MP News: प्यास बुझाने वाले पानी के पाउच हो सकते हैं खतरनाक, न कंपनी का पता न डेट, खुलेआम हो रही बिक्री

गैर-मानक स्तर के पानी पाउचों की बिक्री सबसे ज्यादा पान दुकान, होटल, बस स्टैण्ड के साथ-साथ किराना दुकान में हो रही है. इस तरह के दूषित पाउचों की बिक्री का कारोबार चरम पर पहुंच चुका है.
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पानी के पाउच

MP News: तापमान बढ़ने के साथ ही शहर के साथ-साथ कस्बाई इलाकों में प्यास बुझाने के लिए पानी के पाउच दुकानों में पहुंच चुके हैं. ऐसे पानी के पाउच में न तो कम्पनी का पता रहता है और न ही गुणवत्ता की गारंटी ही रहती है. इतना ही नहीं दुकानदार मनमाने कीमत पर पाउच बेच रहे हैं. तेज धूप के चलते लोगों को दूषित पानी के पाउच से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है.

तापमान में हो रहे इजाफे के साथ ही लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. चिलचिलाती धूप में अपने काम से निकलना लोगों की मजबूरी बना हुआ है वहीं मौसम में आए परिवर्तन की वजह से हर किसी को प्यास ज्यादा लगती है. लिहाजा लोगों को ठण्डे पानी का सहारा लेना पड़ रहा है. लोगों की इसी मजबूरी का फायदा पानी पाउच विक्रेता जमकर उठा रहे हैं. प्रतिस्पर्धा एवं ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की होड़ में गुणवत्ताविहीन पानी का कारोबार फल-फूल रहा है. मौसम व बढ़ती गर्मी के चलते बढ़ती प्यास की वजह से इसकी मांग भी लगातार बढ़ रही है. बताया जाता है कि 60 रुपए में मिलने वाली पाउच की बोरी को दुकानदार बर्फ या फ्रिज में ठंडा कर 2 से 3 रुपए में बेच रहे हैं.

पाउचो में एक्सपाइरी डेट लापता

बाजार में बिकने वाले पानी के पाउचों में न तो कम्पनी का नाम ही लिखा रहता है और न ही निर्माण तिथि अंकित रहती है। इतना ही नहीं पाउचों में इस बात का उल्लेख नहीं रहता है कि पाउच की एक्सपाइरी कब तक है। सूत्रों की माने तो क्षेत्र में बिना किसी पंजीयन एवं अनुमति के लिए ही दर्जनों लोगों द्वारा स्थानीय स्तर एवं बाहरी जिलों से पाउच मंगाकर बेचा जा रहा है। संबंधित विभाग द्वारा कस्बाई इलाकों में बिक हे दूषित पानी पाउचों को लेकर संबंधित दुकानदारों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है।

जगह-जगह बिखरे मिल जाते हैं पाउच

ग्रामीण अंचलों में दूषित एवं गंदे पानी की बोतलों एवं पाउचों की बिक्री बढ़ती जा रही है. दूषित जल की वजह से लोगों को बीमारी भी होने लग गई है. अमानक स्तर के पानी पाउच व बोतलों की बिक्री जारी है. जागरुकता के अभाव में जहां आम जन दूषित पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं तो वहीं दूसरी तरफ खाद्य एवं औषधि विभाग भी जागरुक नहीं है. इतना ही नहीं विभाग द्वारा किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे शासन को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है. बताया जाता है कि पानी पाउचों की बिक्री लाखों रुपए प्रति माह होती है. इन पाउचों के लेन-देन का कहीं कोई बिल भी नहीं बनाया जाता है. इस तरह के पाउचों में आईएसआई मार्का भी अंकित नहीं है. दूषित पानी पीने की वजह से लोगों को बीमारी भी हो रही है. लोगों के स्वास्थ के साथ जहां खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ आर्थिक क्षति भी हो रही है. बाजार में बिक रहे दूषित पानी के पाउचों पर रोक लगाने की मांग उठने लगी है.

जगह-जगह बिक्री होती मिल जायेगी

गैर मानक स्तर के पानी पाउचों की बिक्री सबसे ज्यादा पान दुकान, होटल, बस स्टैण्ड के साथ-साथ किराना दुकान में हो रही है। इस तरह के दूषित पाउचों की बिक्री का कारोबार चरम पर पहुंच चुका है, जिस पर अंकुश लगाने वाला कोई भी नहीं है. अफसोस जनक बात तो यह है कि जिले में पानी की बिक्री करने वाली कितनी कम्पनियां है इसकी जानकारी संबंधित विभाग को ही नहीं है, मुसीबत बनती जा रही है. खेत, मैदान के अलावा नालियां इस तरह के पोंछा से भारी पड़ी है इसको खाने से जानवर भी बीमार होते हैं साथ ही नालियां भी जाम हो रही है.

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