Ujjain: शिवनवरात्रि के तीसरे दिन बाबा महाकाल का शेषनाग शृंगार किया गया, रजत बिल्ब पत्र के साथ चंदन और ड्राईफ्रूट से सजाया गया

ShivNavratri: चंदन, भांग, ड्राईफ्रूट, रूद्राक्ष, फूलों और रजत मुंडों से सजाया गया. बाबा महाकाल के मस्तक पर चांदी का बिल्ब पत्र लगाया गया
On the third day of Shiv Navaratri, Baba Mahakal was adorned with Sheshnag

शिवनवरात्रि के तीसरे दिन बाबा महाकाल का शेषनाग शृंगार किया गया

Shiv Navratri: मध्य प्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) स्थित है. यहां हर साल की तरह इस बार भी महाशिवरात्रि (MahaShivratri) से पहले शिवनवरात्रि (ShivNavratri) का उत्सव मनाया जा रहा है. इस उत्सव के प्रत्येक बाबा महाकाल (Baba Mahakal) का अद्भुत शृंगार किया जाता है. तीसरे दिन बाबा का शेषनाग शृंगार किया गया है.

महाकाल मंदिर में ही मनाई जाती है शिवनवरात्रि

शिवनवरात्रि प्रारंभ होते ही बाबा महाकाल के दरबार में जश्न शुरू हो गया है. शिवनवरात्रि के तीसरे दिन यानी बुधवार को बाबा महाकाल को विशेष वस्त्रों से सजाकर दूल्हा बनाया गया. दरअसल महाकाल के दरबार में विवाह का उत्सव मनाया जा रहा है. 10 दिनों तक बाबा को भस्मारती से लेकर शयन आरती तक दूल्हे के रूप में तरह-तरह से सजाया जाएगा. शिवनवरात्रि उत्सव बारह ज्योतिर्लिंगो में से केवल महाकाल में ही मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: शिवाय अपहरणकांड के मुख्य आरोपी निकले रिश्तेदार, पुलिस ने अब तक 7 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया

रजत शेषनाग से सजाया गया

शिवनवरात्रि के तीसरे दिन बाबा महाकाल को रजत शेषनाग का मुकुट पहनाया गया. इस मुकुट में वासुकी नाम भी है. इसके अलावा चंदन, भांग, ड्राईफ्रूट, रूद्राक्ष, फूलों और रजत मुंडों से सजाया गया. बाबा महाकाल के मस्तक पर चांदी का बिल्ब पत्र लगाया गया.

भोग आरती और संध्या आरती का समय बदलेगा

शिवनवरात्रि के समय बाबा महाकाल की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भोग आरती और संध्या पूजन का समय बदल जाएगा. आम दिनों में भोग आरती सुबह 10 बजे और संध्या आरती 5 बजे होती है. वहीं शिवनवरात्रि के समय भोग आरती दोपहर 1 बजे होगी और संध्या आरती 3 बजे की जाएगी.

ये भी पढ़ें: कैलारस में ट्रैक्टर और बस में जोरदार टक्कर, हादसे में 2 लोगों की मौत, 6 लोग घायल

क्यों मनाया जाता है शिवनवरात्रि उत्सव?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. देश भर के सभी शिव मंदिरों में इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है. इसके लिए आयोजन 9 दिन पहले से ही शुरू हो जाते हैं जिसे शिवनवरात्रि के नाम से जाना जाता है. हर दिन बाबा महाकाल का शृंगार विशेष रूप से किया जाता है. किसी दिन बाबा को मेहंदी लगाई जाती है तो किसी दिन हल्दी. इस हर दिन अलग-अलग रूप में बाबा को सजाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है.

इस बार 9 की जगह 10 दिन मनाया जाएगा उत्सव

वैसे तो महाकाल मंदिर में शिवनवरात्रि का उत्सव 9 दिनों तक मनाया जाता है. लेकिन इस बार ये 10 दिन तक मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार तिथि वृद्धि के कारण इस बार शिवनवरात्रि पर्व 10 दिन मनाया जाएगा. 30 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है.

ज़रूर पढ़ें