MP News: एमपी की विरासत UNESCO में शामिल, सीएम मोहन यादव ने ट्वीट कर दी शुभकामनाएं

UNESCO: एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मध्यप्रदेश की 6 संपत्तियों का जोड़ा जाना, हमारे लिए गर्व और सम्मान का विषय है.
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ग्वालियर किला (फोटो- विकिपीडिया)

भोपाल: मध्य प्रदेश की धरोहर देश नहीं, बल्कि विश्व भर में चर्चित और उन्हें पहचान मिली है. UNESCO के विश्व हेरिटेज सेंटर द्वारा भारत की अस्थाई सूची में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध मध्यप्रदेश की 6 संपत्तियों को शामिल किया गया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मध्यप्रदेश की 6 संपत्तियों का जोड़ा जाना, हमारे लिए गर्व और सम्मान का विषय है. प्रदेशवासियों को इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं. विश्व धरोहर सम्मेलन के परिचालन दिशानिर्देशों का पालन किया गया है. 14 मार्च 2024 को यूनेस्को के विश्व हेरिटेज सेंटर द्वारा भारत की अस्थायी सूची में जोड़ा गया है.

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मध्य प्रदेश से छह विरासत संपत्तियों के लिए दस्तावेज दिए गए हैं:

(1) ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश – इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में राजा मानसिंह ने कराया था.यह किला मध्यकालीन स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया था.

(2) धमनार का ऐतिहासिक समूह – मंदसौर स्थित धमनार गुफाओं में चट्टानों को काटकर बनाए गए इस स्थल में 51 गुफाएं, स्तूप और सघन आवास हैं, जिन्हें 7वीं शताब्दी ईस्वी में तराशा गया था. निर्वाण मुद्रा में गौतम बुद्ध की मूर्तियां हैं.

(3) भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर – इनके निर्माण में किसी भी प्रकार के मसालों का उपयोग नहीं किया गया, बल्कि पत्थर के ऊपर पत्थर रखकर मंदिर तैयार किए गए थे.वहीं, भोजपुर मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में राजा भोज ने कराया था.मंदिर को पांडवकालीन भी माना जाता है.

(4) चंबल घाटी के रॉक कला स्थल (क्रमांकित नामांकन) – मध्य प्रदेश में रॉक कला, मुख्य रूप से चित्रात्मक, खुले बलुआ पत्थर के आश्रयों में, पेट्रोग्लिफ़िक, मुख्य रूप से कप मार्क परंपरा के साथ भी है. इसकी पहचान शिकार, संग्रहण और कृषि देहाती संस्कृति का चित्रण है. मूर्तियां और चट्टानों पर शिलालेख मध्यपाषाण युग के प्रतीत होते हैं, जिनमें शिकार के हथियारों से संबंधित चित्र हैं जो शिकार या जानवरों का पीछा करने के अलावा भाले और कुल्हाड़ी की तरह प्रतीत होते हैं.

(5) खूनी भंडारा-बुरहानपुर कुंडी भंडारा को ‘नाहर-ए-खैर -जरी’ के नाम से भी जाना जाता हैं. इसके माध्यम से पानी को शुद्ध करने के साथ एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है.

(6) रामनगर, मंडला का गोंड स्मारक – 350 साल पहले राजा हृदय शाह ने मोतीमहल का निर्माण करवाया था जो उस समय की वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है. सीमित संसाधन और तकनीक के बावजूद पांच मंजिला महल राजा की इच्छाशक्ति की गवाही देता है. समय के साथ ही दो मंजिलें जमीन में दब गई हैं लेकिन तीन मंजिलें आज भी देखी जा सकती हैं.

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