सारनाथ एक्सप्रेस के AC कोच में ड्यूटी के दौरान अटेंडेंट की अचानक मौत, पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा शव

CG News: छपरा से दुर्ग तक चलने वाली सारनाथ एक्सप्रेस ट्रेन के A1 कोच 55 वर्षीय अटेंडेंट अमित कुमार सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई.
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CG News: इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ की जब चल रही है. ट्रेन घंटों देरी से चल रही हैं. यात्रियों के साथ ट्रेन में चाक चौबंद व्यवस्था रखने वाले ठेका कर्मचारी भी परेशान हैं. इसी बीच चलती ट्रेन से एक दुखद खबर आई है. आपको ट्रेन में बेड रोल मुहैया कराने वाले एक शख़्स की ड्यूटी के दौरान दुःखद मौत हो गई है. घटना छपरा से दुर्ग जाने वाली सारनाथ एक्सप्रेस की है. इस दुखद मौत के बाद साथी कर्मचारी काफी गमगीन हैं.

AC कोच में ड्यूटी के दौरान अटेंडेंट की मौत

छपरा से दुर्ग तक चलने वाली सारनाथ एक्सप्रेस अपने पहले स्टेशन छपरा से करीब 10 घंटे देरी से दुर्ग के लिए रवाना हुई. रोज़ाना की तरह सफाईकर्मी और अटेंडेंट अपनी ड्यूटी में तैनात थे. तभी ट्रेन छपरा और बनारस के बीच स्थित ओढियार स्टेशन पहुंच ही रही थी कि ट्रेन के A1 कोच 55 वर्षीय अटेंडेंट अमित कुमार सिंह, चक्कर खाकर अटेंडेंट सीट से नीचे गिर गए. ये देखकर उनके साथ बैठे स्वच्छताकर्मी ने उन्हें जमीन से उठाने की कोशिश की, और अन्य ठेका कर्मचारियों को इसकी जानकारी दी. इस खबर के बाद कोच के अन्य यात्रियों के साथ ट्रेन कर्मियों के बीच हड़कंप मच गया और बेहोश हो गए अटेंडर अमित कुमार सिंह के सीने और पीठ में पंप किया गया, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. और सबने मान लिया कि उसकी ह्रदय गति रूकने से मौत हो गई है.

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बनारस रेलवे कंट्रोल को दी गई सूचना

ट्रेन में यात्रा कर रहे उनके सहकर्मी ने बताया कि अमित की इस हालत के बारे में वाराणसी स्टेशन के कंट्रोल को बताया गया. जिसके साथ ही ट्रेन ओढियार से बनारस के लिए भी रवाना हो गई. और करीब 10 बजे रात जब ट्रेन बनारस पहुंची. तो वहां कोई डाक्टर तो नहीं पहुंचा. पर अमित के शव को बनारस में उतार लिया गया और वहां से उनके घर वालो को सूचना देकर बुलाया गया और शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया.

ट्रेन में काम करना मजबूरी

सारनाथ एक्सप्रेस में उनके साथ यात्रा कर रहे सफाई सुपरवाइज़र ने देवेन्द्र सिंह बताया कि 55 वर्षीय मृतक अमित कुमार सिंह बिहार के छपरा जिले के फुकली गांव के रहने वाले थे. उनके घर में एक बेटा और पत्नी थे. लेकिन कम जमीन में खेती बाड़ी से घर के पालन पोषण में अब समस्या आ रही थी. लिहाज़ा वो परिवार की बेहतरी के लिए क़रीब एक साल पहले ट्रेन की ठेका कंपनी में काम करने आए थे. मृतक के साथी सफ़ाई सुपरवाइज़ देवेन्द्र सिंह और विजेन्द्र सिंह ने बताया वो उनके गाँव के बगल वाले गांव के ही रहने वाले हैं. और उनकी मौत के बाद परिवार के लोग सदमे में हैं. और हो भी क्यों ना. घर में राशन पानी की व्यवस्था करने वाला जो नहीं रहा.. ग़ौरतलब है कि अमित की मौत के बाद मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए और सामाजिक न्याय की दिशा में काम करते हुए . ठेका कंपनी को मुआवजा देना चाहिए. ताकि उसके टूट चुके परिवार को कुछ तो मदद मिले.

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