Indore का ITMS बना कमाई का जरिया, चालान काटने के साथ-साथ सालाना हो रही 2 करोड़ की इनकम
इंदौर के ITMS सिस्टम से सालाना हो रही 2 करोड़ की कमाई
Indore News: ITMS यानी इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम इंदौर का ट्रैफिक सुधारने के साथ ही कमाई का जरिया भी बन रहा है. ऐसे वाहन चालक जो ट्रैफिक नियम का पालन नहीं करते उनका चालान ITMS के कैमरा से बनाया जा रहा है और SMS के माध्यम से भेजा जा रहा है. कमांड सेंटर में बैठी महिला पुलिसकर्मी चालान बनाने के साथ ही नियम तोड़ने वालों को कॉल कर समय पर चालान भरने की चेतावनी भी देती हैं.
15 मिनट में पहुंचेगा चालान
ऐसे वाहन चालक जो सिग्नल ब्रेक करते है. ओवर स्पीड में वाहन चलाते हैं. रॉन्ग साइड चलते हैं. दोपहिया वाहन पर ट्रिपलिंग करते हैं. बिना हेलमेट वाहन चलाते हैं वो इंदौर शहर में सावधान रहें क्योंकि इनमें से किसी भी तरह का यदि आपने नियम तोड़ा तो आपका चालान बनाने के किसी ट्रैफिक पुलिसकर्मी की जरूरत नहीं होगी. शहर में ITMS के कैमरा आप पर नजर रखे हुए हैं. नियम तोड़ते ही 15 मिनट में चालान आपके मोबाइल पर SMS के माध्यम से पहुंच जाएगा. फिर वही कमांड सेंटर से कॉल कर वाहन चालक को चालान की जानकारी देते हुए समय पर चालान भरने की बात कह दी जाती है.
चोरी किए गए वाहन को खोजने में मदद होगी
बड़ी बात यह है कि ITMS सिर्फ चालान बनाने के लिए ही नहीं बल्कि चोरी हुए वाहन पकड़ने में भी पुलिस की मदद कर रहा है. शहर के अलग-अलग थाने के पुलिसकर्मी भी यहां चोरी किए गए वाहनों की तलाश में मदद के लिए पहुंचते हैं.
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रजिस्टर्ड मोबाइल पर चालान की डिटेल भेजी जाती है
ITMS कमांड सेंटर के प्रभारी शुभम सिंह ने कहा कि ITMS के कैमरा में नंबर डिटेक्टर लगा हुआ है. नियम तोड़ने वालों के वाहन नंबर मिलने के साथ ही वाहन चालक की जानकारी निकालकर उसके रजिस्टर्ड मोबाइल पर चालान की डिटेल भेज दी जाती है. इसी तरह से चोरी के वाहन की जानकारी सिस्टम पर डालने के बाद नंबर प्लेट के आधार पर उस वाहन को भी डिटेक्ट करना शुरू कर देता है.
इससे जनता भी खुश है
ITMS का स्वागत शहर की जनता भी कर रही है. ऐसे वाहन चालक जो ट्रैफिक नियमों का पालन करते है, उनका मानना है कि इसकी वजह से शहर का बिगड़ता ट्रैफिक सही हो रहा है.
स्मार्ट सिटी कर रही है संचालन
ITMS का संचालन स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा किया जाता है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के CEO दिव्यांक सिंह का कहना है कि इसके माध्यम से 35 चौराहे और 50 अन्य पॉइंट्स पर निगरानी रखी जाती है. हर महीने 3 से 4 हजार चालान इसके माध्यम से बनाए जा रहे हैं. जिससे लगभग 2 करोड़ रुपये सालाना प्राप्त भी हो रहे हैं.