Jabalpur: प्रदेश का इकलौता कैंसर इंस्टीट्यूट बदहाल, केंद्र से मिले 135 करोड़ का हिसाब-किताब नहीं, मामला हाई कोर्ट पहुंचा
जबलपुर: मध्य प्रदेश के इकलौते कैंसर इंस्टीट्यूट की हालत बदहाल
Jabalpur News: हर साल मध्य प्रदेश सरकार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन इस फंड का सही जगह इस्तेमाल नहीं हो पाता है. जनता के लिए इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. जबलपुर में खोला गया मध्य प्रदेश का इकलौता स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट आज भी सुविधाओं को मोहताज है. करोड़ों रुपये की लागत से भवन तो बनकर तैयार हो गया लेकिन मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. अब मामला अदालत तक पहुंच चुका है.
कैंसर इंस्टीट्यूट में नहीं है आवश्यक उपकरण
मध्य प्रदेश का इकलौता स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट जबलपुर में है. इसकी बिल्डिंग जितनी बड़ी है, यहां सुविधा उतनी ही कम है. करीब 50 करोड़ रुपये की लागत से नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज परिसर में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग तो बना दी गई लेकिन मरीजों के इलाज के लिए जो महत्त्वपूर्ण उपकरण खरीदे जाने थे वह आज तक नहीं खरीदे गए. जिसकी वजह से मरीजों को स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का लाभ नहीं मिल पा रहा है और उन्हें दूसरे प्रदेशों के बड़े शहरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
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18 जिलों से इलाज कराने पहुंचते हैं
इंस्टीट्यूट में प्रदेश के करीब 18 जिलों से कैंसर के मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं. जिसमें समूचा महाकोशल, विंध्य और बुंदेलखंड के जिले शामिल हैं. कुल मिलाकर प्रदेश का पहला और एकमात्र इंस्टीट्यूट वर्तमान में शोपीस बनकर रह गया है.
क्या है इंस्टीट्यूट का हाल?
केंद्र सरकार द्वारा स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट के लिए 135 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई थी. इस इंस्टीट्यूट के लिए साल 2014 में घोषणा हुई थी. आधे-अधूरे इंतजाम के साथ अक्टूबर 2022 में यहां ट्रीटमेंट शुरू हो पाया. करीब 67 करोड़ रुपये भवन व फर्नीचर के लिए स्वीकृत किए गए थे. 3 लीनियर एक्सीलेरेटर और कुछ अन्य आधुनिक उपकरणों के लिए 84 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं. 200 बिस्तर का अस्पताल हैं.
इसके साथ ही आधुनिक आपरेशन थिएटर, 40 बिस्तर वाली सर्वसुविधायुक्त ICU स्वीकृत है. 250 पद स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें कई पद खाली पड़े हैं. इंस्टीट्यूट में रोजाना 150-200 कैंसर मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं. एकमात्र कोबाल्ट मशीन से रोजाना 120 मरीजों की सिकाई की जा रही है. वहीं रोजाना 10 से ज्यादा मरीज भर्ती किए जाते हैं.
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हाई कोर्ट पहुंचा मामला
प्रदेश के इकलौते स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट का मामला हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है. जबलपुर के अधिवक्ता विकास महावर की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. जिसमें बताया गया है कि किस तरीके से केंद्र सरकार के करोड़ों रुपये की होली खेली गई है.
करीब 135 करोड रुपए केंद्र सरकार ने स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए दिए गए थे. जिनमें से 84 करोड रुपये में अत्याधुनिक मशीनें खरीदी जानी थी लेकिन 9 सालों में मशीनों के लिए टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है. जिसकी वजह से ना तो मरीजों का ऑपरेशन हो पा रहा है और ना ही उन्हें रेडिएशन थेरेपी मिल पा रही है. याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया था. जवाब में राज्य सरकार ने टेंडर प्रक्रिया होने का हवाला दिया है इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की है.