“CM तो मैं ही बनूंगा, आतिशी तो…”, दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने क्यों कहा ऐसा?
Delhi Election: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शुक्रवार को एक मीडिया चैनल के कार्यक्रम में कई अहम बातें साझा कीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जीतती है, तो मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर वह खुद बैठेंगे.
सीएम का सवाल, केजरीवाल का जवाब
जब केजरीवाल से पूछा गया कि अगर आम आदमी पार्टी सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, तो उन्होंने बिना कोई संकोच किए कहा, “यह चुनाव अरविंद केजरीवाल के नाम पर लड़ा जा रहा है, और सीएम तो मैं ही बनूंगा. आतिशी सिर्फ एक निश्चित समय के लिए अस्थाई सीएम हैं.” केजरीवाल ने पहले ही ठान लिया है, अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की जीत हुई तो वो खुद ही सीएम बनेंगे.
आतिशी की अस्थाई भूमिका
दिल्ली के एलजी ने पिछले दिनों आतिशी की तारीफ की थी. जब केजरीवाल से इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मुझे इस बात से खुशी है कि वह उनकी सराहना कर रहे हैं, लेकिन मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि वोट आतिशी के नाम पर हो या मेरे नाम पर, लेकिन यह वोट झाड़ू पर ही देना चाहिए.”
ईमानदारी साबित होने के लिए जीतूंगा चुनाव- केजरीवाल
इस मौके पर केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर पर भी बात की. उन्होंने कहा, “जब मैं जेल से बाहर आया था, तो मुझ पर कई तरह के आरोप लगे थे. कोर्ट ने मुझे बेल दे दी, लेकिन जनता की अदालत सबसे बड़ी अदालत है. इसीलिए मैंने यह निर्णय लिया कि जब तक जनता मुझे ईमानदार घोषित नहीं करती, तब तक मैं मुख्यमंत्री नहीं बनूंगा.” उनका कहना था कि अगर जनता उन्हें दोबारा चुनेगी, तो वह मानेंगे कि उन्होंने ईमानदारी से कार्य किया है, और तब ही वह सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे.
सर्वे और टिकटों की सख्त नीति
इसके साथ ही, केजरीवाल ने पार्टी के टिकट कटने और उम्मीदवारों के बदले जाने पर भी सफाई दी. उन्होंने कहा, “हम चुनाव जीतने के लिए लड़ते हैं. हम उम्मीदवारों का चयन कई मापदंडों पर करते हैं – इसमें सर्वे, पिछले प्रदर्शन और उम्मीदवार की चुनावी क्षमता को प्रमुखता दी जाती है.” उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पार्टी के सर्वश्रेष्ठ हित में होती है, और इसलिए कई सीटों पर बदलाव किए गए हैं.
नतीजों का इंतजार
केजरीवाल का यह बयान पार्टी और जनता दोनों के लिए एक मजबूत संदेश था कि वह चुनावी मैदान में पूरी तरह से तैयार हैं. चुनावी रणनीतियों, उम्मीदवारों के चयन और जनता से जुड़ी उनकी नीतियों पर आधारित यह दृष्टिकोण साफ करता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए उनका दावा मजबूत है, और वह अपनी पार्टी की विजय के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. हालांकि, उनके दावे में कितना दम है ये तो चुनाव नतीजे के बाद ही पता चलेगा.