‘दीदी’ ने बंगाल में ढहा दिया ‘इंडी गठबंधन’ का कुनबा! क्या पहले ही लिखी जा चुकी थी टूट की पटकथा?
Bengal Politics: पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने ‘एकला चलो’ का नारा देते हुए आम चुनावी बिसात बिछा दी है. टीएमसी ने बंगाल की सभी 42 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. ममता के इस ऐलान के बाद विपक्षी गठबंधन के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है. ममता ने बंगाल की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार कर लगभग इंडिया ब्लॉक के कुनबे को ढहा दिया है. आइये यहां विस्तार से जानते हैं कि बंगाल में क्यों टूटा इंडिया गठबंधन का कुनबा…
इग्नोरेंस की मुद्रा में चल रही थी कांग्रेस
‘दीदी’ के साथ कांग्रेस लगातार इग्नोरेंस की मुद्रा में चल रही थी. लगातार उनके प्रपोजल और डेडलाइन पर बेरुखी दिखा रही थी. अब दीदी ने फैसला कर दिया है. दीदी ने ऐसा फैसला कर दिया है कि अब इंडी ब्लॉक के भविष्य पर ही सवाल उठने लगा है. बता दें कि शुरुआती दौर में ममता बनर्जी ने कांग्रेस को बंगाल में 2 सीटों का ऑफर दिया था. लेकिन कांग्रेस की ओर से इस पर अमल नहीं किया गया.
याद करिए 23 जून 2023 का वो दिन जब बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी एकता के दावों के साथ अहम बैठक हुई. इसमें शामिल दो दर्जन से ज्यादा पार्टियों ने बीजेपी को हराने के लिए एकजुट लड़ने का ऐलान किया. जैसे ही ये घोषणा हुई तो देशभर की राजनीति में हलचल मच गई. हालांकि, कुछ महीनों में ही इस गठबंधन की पोल खुलने लगी. सबसे पहले विपक्षी एकता की नींव रखने में अहम रोल निभाने वाले नीतीश कुमार इससे अलग हुए. उनकी पार्टी जेडीयू ने बीजेपी संग गठबंधन का फैसला किया. यही नहीं बिहार में उन्होंने आरजेडी-कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार भी बना ली. यहीं से इंडिया अलायंस में टूट का दौर शुरू हो गया. अब ममता बनर्जी ने कुनबा ही ढहा दिया है!
TMC ने कांग्रेस को दिया था प्रस्ताव
दिसंबर 2023 में हुई इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक में TMC ने प्रस्ताव दिया था कि कांग्रेस को देशभर में करीब 300 ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जहां बीजेपी से सीधा मुकाबला हो. बाकी बचे सीटों पर क्षेत्रिय पार्टियों का समर्थन करना चाहिए. ममता ने कांग्रेस को सीट शेयरिंग पर 31 दिसंबर तक का डेडलाइन भी दिया था. लेकिन इस पर भी नहीं बन पाई. TMC के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद ये तो तय हो गया है कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के बाच सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन पाई.TMC के इस ऐलान के बाद कांग्रेस ने कहा कि हम लगातार प्रयास कर रहे थे कि राज्य में टीएमसी के साथ मिलकर बीजेपी का सामना किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
अधीर रंजन और सीएम ममता के बीच वाकयुद्ध
बंगाल की सीएम का यह निर्णय सीट आवंटन पर कांग्रेस के साथ बातचीत के टूटने के बाद आया है. इससे बीजेपी के साथ मुकाबला करने के उद्देश्य से बने इंडिया ब्लॉक के भीतर तनाव और बढ़ गया है. ममता के इस ऐलान के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने निराशा व्यक्त की. हालांकि, अब कांग्रेस जो भी कह लें. लेकिन विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, अधीर रंजन चौधरी और सीएम ममता बनर्जी के बीच जुबानी जंग चलती रहती है. अधीर रंजन पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते रहते हैं. कई बार ममता बनर्जी और अधीर रंजन वाकयुद्ध में आमने-सामने भी आ जाते हैं. कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन के टूटने की वजह अधीर रंजन चौधरी ही हैं. उनकी वजह से ही कांग्रेस और टीएमसी के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पाई.
अधीर रंजन चौधरी को घेरने की तैयारी
अब पश्चिम बंगाल की सबसे तगड़े और हैवीवेट नेता अधीर रंजन चौधरी को ही टीएमसी ने काउंटर कर दिया है. अधीर के खिलाफ टीएमसी ने मशहूर क्रिकेटर यूसुफ पठान को बहरामपुर सीट से मैदान में उतार दिया है. बलरामपुर उन मात्र 2 लोकसभा सीटों में से एक है जहां पर कांग्रेस को जीत नसीब हुई थी. आपको बता दें कि किसी बियाह कटवा की तरह अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में गठबंधन कटवा बनकर उभरे हैं. कहा जा रहा है कि उन्हीं के बड़बोलेपन के चलते कांग्रेस और टीएमसी का गठबंधन नहीं हो पाया.