आजम खान से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव का शायराना अंदाज, तीन तस्वीरें शेयर कर कही ये बात

Uttar Pradesh: अखिलेश यादव ने कहा कि आजम खान समाजवादी पार्टी के मजबूत वृक्ष हैं, जिनकी जड़ें बेहद गहरी हैं और जिनका साया हमेशा पार्टी पर बना रहा है.
Akhilesh Yadav and Azam Khan

अखिलेश यादव और आजम खान

Uttar Pradesh: रामपुर से सियासी सरगर्मी बढ़ाने वाली बड़ी खबर सामने आई है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान से उनके रामपुर स्थित आवास पर मुलाकात की है. यह मुलाकात करीब एक घंटे तक चली, जिसके बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीन तस्वीरें साझा करते हुए लिखा – “क्या कहें भला उस मुलाक़ात की दास्तान, जहाँ बस जज़्बातों ने खामोशी से बात की.”

अखिलेश यादव के पोस्‍ट पर सियासी मायने

अखिलेश यादव के इस पोस्ट को लेकर सियासी हलकों में कई मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल, आजम खान के जेल से बाहर आने के बाद अखिलेश और उनकी यह पहली मुलाकात रही. बताया जा रहा है कि जौहर यूनिवर्सिटी में अखिलेश यादव को देखते ही आजम खान ने उन्हें गले लगा लिया. इसके बाद दोनों नेता एक ही गाड़ी में बैठकर उनके घर पहुंचे. मीडिया और पार्टी के अन्य नेताओं को बैरिकेडिंग लगाकर घर से कुछ दूरी पर रोक दिया गया था.

मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि आजम खान समाजवादी पार्टी के मजबूत वृक्ष हैं, जिनकी जड़ें बेहद गहरी हैं और जिनका साया हमेशा पार्टी पर बना रहा है. उन्होंने बताया कि वह आजम खान का हालचाल लेने और स्वास्थ्य की जानकारी के लिए आए थे.

अखिलेश ने कहा कि पुराने समाजवादी जो नेताजी के साथ रहे हैं, उनकी बात ही अलग होती है. 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी और पीडीए की आवाज़ बुलंद होगी. अखिलेश यादव ने आगे कहा कि बीजेपी सरकार ने आजम खान और उनके परिवार पर झूठे मुकदमे लादे हैं, लेकिन समय आने पर सभी मामले वापस होंगे.

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अखिलेश की शायरी सम्‍मान का प्रतीक

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अखिलेश की यह मुलाकात और उनकी शायरी, दोनों ही आजम खान के प्रति संवेदना और सम्मान का प्रतीक हैं. इसे आजम की उस शायरी का जवाब भी माना जा रहा है, जो उन्होंने दो हफ्ते पहले कही थी. मीडिया के सवाल पर जब आजम खान से जेल के अनुभव पूछे गए थे, तो उन्होंने कहा था, “पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा, हाल हमारा जाने है.” इस शेर में छिपे दर्द और व्यंग्य को अब अखिलेश यादव ने अपनी खामोश मुलाकात से जैसे उत्तर देने की कोशिश की है.

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