क्या है दिल्ली के ऑटोवालों का मूड? विधानसभा चुनाव में केजरीवाल को दे सकते हैं बड़ा झटका
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दिल्ली के ऑटो चालक
Delhi Election 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 की बारीकियां अब सिर्फ नेताओं तक सीमित नहीं हैं. इस बार दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले वो छोटे-छोटे ऑटो भी चुनावी रेस का हिस्सा बन चुके हैं, और इनका वोट बन चुका है गेमचेंजर. तो क्यों है ऑटो ड्राइवर्स की इतनी अहमियत, और कौन सी पार्टी इन्हें लुभाने के लिए तैयार है? आइए विस्तार से जानते हैं.
ऑटो ड्राइवर्स का वोट
दिल्ली की सड़कों पर रोज़ाना लाखों ऑटो ड्राइवर्स, सिर्फ सवारी नहीं ढोते, बल्कि राजनीतिक दिशा भी तय करते हैं. ये ड्राइवर्स न सिर्फ सवारी से चुनावी मुद्दों पर गपशप करते हैं, बल्कि उनके द्वारा जुटाया गया फीडबैक सीधे नेताओं तक पहुंचता है. अगर ये ऑटो ड्राइवर्स किसी पार्टी का समर्थन कर दें, तो उस पार्टी की जीत की रफ्तार तेज हो जाती है.
प्रचार का सुपरहिट तरीका: ऑटो ड्राइवर्स!
सड़कों पर चलने वाले ये ऑटो केवल यातायात के साधन नहीं हैं, बल्कि चलते-फिरते चुनावी पोस्टर भी बन चुके हैं. जब ऑटो ड्राइवर किसी पार्टी के साथ होते हैं, तो उनके ऑटो पर पार्टी के पोस्टर और स्लोगन चिपक जाते हैं. ये सबसे सस्ता और सबसे प्रभावी प्रचार तरीका बन जाता है. तो, क्या आप सोच सकते हैं कि दिल्ली के हर गली-कोने में चलने वाले इन ऑटो ड्राइवर्स के समर्थन से कितनी ज़ोरदार चुनावी लहर बन सकती है?
केजरीवाल की 5 गारंटी और बीजेपी के तगड़े वादे
अब बात करते हैं दोनों प्रमुख पार्टियों के वादों की, जिनसे ऑटो ड्राइवर्स की ज़िंदगी बदलने का दावा किया जा रहा है.
केजरीवाल की 5 गारंटी
10 लाख का जीवन बीमा, 5 लाख का एक्सीडेंट इंश्योरेंस – सुरक्षा का पूरा इंतजाम.
बेटी की शादी में 1 लाख की मदद – घर की खुशी में सरकार का साथ.
वर्दी के लिए 5000 रुपए – हर साल ऑटो ड्राइवर्स को नया लुक.
ऑटो ड्राइवर्स के बच्चों के लिए प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग का खर्च
बीजेपी के वादे
हर लाइसेंस धारी ऑटो वाले के बच्चों की स्कूल शिक्षा निशुल्क होगी और उनके उच्च शिक्षा लेने के इच्छुक बच्चों को सरकार वजीफा देगी.
दिल्ली के सभी ऑटो वालों के लिए विशेष योजना लाकर 17 सितम्बर 2025 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की योजनाओं के अंतर्गत जीवन बीमा कवर दिया जायेगा.
दिल्ली के सभी ऑटो वाले जिनके निजी आवास नही है, उन्हें प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ दिया जायेगा.
दिल्ली की सभी कॉलोनियों में, मार्किटों में ट्रैफिक पुलिस से मिलकर ऑटो वालों के लिए हालट एंड गो स्टैंड बनेंगे.
दिल्ली में ऑटो वालों को लास्ट माइल कनेक्टिविटी योजना का अहम भाग बना कर इनके रोजगार को और सुरक्षित बनाया जायेगा.
ई –ऑटो रिक्शा लेने वाले ऑटो वालों को दो वर्ष तक प्रति माह बिजली रीचार्ज सहयोग राशि दी जायेगी.
