने की कोशिश

जैसे ही इस हमले की खबर आई, पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गए. पुलिस ने इलाके में अतिरिक्त बल तैनात किया और घटनास्थल से गोलियों के खोखे भी बरामद किए. आसपास के थानों को अलर्ट किया गया, और यह सुनिश्चित किया गया कि इलाके में किसी भी प्रकार की हिंसा ना फैले. लेकिन एक सवाल फिर उठता है कि क्या पुलिस सच में इन गैंग्स पर काबू पा सकेगी, या यह खौ़फनाक जंग ऐसे ही चलती रहेगी?

बिहार की राजनीति और गैंगवार

इस पूरे घटनाक्रम ने यह और साफ कर दिया कि बिहार की राजनीति में केवल वही जीतता है, जिसके पास ताकत और दवंगई हो. यहां का चुनावी खेल भी बहुत हद तक हिंसा, धमकियों और गैंगवार पर निर्भर करता है. अनंत सिंह की तरह के नेता अपनी बाहुबली छवि को बनाए रखने के लिए गैंग्स के साथ मिलकर काम करते हैं. लेकिन जब वही गैंग्स इनसे टकरा जाते हैं, तो हिंसा का यह खौ़फनाक दौर शुरू हो जाता है.

तो, क्या मोकामा में अनंत सिंह का ये खौ़फ खत्म हो जाएगा, या सोनू-मोनू गैंग के बीच की यह जंग अब और तेज हो जाएगी? क्या पुलिस इस गैंगवार को रोक पाएगी, या फिर यह सिलसिला और बढ़ेगा? ये सवाल अब मोकामा और आसपास के इलाकों में गूंज रहे हैं, और आने वाले समय में इसका जवाब मिलने की संभावना है.

एक बात तो साफ है – मोकामा में अब केवल कानून का राज नहीं, बल्कि गैंग्स का भी बोलबाला है, और यह युद्ध शायद अब और लंबा चले!

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