Lok Sabha Election: यूपी में कांग्रेस को एक और झटका, वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा BJP में हुए शामिल

Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद रहे डॉ. राजेश मिश्रा बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली.
Lok Sabha Election 2024

भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए डॉ. राजेश मिश्रा

Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, वाराणसी लोकसभा सीट से सांसद रहे डॉ. राजेश मिश्रा बीजेपी में शामिल हो गए. दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में मंगलवार को उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. 2004 में कांग्रेस पार्टी की टिकट पर उन्होंने वाराणसी लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंचे थे. इसके बाद से इस सीट पर कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने राजेश मिश्रा को वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया.

बीजेपी में शामिल होने से पहले ऐसी चर्चा थी कि राजेश मिश्रा कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी में जा सकते हैं. जिसके बाद सपा के टिकट पर भदोही लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि, अब ऐसी अटकलें है कि बीजेपी उन्हें भदोही से चुनाव लड़ा सकती है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और राजेश मिश्रा के बीच चल रही खिंचतान लंबे समय से चर्चा का विषय बनी रही है, लेकिन चुनाव के बीच कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं में यह अनबन पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान हो सकता है.

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“दुनिया में देश का नाम कर रहे हैं मोदी जी” 

बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद राजेश मिश्रा ने कहा कि मेरी कोशिश होगी की इस बार वाराणसी लोकसभा सीट पर विपक्षी दल का जो प्रत्याशी होगा उसको पोंलिग एजेंट नहीं मिलेगा. उन्होंने आगे कहा कि ये सौभाग्य की बात है की मोदी जी जैसा शख्स वाराणसी को सांसद के रूप में मिला है. मोदी जी ने पूरे दुनिया में देश का नाम रौशन किया है. राजेश मिश्रा को रवि शंकर प्रसाद और अरुण सिंह ने पार्टी में शामिल कराया.

पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खोला था मोर्चा

इससे पहले फरवरी में राजेश मिश्रा ने सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने के बाद पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस का संगठन धवस्त हो चुका है, अब पार्टी के पास बूथ स्तर के कार्यकर्ता नहीं बचे. पिछले तीस सालों में कांग्रेस उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में कमजोर होती चली गई.

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