पिछले साल नवंबर 2024 में संभल का ये ढांचा उस वक्त सुर्खियों में आया, जब हिंदू पक्ष ने दावा ठोक दिया कि ये शाही जामा मस्जिद असल में श्री हरिहर मंदिर है. मामला चंदौसी कोर्ट से शुरू हुआ और देखते ही देखते इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.
इस बावड़ी का निर्माण बिलारी सहसपुर के राजा चंद्र विजय सिंह के शासनकाल में हुआ था. बावड़ी की देखरेख और इसके उपयोग का जिम्मा रानी सुरेंद्र बाला के पास था, जिन्हें यह रियासत के मैनेजर ने रहने के लिए दी थी.
Bhojshala Survey: भोजशाला में रविवार की सुबह तीन तरफ से उत्खनन शुरू हुआ है. यहां ट्रेंच को और गरा किया जा रहा है.