MP News: CAG की रिपोर्ट में आबकारी अफसरों ने लगाई करोड़ों की चपत, दूसरे नामों की बैंक गारंटी पर दिए शराब ठेके

जिला आबकारी अधिकारियों ने शराब दुकानों पर छापे मारकर 1 लाख 5 हजार 268 देशी और विदेशी शराब की बोतले जब्त की और अफसरों ने अपने विभागीय स्टॉक रजिस्टरों में केवल 14 हजार 42 बोतलों का स्टॉक दर्ज किया
File Photo

File Photo

MP News: मध्य प्रदेश सबसे मलाईदार और कमाऊ आबकारी विभाग के अफसर ठेकेदारों को उपकृत कर सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचा रहे है. मध्यप्रदेश के बैतूल, सिंगरौली और रीवा जिलों में जिला आबकारी अधिकारियों ने शराब दुकानों पर छापे मारकर 1 लाख 5 हजार 268 देशी और विदेशी शराब की बोतले जब्त की और अफसरों ने अपने विभागीय स्टॉक रजिस्टरों में केवल 14 हजार 42 बोतलों का स्टॉक दर्ज किया.

नर्मदापुरम में शराब ठेके आवंटन में जमकर अनियमितता

एक करोड़ 69 लाख मूल्य की शेष 91 हजार 226 बोतलों के लिए अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं नर्मदापुरम में शराब ठेके आवंटन में भी जमकर अनियमितता की. यहां शराब ठेके लेने के लिए शराब ठेकेदारों ने स्वयं के नाम की जगह दूसरे नामों से बनी बैंक गारंटी जमा की और अफसरों ने आंख बंद कर बिना सत्यापन किए शराब ठेके आवंटित कर दिए. बैतूल, सिंगरौली और रीवा में आबकारी उपनिरीक्षकों ने छह फुटकर दुकानों के संबंध में विदेशी और देशी शराब का पंचनामा नौ जून 2020 को तैयार किया. जिसमें कैग रिपोर्ट बैतूल के प्रताप वार्ड में 36 हजार 900 शराब बोतले जब्त कर पंचनामा बनाया और अफसरों ने अपने अभिलेख में इन शराब बोतलों का जिक्र ही नहीं किया इससे 90 लाख 5 हजार 780 रुपए की बोतलों का हिसाब गायब कर दिया.

कई जिलों में शराब का कम दिखाए स्टॉक

बैतूल गंज में 23 हजार 767 बोतलें जब्त की गईं. इसमें से अभिलेख में केवल 7 हजार 410 बोलें दिखाई. 22 हजार 856 बोतलों को रिकार्ड में ही नहीं लिया. इससे 46 लाख 54 हजार 190 रुपये का नुकसान हुआ. सिंगरौली में विंध्य नगर सरस्वाह और सिम्प्लेक्स में, रीवा में समान में स्टाक में कम दिखाई इससे कुल एक करोड़ 68 लाख रुपये का शासन को नुकसान हुआ.

सीएजी ने की यह सिफारिश

कैग ने इस पर सिफारिश की है कि सभी जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर वसूली की जाए और 31 जिलों में शराब के स्टॉक के लेखों की जांच कर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जाए.

वर्ष 20-21 में 52 जिलों में 10 हजार 729 करोड़ 52 लाख रुपये के 329 फुटकर लाइसेंस जारी किए गए थे. इनमें से 38 ने दुकान चलाने में असमर्थता बताकर अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए. ठेके दूसरे ठेकेदारों को फिर से आवंटित किए गए. इसमें 293 करोड़ 25 लाख रुपए की वसूली होना था लेकिन केवल 13 करोड़ 98 लाख वसूल हुए. शेष 279 करोड़ 27 लाख की वसूली नहीं हो पाई.

ये भी पढे़ं: Shahdol: RTO में ‘कबाड़ की कलाकारी’, 15 साल पुरानी बस को बनाया नया! झारखंड की फर्जी एनओसी और पंचिंग नंबर दिखाया

ज़रूर पढ़ें