MP News: शिवराज का फैसला नहीं बदलेगी मोहन सरकार, राजधानी परियोजना को लेकर ये बोले PWD मंत्री

MP News: राजधानी की सड़क और पार्क में सुधार के लिए राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने सरकार से राजधानी परियोजना को बहाल करने के लिए पत्र लिखा था. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राजधानी परियोजना नहीं शुरू की जाएगी.
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मोहन यादव

MP News: राजधानी भोपाल की सड़क और पार्क में सुधार के लिए राज्य मंत्री कृष्णा गौर ने सरकार से राजधानी परियोजना को बहाल करने के लिए पत्र लिखा था. वहीं, अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राजधानी परियोजना शुरू नहीं की जाएगी. इसका मलतब साफ है कि शिवराज सरकार में दिए गए फैसले को मोहन यादव की सरकार नहीं बदलेगी. पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार की मंशा नहीं है कि कैपिटल प्रोजेक्ट एडमिनिस्ट्रेशन यानी कि सीपीए की फिर से शुरुआत की जाए.

दरअसल, राजधानी परियोजना के अंतर्गत पिछले कई सालों से शहर की सड़क, नाले-नालियां और पार्क की व्यवस्था सुधारने का जिम्मा था, लेकिन साल 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहर का मुआवजा करने निकले. इस दौरान राजधानी परियोजना की बड़ी लापरवाही सामने आई. इसके बाद करीब हजार करोड़ रुपए से भी अधिक बड़े बजट वाले विभाग को ही सरकार ने खत्म कर दिया. इसके बाद सरकार ने सीपीए का विलय करते हुए नगर निगम, स्मार्ट सिटी, भोपाल डेवलपमेंट अथॉरिटी हाउसिंग कॉरपोरेशन, पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट को काम विभाजित कर दिया.

विधायक आरिफ मसूद ने भी लिखा था पत्र

बता दें, गोविंदपुरा क्षेत्र से विधायक और सरकार में राज्य मंत्री कृष्णा गौर के अलावा मध्य से विधायक मसूद ने भी सरकार को पत्र लिखते हुए कैपिटल प्रोजेक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को फिर से शुरू करने के लिए मांग की थी. पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है. फिर से कैपिटल एडमिनिस्ट्रेशन प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू नहीं किया जाएगा.

भ्रष्टाचार के मामलों में सबसे ज्यादा विवादों में रहा सीपीए

करीब 62 साल पहले शुरू हुए राजधानी परियोजना में लंबे समय तक एक ही विभाग में अधिकारी पदस्थ रहे. सबसे ज्यादा विवादों में जवाहर सिंह का नाता रहा. भ्रष्टाचार के मामले में अक्सर जवाहर सिंह की भूमिका को लेकर सवाल उठाए जाते थे. साल 2020 में सीपीए को बंद करने से पहले उनको बीडीए मूल विभाग में भेज दिया गया था. करीब 15 सालों तक कैपिटल एडमिनिस्ट्रेशन प्रोजेक्ट में पदस्थ रहे जवाहर सिंह को आखिरकार मंत्री के समर्थन के बाद भी सरकार ने हटा दिया.

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