Pahalgam Attack: कलमा पढ़ने से बची जान, दाढ़ी बड़ी होने से आतंकी पहचान नहीं पाए; बचकर आए शख्स ने सुनाई आपबाती

असम के रहने वाले देबाशीष अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने गए थे. आतंकी हमले के दौरान वो कलमा पढ़ने वाली भीड़ में शामिल हो गए. इसके बाद आतंकवादी को देखकर जोर-जोर से कलमा पढ़ने लगे, जिसके बाद आतंकी वहां से चला गया.
Photo of terrorists of Pahalgam attack

पहलगाम हमले के आतंकियों की तस्वीर

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 28 लोगों की हत्या कर दी. कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गए हैं. आतंकियों के चंगुल से असम भट्टाचार्य का एक परिवार बाल-बाल बचकर वापस आ गया. असम के श्रीभूमि कस्बे के रहने वाले देबाशीष ने बताया कि कलमा पढ़ने के कारण उनकी जान बच गई. दाढ़ी बड़ी होने के कारण आतंकी उन्हें पहचान नहीं पाए.

कलमा पढ़ने पर आतंकी चला गया

देबाशीष भट्टाचार्य और उनकी पत्नी असम विश्वविद्यालय के बंगाली डिपार्टमेंट में कार्यरत है. वह पत्नी और बेटे के साथ कश्मीर घूमने गए थे. मीडिया संस्थान आजतक के मुताबिक देबाशीष आतंकियों को देखकर कलमा पढ़ने वाली भीड़ में शामिल हो गए. तभी एक आतंकी उनके पास आकर पूछने लगा कि तुम क्या बोले रहे हो. इसके बाद देबाशीष ने जोर-जोर से कलमा पढ़ना शुरू कर दिया. इसके बाद आतंकी वहां से चला गया. देबाशीष की पत्नी ने बताया कि देबाशीष की दाढ़ी बड़ी होने के कारण आतंकी पहचान नहीं पाए. उन्हें लगा कि हम लोग भी मुसलमान हैं.

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धर्म पूछा और चला दी गोलियां

22 अप्रैल 2025 को शांति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए विख्यात जम्मू-कश्मीर का पहलगाम आंतकियों की काला छाया का शिकार बन गया. बैसारन घाटी पर अपने परिवार के साथ घुड़सवारी का आनंद ले रहे और खुशियों के पल को संजो रहे पर्यटकों पर आतंकियों ने हमला कर दिया. इस हमले में 28 लोगों की मौत हो गई. मृतकों में नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, दो स्थानीय समेत अलग-अलग राज्यों से पहुंचे टूरिस्ट शामिल हैं. वहीं, बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए हैं. इस हमले ने न सिर्फ भारतवासियों बल्कि विदेश तक लोगों को झकझोर कर रख दिया है. इस हमले को लेकर एक चौंकाने वाली बात जो सामने आई वह यह थी आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर गोलियां चलाईं. 

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