दिलजीत के कॉन्सर्ट में जोर से बज रहा था DJ, प्रशासन ने थमा दिया नोटिस, जानें ध्वनि प्रदूषण को लेकर क्या हैं गाइडलाइन्स

Noise Pollution: दिलजीत के इस कॉन्सर्ट पर प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. प्रशासन ने यह नोटिस ऑर्गेनाइजरों को भेजा है. प्रशासन ने बुधवार, 18 दिसंबर को हाईकोर्ट में इसको लेकर स्टेटस रिपोर्ट दायर की.
Diljit Dosanjh

दिलजीत के कॉन्सर्ट पर प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया

Noise Pollution: हाल ही में चंडीगढ़ (Chandigarh) में पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ (Singer Diljit Dosanjh) का कॉन्सर्ट हुआ था. यह कॉन्सर्ट (Concert) सफल रहा. मगर फिर भी दिलजीत के इस कॉन्सर्ट पर प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. प्रशासन ने यह नोटिस ऑर्गेनाइजरों (Organizers) को भेजा है. प्रशासन ने बुधवार, 18 दिसंबर को हाईकोर्ट में इसको लेकर स्टेटस रिपोर्ट दायर की. जिसमें बताया गया कि चंडीगढ़ में दिलजीत के हुए कॉन्सर्ट में ऑर्गेनाइजरों ने ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) का उलंघन किया है.

9 जनवरी को होगी सुनवाई

हाई कोर्ट में प्रशासन के द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि 14 दिसंबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-34 में हुए कॉन्सर्ट के दौरान आवाज का स्तर तय सीमा से अधिक पाया गया है. कॉन्सर्ट के दौरान आवाज 75 डेसिबल (DB) से ऊपर नहीं जानी चाहिए थी, लेकिन कॉन्सर्ट के दौरान आवाज 82 डेसिबल तक पहुंच गई थी. अब इस मामले की सुनवाई 9 जनवरी को होगी।

ऑर्गेनाइजरों की तरफ से सीनियर वकील अक्षय भान ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी. ऑर्गेनाइजरों ने इसका जवाब देने के लिए कुछ समय की मांग की है. बता दें, आयोजन के दौरान साउंड लेवल 82 डेसिबल तक पहुंच गया था, जो निर्धारित सीमा से अधिक था. जिसके चलते प्रशासन ने ऑर्गेनाइजरों को नोटिस जारी किया है.

ध्वनि प्रदुषण की गाइडलाइन

साल 2005 में ही सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी सार्वजनिक स्थल पर रात 10 से सुबह 6 बजे तक शोर करने वाले उपकरणों पर पाबंदी लगाई हुई है. यह तत्कालीन चीफ जस्टिस आरसी लाहोटी और जस्टिस अशोक भान की खंडपाठ ने ये आदेश दिया था. कोर्ट ने उस वक्त साफ किया था कि किसी को भी शोर मचाकर पड़ोसियों और अन्य लोगों के लिए परेशानी पैदा करने का अधिकार नहीं है.

एससी ने उस वक्त ही साफ किया था कि अगर किसी के पास बोलने का अधिकार है तो दूसरे के पास इसे नहीं सुनने का भी अधिकार है. अगर किसी को जबरदस्ती तेज आवाज में लाउडस्पीकर सुनाई जाती है तो यह उसके शांति और आराम से प्रदूषणमुक्त जीवन जीने के अनुच्छेद-21 में मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा.

ध्वनि प्रदूषण अधिनियम नियम, 2000 के मुताबिक कामर्शिलय, शांत और आवासीय क्षेत्रों के लिए ध्वनि तीव्रता की सीमा (डेसिबल में) तय की गई है. जिसमें औद्योगिक क्षेत्र के लिए दिन में 75 और रात में 70 डेसिबल तीव्रता की सीमा तय की गई है. कामर्शिलय क्षेत्र के लिए दिन में 65 और रात में 55, आवासीय क्षेत्र के लिए दिन में 55 और रात में 45.

यह भी पढ़ें: Today Weather Update: MP-छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में पारा 4 डिग्री के नीचे, दिल्ली-NCR में ऑरेंज अलर्ट जारी…

जुर्माने का भी प्रावधान

ध्वनि प्रदूषण अधिनियम नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रावधान भी है. सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली के उपयोग से संबंधित नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. नियमों के तहत जेनरेटर सेट और निर्माण उपकरण के उपयोग के संबंध में मानदंडों के उल्लंघन पर क्रमशः एक लाख रुपये और 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

मजेदार तथ्य

मनुष्य आमतौर पर 20 हर्ट्ज और 20,000 हर्ट्ज के बीच की आवाज सुन सकते हैं, लेकिन कुछ जानवर बहुत अधिक या कम आवृत्तियों पर आवाज सुन सकते हैं. उदाहरण के लिए, कुत्ते 65,000 हर्ट्ज तक की आवृत्तियों को सुन सकते हैं, जबकि व्हेल 10 हर्ट्ज से कम आवृत्तियों पर ध्वनियों के साथ संवाद कर सकती हैं. उच्च शोर का स्तर मनुष्यों, जानवरों, वन्य जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है.

ज़रूर पढ़ें