दिल्ली के सभी ऑटो फिटनेस सेंटरों में कमेटी बनेगी जिसमें दो ऑटो चालक प्रतिनिधियों को शामिल किया जायेगा ताकि फिटनेस सेंटरों में भ्रष्टाचार पर रोक लगे.
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क्या हैं असली मुद्दे?
ऑटो ड्राइवर्स के लिए कई मुद्दे हैं, जिनका हल वे चुनावी वादों में ढूंढ रहे हैं. हमने दिल्ली के ऑटो चालकों से बातचीत की है और उनकी राय जानने की कोशिश की है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनका क्या रुख रहेगा. ऑटो ड्राइवर्स की संख्या राजधानी में लाखों में है और इनकी सक्रियता चुनावी माहौल को प्रभावित करती है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ऑटो चलाने वाले चालकों ने कई मुद्दे गिनाए हैं.
एक चालक ने कहा कि ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या से पारंपरिक ऑटो चलाना मुश्किल हो गया है. वहीं दूसरे ने कहा कि महिलाओं के लिए फ्री बस सेवा – और बढ़ती यात्रा के विकल्पों से ऑटो का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है. एक चालक ने कहा कि हमने केजरीवाल को 10 साल दिए, उन्होंने हमें पटरी पर ला दिया है. दिल्ली के ऑटो चालकों में ‘आप’ सरकार के खिलाफ नाराजगी स्पष्ट दिख रही है, खासकर महंगे ऑटो, खराब सड़कें और काम की कमी को लेकर. हालांकि, शिक्षा और कुछ योजनाओं के कारण कुछ चालकों का समर्थन “आप” के साथ बना हुआ है. भाजपा के प्रति बढ़ते समर्थन और ‘आप’ के खिलाफ नाराजगी चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं.
पिछले चुनावों में AAP के साथ थे ऑटो ड्राइवर्स
पिछले दिल्ली चुनावों में ऑटो ड्राइवर्स का रुख कुछ ऐसा था कि उन्होंने चुनावी मैदान में अपनी सवारी से न केवल सड़कों को, बल्कि पार्टी की किस्मत भी बदल दी! 2013 में जब आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में कदम रखा, तो करीब 10,000 ऑटो ड्राइवर्स ने पार्टी का समर्थन किया. ये वही ऑटो ड्राइवर्स थे, जिन्होंने गली-गली में केजरीवाल के पोस्टर लगाए, उनके गाने बजाए और सवारियों से चुनावी मुद्दों पर बातचीत की. उनका यह समर्थन इतना जबरदस्त था कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में 28 सीटें मिल गईं, जो किसी चमत्कार से कम नहीं था!
फिर 2015 में जब दिल्ली में चुनाव फिर से हुए, ऑटो ड्राइवर्स का समर्थन और भी ताकतवर बनकर उभरा. इस बार उनकी संख्या लाखों में थी और चुनावी प्रचार में उनकी सक्रियता ने केजरीवाल की लहर को और तेज कर दिया. नतीजा? AAP ने 70 में से 67 सीटें जीतकर दिल्ली की राजनीति को हिला कर रख दिया. तो, ऑटो ड्राइवर्स के वोट पर सवार होकर ही तो राजनीति का एक नया रास्ता खुला था!
पूरी ताकत झोंक रही हैं राजनीतिक पार्टियां
दिल्ली में 70 विधानसभा सीटें हैं, और इस बार बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है. दोनों पार्टियां ऑटो ड्राइवर्स के वोट पाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं. कौन बनेगा दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री? यह सवाल अब इन ऑटो ड्राइवर्स के वोट पर निर्भर करेगा.
इस चुनावी माहौल में सड़कों पर सवारी करते ऑटो ड्राइवर्स की भूमिका बहुत अहम है. उनके वोट और समर्थन से न केवल चुनावी रुझान बदल सकते हैं, बल्कि दिल्ली की राजनीति भी एक नया मोड़ ले सकती है. तो क्या केजरीवाल या बीजेपी, कौन सा वादा करेगा जीत की सवारी? इस सवाल का जवाब अब इन ऑटो ड्राइवर्स के हाथों में है.