बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट में EC का हलफनामा, कहा- बिना नोटिस नहीं हटेगा पात्र वोटर का नाम
सुप्रीम कोर्ट में ईसी दायर किया हलफनामा
Bihar SIR: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Bihar SIR) को लेकर निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपना हलफनामा दाखिल किया है. आयोग ने स्पष्ट किया कि बिना नोटिस और सुनवाई के किसी भी पात्र मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा. SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है, और प्रारूप मतदाता सूची जारी कर दी गई है. दावे और आपत्तियों की अंतिम तिथि 1 सितंबर 2025 है. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी.
SIR का पहला चरण पूरा
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का पहला चरण पूरा हो चुका है. 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की गई, जिसमें 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने अपने नाम की पुष्टि के लिए दस्तावेज जमा किए. इस प्रक्रिया में 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 बूथ स्तर अधिकारी (BLO), 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट शामिल रहे.
दावे और आपत्ती
ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद, मतदाताओं को अपने नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज करने का अवसर दिया गया है. इसके लिए अंतिम तिथि 1 सितंबर 2025 निर्धारित की गई है. सभी दावों का निपटारा सात कार्यदिवसों के भीतर किया जाएगा, और अपील की प्रक्रिया निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास उपलब्ध होगी.
याचिकाकर्ताओं के आरोप
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया में 65 लाख मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं और इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को आयोग को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. इस मामले में अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी.
आयोग ने बताया कि प्रवासी मजदूरों, युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. 246 अखबारों में हिंदी विज्ञापन, ऑनलाइन-ऑफलाइन फॉर्म सुविधा, शहरी निकायों में विशेष कैंप और 2.5 लाख स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है. किसी भी नाम को हटाने से पहले नोटिस और सुनवाई अनिवार्य है, और प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए रोजाना प्रेस रिलीज जारी की जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को आयोग से आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार करने पर विचार करने को कहा था, क्योंकि ये व्यापक रूप से उपलब्ध हैं. कोर्ट ने आयोग के 11 दस्तावेजों की सूची को गैर-संपूर्ण माना और इसे समावेशी बनाने की सलाह दी. आयोग ने आधार को नागरिकता का प्रमाण न मानते हुए इसे सूची से बाहर रखा, जिस पर कोर्ट ने सवाल उठाए.
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विपक्ष का विरोध और संसद में हंगामा
विपक्षी दलों, विशेष रूप से राजद, कांग्रेस ने SIR की समयबद्धता और प्रक्रिया पर सवाल उठाए, इसे दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ ‘साजिश’ करार दिया है. संसद में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ, और विपक्ष ने इसे ‘वोटों की डकैती’ बताया. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए संसद में चर्चा नहीं हो सकती.