Durg: अस्पताल में नवजात बच्चों की अदला-बदली! साधना की गोद में पहुंचा शबाना का बेटा, अब DNA टेस्ट की कर रहे मांग

Durg News: दुर्ग के जिला अस्पताल में नवजात बच्चों की अदला-बदली का एक गंभीर मामला सामने आया है. अस्पताल में भर्ती दो महिलाओं ने लगभग एक ही समय पर बच्चों को जन्म दिया, लेकिन बाद में जब बच्चों को परिजनों को सौंपा गया, तो दोनों परिवारों ने अपने-अपने बच्चे होने पर संदेह जताया.
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बच्चों की अदला बदली

Durg News: दुर्ग के जिला अस्पताल में नवजात बच्चों की अदला-बदली का एक गंभीर मामला सामने आया है. अस्पताल में भर्ती दो महिलाओं ने लगभग एक ही समय पर बच्चों को जन्म दिया, लेकिन बाद में जब बच्चों को परिजनों को सौंपा गया, तो दोनों परिवारों ने अपने-अपने बच्चे होने पर संदेह जताया.

इस घटना के बाद से दोनों परिवार पिछले 11 दिनों से अस्पताल और प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला. परिवारों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण यह भ्रम की स्थिति बनी. अब परिवार के लोग डीएनए टेस्ट की मांग कर रहे हैं.

साधना की गोद में पहुंचा शबाना का बेटा

बता दें कि 23 जनवरी को दो महिलाओं, शबाना कुरैशी और साधना सिंह, ने सिजेरियन डिलीवरी के जरिए बेटे को जन्म दिया. शबाना का बेटा सुबह 1:25 बजे और साधना का बेटा 1:34 बजे जन्मा. अस्पताल के नियमानुसार, नवजात की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उसकी कलाई पर एक पहचान टैग लगाया जाता है, लेकिन यहीं अस्पताल की सबसे बड़ी गलती हो गई. अस्पताल के स्टाफ ने लापरवाही बरतते हुए नवजात बच्चों को गलत परिवारों को सौंप दिया. शुरुआत में किसी को इस अदला-बदली की भनक नहीं लगी, लेकिन आठ दिन बाद जब कुरैशी परिवार को संदेह हुआ.

अस्पताल प्रशासन की गड़बड़ी आई सामने

पीड़ित परिवारों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रसव के बाद जब नवजातों को वार्ड में शिफ्ट किया गया, तभी कुछ गड़बड़ी हुई. उनका दावा है कि जन्म के समय बच्चों की पहचान के लिए उचित व्यवस्था नहीं की गई थी, जिससे बच्चों की अदला-बदली की आशंका बढ़ गई. परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा, तो अस्पताल प्रशासन ने पहले टालमटोल की और बाद में स्पष्ट जवाब देने से इनकार कर दिया. इस असमंजस की स्थिति के कारण दोनों परिवार मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं और न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं. बच्चों की सही पहचान सुनिश्चित करने के लिए दोनों परिवार अब डीएनए टेस्ट कराने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि केवल डीएनए जांच से ही स्पष्ट हो सकेगा कि किसका बच्चा किसे सौंपा जाना चाहिए.

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परिजनों ने की DNA टेस्ट की मांग

परिजनों का कहना है कि अगर डीएनए टेस्ट से यह साबित हो जाता है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बच्चों की अदला-बदली हुई है, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं बच्चों की अदला-बदली से जुड़े इस मामले ने न केवल परिवारों को परेशानी में डाला है, बल्कि अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. पीड़ित परिवार अब डीएनए टेस्ट की मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें न्याय मिल सके.

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

सिविल सर्जन डॉ हेमंत साहू ने कहा कि 7 दिनों तक दोनों माताएं अस्पताल में भर्ती थी, उसे समय तो कोई शिकायत नहीं की गई, घर जाने के बाद एक परिवार बच्चा बदलने की शिकायत किया हैं. जैसे ही हमें शिकायत मिली तुरंत जांच की जा रही है, कलेक्टर ने भी जांच का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि दोनों परिवारों की काउंसलिंग की जाएगी दोनों परिवार सहमत नहीं होते हैं, तो डीएनए टेस्ट कराया जाएगा. फाइनल रिपोर्ट आने के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा उसे पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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