दो मंत्रियों के ध्वजारोहण कार्यक्रम में बदलाव, अब जबलपुर में तिरंगा फहराएंगे राकेश सिंह, डिप्टी CM जगदीश देवड़ा को देवास की मिली जिम्मेदारी

MP News: छिंदवाड़ा में कोई मंत्री ध्वजारोहण के लिए नहीं जाएगा. जिला कलेक्टर को ही सरकार ने जिम्मेदारी दी गई है
Now PWD Minister Rakesh Singh will hoist the tricolor in Jabalpur

अब जबलपुर में तिरंगा फहराएंगे PWD मंत्री राकेश सिंह

MP News: मध्य प्रदेश में ध्वजारोहण के कार्यक्रम से पहले दो मंत्रियों के कार्यक्रम में सरकार ने अचानक बदलाव कर दिया. बदलाव के पीछे की वजह पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह की आपत्ति थी. पिछले दिनों कैबिनेट के बीच में ही ध्वजारोहण के कार्यक्रम को लेकर राकेश सिंह ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि प्रभारी मंत्री भले ही जगदीश देवड़ा हैं लेकिन ध्वजारोहण जबलपुर में वह खुद करेंगे. इसके बाद सरकार ने पीडब्ल्यूडी मंत्री की बात को मान लिया और जगदीश देवड़ा को 460 किलोमीटर दूर देवास में ध्वजारोहण करने का आदेश जारी कर दिया है.

डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा जबलपुर के प्रभारी मंत्री हैं

दरअसल, जबलपुर के प्रभारी मंत्री उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा है. सरकार ने उन्हें जबलपुर में पिछले दिनों ध्वजारोहण के कार्यक्रम की जिम्मेदारी दी थी. फिर शुक्रवार यानी 24 जनवरी को उन्हें देवास में ध्वजारोहण करने के लिए आदेश जारी कर दिया. इसके साथ ही जबलपुर में पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह को ध्वजारोहण करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने एक और आदेश जारी किया है. वहीं छिंदवाड़ा में कलेक्टर मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन भी करेंगे.

छिंदवाड़ा में कोई मंत्री ध्वजारोहण के लिए नहीं जाएगा. जिला कलेक्टर को ही सरकार ने जिम्मेदारी दी गई है. पहली बार हुआ है कि सरकार ने ध्वजारोहण के कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री को ध्वजारोहण के कार्यक्रम से हटाते हुए स्थानीय मंत्री को तवज्जो दी है.

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प्रभारी मंत्री की नियुक्ति को लेकर भी कई महीनों हुई चर्चा

मोहन सरकार के गठन के बाद मंत्रियों को पोर्टफोलियो तय हुआ. फिर उसके बाद प्रभारी मंत्री बनने को लेकर काफी मशक्कत चली. करीब 8 महीने की मशक्कत के बाद सरकार ने प्रभारी मंत्री नियुक्त किए लेकिन इसके बाद भी कई मंत्रियों के प्रभार को लेकर स्थानीय नेता नाराज हुए.

हालांकि कई जिलों में प्रभारी मंत्री के दौरे को लेकर भी कई चर्चाएं हुईं. मंत्री स्थानीय लोगों से संवाद नहीं करते और उनका दौरा भी काफी कम होता है. उदाहरण के तौर पर भोपाल की जिम्मेदारी चेतन्य काश्यप के पास है. भोपाल में पहली समीक्षा बैठक करने के दौरान तीन बार कार्यक्रम में बदलाव हुआ था.

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