Chhattisgarh News: रायपुर के BSUP कॉलोनी की हालत जर्जर, जान जोखिम में डालकर मकान में रहने पर मजबूर लोग
Chhattisgarh News: रायपुर नगर निगम के कोटा क्षेत्र में स्थित सरकारी BSUP कॉलोनी की हालत ऐसे हो गई है. जिसे देखकर आप भी दंग राज जाएंगे. इस कॉलोनी में 600 से ज्यादा लोग रहते है. जिनपर मौत का खतरा भी है. यहां के मकान भी जर्जर हो चुके है, लेकिन गरीब लोग जान जोखिम में डालकर यहां रहने पर मजबूर है.
जर्जर हालत में BSUP कॉलोनी, दहशत में 600 से ज्यादा लोग
BSUP कॉलोनी पूरी जर्जर हो चुकी है, साल 2011 में बने इस कॉलोनी में 164 घरों में लगभग 600 लोग रहते हैं. इन सभी की जिंदगी मौत के छत के नीचे बीत रही है. क्योंकि इस कॉलोनी के घर के छत कभी भी गिर सकते हैं. बिल्डिंग की हालत ऐसी है कि जगह-जगह पर बिल्डिंग पर ही पौधे उग गए हैं. बिल्डिंग से सटा नाला खुला पड़ा हुआ है, और नाले में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. बदबू से कॉलोनी के लोगों का जीना दुर्भर हो गया है. बिल्डिंग के छत से सरिया और सीमेंट अलग हो गया है. इस कॉलोनी का निर्माण भी अधूरा किया गया. यहां अंतिम सीढ़ी भी नहीं बनाई गई है. जिसके कारण लोग बांस की सीढ़ी के सहारे कपड़े सुखाने छत पर चढ़ते हैं. अगर थोड़ी सी भी चूक हुई तो लोगों की जान जा सकती है. कॉलोनी के लोग गरीबी होने के कारण जान जोखिम में डालकर इन जर्जर घरों में रहने के लिए मजबूर हैं. क्योंकि इसके अलावा लोगों के पास रहने का कोई दूसरा साधन नहीं है.
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कमरे में सीपेज से गीली दीवार, लोगों को करंट लगने का भी डर
BSUP कॉलोनी में घरों के कमरों में सीपेज होने के कारण दीवार गीली हो गई है. जिससे घर में लोगों को करंट लगने का भी डर बना हुआ है. घर में रहने वाले बच्चे भी भय के माहौल में है, यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि गरीबी के मारे उन्हें यहां मजबूरन रहना पड़ रहा है. हमेशा उन्हें डर लगा रहता है कि कभी भी उनके ऊपर छत ना गिर जाए. लोग प्रशासन से शिकायत कर कर के थक चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने बिल्कुल भी उनकी समस्या पर सुध नहीं लिया. यही वजह है कि आज भी वह जर्जर हो रहे मकान में अपना जीवन बिता रहे हैं.
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
जब विस्तार न्यूज़ ने जिम्मेदारों से इसकी वजह जाना तब उनके द्वारा बताया गया कि हमारे संज्ञान में BSUP के बिल्डिंग में सिपेज की समस्या है. हम लोगों ने समस्या के निदान के लिए राज्य सरकार से पर्याप्त राशि की मांग की है. कुलमिलाकार सवाल यह उठता है कि आखिरकार जर्जर हालत होने के बावजूद इस बिल्डिंग की मरम्मत क्यों नहीं की जा रही है. सरकारी पैसे आने तक क्या लोग अपना जान ऐसे ही जोखिम में डालकर वहां गुजारेंगे. और क्या कोई दुर्घटना घट जाएगी तब प्रशासन जागेगी?