सार्वजनिक डोमेन में होने के बाद भी SBI ने RTI के तहत Electoral Bonds की जानकारी देने से किया इनकार, इन दो धाराओं का दिया हवाला
Electoral Bonds: भले ही पूरा डेटा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक डोमेन में है. लेकिन, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आरटीआई अधिनियम के तहत चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया है. आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने 13 मार्च को एसबीआई से संपर्क कर डिजिटल फॉर्म में चुनावी बांड का पूरा डेटा मांगा, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग को सौंपा गया था. इसके बाद अब एसबीआई ने इससे इनकार कर दिया है.
SBI ने दो छूट प्रावधानों का दिया हवाला
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जनता के लिए जानकारी की उपलब्धता के बावजूद, बैंक ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम – धारा 8(1)(ई) के तहत दो छूट धाराओं का हवाला देते हुए चुनावी बांड योजना के विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया है. इस कानून के तहत व्यक्तिगत जानकारी को छिपाया जा सकता है. SBI ने कहा कि मांगी गई जानकारी में खरीददारों और राजनीतिक दलों का विवरण शामिल है और इसलिए, इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है. इसके प्रकटीकरण को आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ई) और (जे) के तहत छूट दी गई है.”
बत्रा ने चुनावी बांड के रिकॉर्ड के खुलासे के खिलाफ अपने मामले में बैंक का प्रतिनिधित्व करने के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को एसबीआई द्वारा भुगतान की गई फीस के बारे में भी जानकारी का अनुरोध किया था. बैंक ने हवाला दिया कि ये रिकॉर्ड व्यक्तिगत प्रकृति की है.
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क्या बोले आरटीआई एक्टिविस्ट?
बत्रा ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि एसबीआई द्वारा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर पहले से उपलब्ध जानकारी को अस्वीकार करना “अजीब” है. साल्वे की फीस के बारे में उन्होंने कहा कि बैंक ने करदाताओं के पैसे से संबंधित जानकारी का खुलासा करने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक और स्पष्ट रूप से मनमाना” करार देते हुए 15 फरवरी को एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए बांड की जानकारी चुनाव आयोग को देने के लिए कहा था. EC ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर SBI के डेटा को शेयर किया,जिसमें बांड भुनाने वाले और दानदाताओं की जानकारी सामने आई. 15 मार्च को शीर्ष अदालत ने प्रत्येक चुनावी बांड के लिए विशिष्ट नंबरों को रोककर पूरी जानकारी नहीं देने के लिए एसबीआई को फटकार लगाई थी. एसबीआई ने कहा था कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी के बीच दानदाताओं द्वारा विभिन्न मूल्यवर्ग के कुल 22,217 चुनावी बांड खरीदे गए, जिनमें से 22,030 को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाया गया.