संभल जामा मस्जिद की बाहरी दीवारों पर पुताई होगी या नहीं? ASI से हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, 12 मार्च को होगी अगली सुनवाई

28 फरवरी को एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जामा मस्जिद के अंदरूनी हिस्से को सिरेमिक पेंट से रंग दिया गया है और फिलहाल इसे पुताई की आवश्यकता नहीं है. लेकिन मस्जिद कमेटी ने सिर्फ बाहरी दीवारों पर सफेदी और परिसर की सफाई की बात की थी, जिसे लेकर मामला अदालत में पहुंचा था.
Sambhal Mosque Controversy

संभल जामा मस्जिद

Sambhal Mosque Controversy: उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित विवादित ढांचे, जामा मस्जिद की बाहरी दीवार पर पुताई को लेकर चल रहे कानूनी विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से स्पष्टीकरण मांगा है. कोर्ट ने 10 मार्च 2025 को एएसआई के वकील से पूछा कि इस पुताई से किस प्रकार के पूर्वाग्रह उत्पन्न हो सकते हैं. इसे आखिर क्या दिक्कत है.

दरअसल, मस्जिद कमेटी ने जामा मस्जिद की बाहरी दीवार पर व्हाइट वॉश और परिसर की साफ-सफाई करने का आग्रह किया था, लेकिन एएसआई ने इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया. मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने एएसआई से कहा कि यदि उनका यह दावा है कि इस संरक्षित स्मारक पर पुताई की अनुमति नहीं दी जा सकती, तो उन्हें हलफनामा दाखिल करना होगा.

मस्जिद कमेटी का क्या कहना है?

मस्जिद कमेटी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि एएसआई केवल जामा मस्जिद के भीतर की दीवारों पर पुताई के बारे में बात कर रहा है, जबकि मस्जिद कमेटी बाहरी दीवारों की सफेदी और परिसर में सुधार की मांग कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि यह पुताई सिर्फ मस्जिद के बाहरी हिस्से पर ही होगी, जो ऐतिहासिक और संरक्षित स्मारक की स्वच्छता और सौंदर्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है.

ASI से कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया कि वह मस्जिद परिसर में जमी धूल और उगी घास को भी साफ करें, ताकि परिसर साफ-सुथरा बने. इस मामले में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 1927 में मस्जिद कमेटी और प्रशासन के बीच हुए समझौते की एक मूल प्रति कोर्ट में 12 मार्च, 2025 को पेश करने का आदेश दिया गया है. इस समझौते के तहत ही जामा मस्जिद को एएसआई के अधीन सौंपा गया था.

इससे पहले, 28 फरवरी को एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जामा मस्जिद के अंदरूनी हिस्से को सिरेमिक पेंट से रंग दिया गया है और फिलहाल इसे पुताई की आवश्यकता नहीं है. लेकिन मस्जिद कमेटी ने सिर्फ बाहरी दीवारों पर सफेदी और परिसर की सफाई की बात की थी, जिसे लेकर मामला अदालत में पहुंचा था. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 मार्च तक का समय दिया है.

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संभल का मामला क्या है?

उत्तर प्रदेश के संभल में एक जामा मस्जिद है जिसको लेकर विवाद चल रहा है. हिंदू पक्षकारों का मानना है कि यह पहले हरिहर मंदिर हुआ करता था. दावे के मुताबिक, हरिहर मंदिर को 1529 में बाबर द्वारा तोड़ा गया था. इसी खंडित मंदिर को बाद में मस्जिद में बदल कर इसे मुस्लिमों को सौंप दिया गया. इस संबंध में संभल जिले की एक अदालत में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने एक याचिका दायर करके इसके सर्वेक्षण की अपील की थी. इसके बाद अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए ‘एडवोकेट कमीशन’ गठित करने के निर्देश दिए. अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वेक्षण कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए. इस आदेश के बाद से ही संभल में तनाव उत्पन्न हो गया. अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है. इससे पहले सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इसे विवादित ढांचा माना था.

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