जेब पर ‘डाका’ से लेकर व्यापार पर ‘ग्रहण’ तक…ईरान-इजरायल की टेंशन का भारत पर क्या होगा असर?

भारत के ईरान और इजरायल दोनों के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध हैं. हम इजरायल को कई चीजें बेचते हैं और उनसे रक्षा उपकरण, ड्रोन जैसी तकनीक खरीदते हैं. वहीं, ईरान से तेल, सूखे मेवे जैसी चीजें आती हैं.
Iran Israel War

ईरान और इजरायल के बीच जंग की स्थिति

Iran Israel War: मध्य पूर्व की में इन दिनों ईरान और इजरायल के बीच तनाव अपने चरम पर है. बीती पूरी रात दोनों देशों के बीच हवाई हमले तेज हो गए, हमलों में आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाया गया. ये सब ऐसा लग रहा है मानो कोई फिल्म चल रही हो, लेकिन हकीकत में इसके नतीजे काफी गंभीर हो सकते हैं, और इसका असर सिर्फ मध्य-पूर्व तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दूर बैठे भारत पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा.

आप सोच रहे होंगे कि हमसे इसका क्या लेना-देना? हम तो बहुत दूर हैं. लेकिन जरा ठहरिए, दुनिया अब एक ग्लोबल विलेज बन चुकी है और एक कोने में लगी आग दूसरे कोने तक भी अपनी आंच पहुंचाती है. आइए सबकुछ आसान भाषा में समझते हैं कि ये सब हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी और देश पर कैसे असर डालेगा.

आपकी जेब पर डाका?

सबसे पहला और सबसे सीधा असर पड़ेगा आपकी जेब पर. भारत अपनी ज़रूरत का ज़्यादातर तेल (लगभग 85%) दूसरे देशों से खरीदता है और इसका बड़ा हिस्सा मध्य-पूर्व से आता है. अगर ईरान और इजरायल के बीच लड़ाई बढ़ी, तो कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी.

पेट्रोल-डीजल महंगा: सोचिए, अगर क्रूड ऑयल $150 प्रति बैरल तक पहुंच गया, तो आपकी गाड़ी में पेट्रोल डलवाना कितना महंगा हो जाएगा? ये सीधे आपकी मासिक बजट पर भारी पड़ेगा.

महंगाई का डबल अटैक: तेल महंगा होने का मतलब है हर चीज़ महंगी होना, क्योंकि सामान लाने-ले जाने का खर्च बढ़ेगा, तो दाल-चावल से लेकर सब्जी तक सब पर इसका असर दिखेगा.

रुपया होगा कमज़ोर: जब देश से ज्यादा डॉलर बाहर जाएंगे तेल खरीदने में, तो हमारा रुपया डॉलर के मुकाबले कमज़ोर होगा. इसका मतलब है कि आपको विदेश यात्रा या विदेशों से सामान मंगाना और महंगा पड़ेगा.

शेयर बाजार में हलचल: जब भी कहीं युद्ध होता है, निवेशक घबरा जाते हैं. इससे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आएगा, जिसका असर आपकी बचत या निवेश पर दिख सकता है.

व्यापार पर ग्रहण?

भारत के ईरान और इजरायल दोनों के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध हैं. हम इजरायल को कई चीजें बेचते हैं और उनसे रक्षा उपकरण, ड्रोन जैसी तकनीक खरीदते हैं. वहीं, ईरान से तेल, सूखे मेवे जैसी चीजें आती हैं. अगर इन दोनों देशों में माहौल बिगड़ा, तो हमारा व्यापार भी प्रभावित होगा. सोचिए, दिवाली के सूखे मेवे महंगे हो सकते हैं.

दुनिया का ज़्यादातर व्यापार समुद्री रास्तों से होता है. लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे रास्ते इस क्षेत्र में पड़ते हैं. अगर यहांखतरा बढ़ा, तो जहाजों का आना-जाना मुश्किल होगा, जिससे सामान हम तक देर से पहुंचेगा और उसकी कीमत भी बढ़ जाएगी.

बता दें कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए इजरायल से कई आधुनिक हथियार और तकनीक खरीदता है. अगर युद्ध लंबा खिंचा, तो इन सौदों में देरी हो सकती है, जो हमारी सुरक्षा के लिए अच्छी बात नहीं होगी.

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एनर्जी सिक्योरिटी पर खतरा

भारत की ऊर्जा सुरक्षा काफी हद तक मध्य-पूर्व पर निर्भर करती है. अगर होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग, जहां से हमारा ज़्यादातर तेल आता है, बाधित हुए, तो यह भारत के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है. सरकार को अब वैकल्पिक रास्ते और ऊर्जा के दूसरे स्रोतों पर गंभीरता से सोचना होगा.

भारत की अग्निपरीक्षा!

भारत के ईरान और इजरायल दोनों से अच्छे संबंध हैं. ऐसे में जब ये दोनों देश आपस में भिड़ रहे हों, तो भारत के लिए अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी. हमें किसी एक का पक्ष लिए बिना शांति और कूटनीति की वकालत करनी होगी. यह भारत की अंतरराष्ट्रीय मंच पर भूमिका के लिए एक अहम परीक्षा होगी. हालांकि, भारत ने दोनों देशों से शांति बनाने के लिए कहा है.

हवाई यात्रा भी महंगी!

अगर ईरान और इराक का हवाई क्षेत्र बंद हो गया, तो यूरोप, अमेरिका या कनाडा जाने वाली भारतीय उड़ानों को लंबा चक्कर लगाना पड़ेगा. इससे न केवल यात्रा का समय बढ़ेगा, बल्कि हवाई टिकट भी महंगे हो जाएंगे.

यह सच है कि हम व्यक्तिगत तौर पर युद्ध को रोक नहीं सकते, लेकिन हम इसके प्रभावों के लिए तैयार रह सकते हैं. सरकार को अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना होगा, व्यापारिक मार्गों के लिए वैकल्पिक योजनाएं बनानी होंगी और अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति की अपील करते हुए अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत रखना होगा.

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