Electoral Bond: SBI को सुप्रीम कोर्ट से झटका, समय बढ़ाने की मांग खारिज, कल तक जारी करनी होगी पूरी डिटेल
Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को बड़ा झटका लगा है. अदलात ने इलेक्टोरल ब्रांड से जुड़ी डिटेल साझा करने के लिए 30 जून तक समय देने की मांग को खारिज कर दिया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. अब एसबीआई को मंगलवार को इलेक्टोरल ब्रांड से संबंधित पूरी जानकारी साझा करनी होगी.
दरअसल, एसबीआई द्वारा भारत निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल ब्रांड से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग की गई थी. लेकिन अब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बैंक द्वारा की गई मांग को खारिज करते हुए 12 मार्च को कामकाज की अवधी खत्म होने तक चुनाव बॉन्ड योजना से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए कहा है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान SBI की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है. साल्वे ने कहा है कि SBI की समस्या यह है कि पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ेगा. एसओपी ने सुनिश्चित किया था कि कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं हो.
एक बेहतरीन फैसला है, इसका स्वागत करती हूं- याचिकाकर्ता
वहीं याचिकाकर्ता जया ठाकुर का कहना है, “सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझा और बैंक (एसबीआई) को कल तक सभी दस्तावेज जमा करने का सख्त आदेश जारी किया. मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन फैसला है, मैं इसका स्वागत करती हूं.”
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस संबंध में जानकारी इकट्ठा करने और 15 मार्च को शाम 5 बजे से पहले अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डिटेल साझा करने का निर्देश दिया है. जबकि अदालत ने एसबीआई को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर 12 मार्च तक चुनावी बांड का विवरण चुनाव आयोग को नहीं सौंपा तो वह उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर देगा.
ये भी पढ़ें: Lok Sabha Election 2024: BJP के करिश्मे को कैसे चुनौती देगी कांग्रेस? देखें क्या कहते हैं आंकड़े
गौरतलब है कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने एसबीआई की याचिका पर फैसला सुनाया है. बैंक की इस याचिका में दानकर्ता की जानकारी, दानराशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने के लिए समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की गई थी.