MP News: प्रमोशन में आरक्षण मामले में राज्य सरकार को HC से मिली राहत, 9 सितंबर को अगली सुनवाई, कोर्ट में बताना होगा नई और पुरानी नीति में अंतर
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
MP News: प्रमोशन में आरक्षण मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को राहत दी है. इस मामले में गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए न्यायालय से समय मांगा है. प्रदेश सरकार ने कोर्ट में जिरह के लिए वकील सीएस वैद्यनाथन और तुषार मेहता को नियुक्त किया है. राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि अधिवक्ताओं को जवाब देने के लिए समय चाहिए.
9 सितंबर को अगली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की मांग को स्वीकार कर लिया गया है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि सरकार ने जो चार्ट पेश किया है, वह स्पष्ट नहीं है. आंकड़े जनगणना के आधार पर हैं या फिर सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व के आधार पर दिए गए हैं. इस मामले में कोर्ट ने तुलनात्मक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.
नई नीति के तहत नहीं मिलेगी पदोन्नति
पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अगली सुनवाई तक किसी को नई नीति के तहत पदोन्नति नहीं दी जाएगी. मामले में भोपाल की डॉ स्वाति तिवारी सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि हाई कोर्ट पहले ही साल 2002 के प्रमोशन नियमों को आरबी राय केस में रद्द कर चुका है.
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क्या है प्रमोशन में आरक्षण?
प्रमोशन में आरक्षण एक प्रक्रिया है, जिसके तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों को लाभ दिया जाएगा. राज्य सरकार ने इसके लिए प्रारूप भी तैयार कर लिया है और इसके कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई थी. प्रमोशन के लिए दो तरह की लिस्ट तैयार किया जाना था. इसमें क्लास-वन ऑफिसर्स के प्रमोशन का आधार मैरिट-कम-सीनियरिटी को बनाया जाना था. वहीं क्लास-2 के नीचे के सभी अधिकारियों की लिस्ट सीनयरिटी-कम-मैरिट के आधार पर तैयार की जानी थी.