Maharashtra: भाषा विवाद के बीच महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, राज्य में अनिवार्य हुई ‘हिंदी’
महाराष्ट्र सरकार
Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने भाषा विवाद के बीच एक बड़ा फैसला लिया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि स्कुलों में ‘हिंदी’ भाषा अब अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाएगी. यह फैसला नई शिक्षा नीति 2020 के तहत लिया गया है. जिसमें त्रिभाषा फार्मूला को अपनाया गया है. अब तक महाराष्ट्र के स्कूलों में क्लास एक से चार तक इग्लिंश और मराठी अनिवार्य थे, वहीं हिंदी भाषा को विकल्प के रूप में रखा गया था. लेकिन अब सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इग्लिंश और मराठी के साथ हिंदी को भी अनिवार्य कर दिया है.
क्लास 5 तक हो पढ़ाई
फडणवीस सरकार के इस फैसले के बाद अब कक्षा 1 से 5 तक अनिवार्य रूप से हिंदी भाषा पढ़ाई जाएगी. महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला तब लिया जब पूरे भारत में भाषा को लेकर विवाद चल रहा है. बता दें, इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी भाषा के विरोध का अभियान चलाया और यह कई दिनों तक सुर्खियों में रहा था.
एमके स्टालिन और DMK सांसदों ने लोकसभा के बजट सत्र के दौरान संसद परिसर में कई दिनों तक त्रिभाषा फार्मूला का विरोध किया था. बजट सत्र के दौरान ये विवाद कई दिनों तक DMK सांसदों ने संसद परिसर में किया था. इस दौरान स्टालिन ने तमिलनाडु के बजट से रुपये के चिन्ह को बदल दिया था.
नई शिक्षा नीति के तहत लिया गया फैसला
कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में हिंदी को अनिवार्य रुप से लागू करने का फैसला नई शिक्षा नीति कि तहत लिया गया है. इसके अंतर्गत शिक्षा को तीन चरणों में बांटा जाएगा, जिसके अंतर्गत प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक शामिल होगें. सरकार का कहना था कि यह नीति का क्रियांवयन शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से शुरू होगा. इसके अंतर्गत कक्षा 1 से ही हिंदी भाषा पढ़ाई जाएगी. सरकार ने इस पाठ्यक्रम को तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCRET) और बालभारती को दी है.
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कुछ दिन पहले हिंदी भाषा का किया गया था विरोध
महाराष्ट्र में अभी हाल में ही हिंदी भाषा को लेकर काफी विवाद हो रहा था. राज ठाकरे की पार्टी द्वारा मराठी भाषा को लेकर एक आंदोलन शुरु किया गया था. जिसमें जो लोग सिर्फ हिंदी बोल पाते हैं और मराठी नहीं बोल पाते हैं, उनके साथ पार्टी के लोगों ने मारपीट की थी और मराठी न बोल पाने वालो को राज्य से बहार निकालने की धमकी भी दी थी. राज्य सरकार ने इसका विरोध किया और आंदोलन को खत्म करवाया.