वायुसेना छोड़ बने संत, ‘महाभारत’ वाले अश्वत्थामा से हुई थी मुलाकात! 86 साल की उम्र में पायलट बाबा ने ली अंतिम सांस

1965 के युद्ध के दौरान, उन्होंने पाकिस्तानी शहरों के ऊपर कम ऊंचाई पर अपने Gnat विमान को उड़ाया. इस काम से उन्हें खूब प्रसिद्धि मिली थी. हालांकि, 1971 के युद्ध के बाद उन्होंने वायु सेना छोड़ दी.
Pilot Baba

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Pilot Baba dies: आध्यात्मिक गुरु और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे संत ने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में किया जाएगा. पायलट बाबा का मूल नाम कपिल सिंह था और वे भारतीय वायु सेना (IAF) में विंग कमांडर भी रह चुके थे. इसी उपाधि के कारण बाद में उन्हें ‘पायलट बाबा’ का नाम दिया गया.

पाकिस्तान के साथ युद्ध में पायलट बाबा ने लिया था हिस्सा

पायलट बाबा ने पाकिस्तान के साथ युद्ध में भी हिस्सा लिया था. हालांकि, बाद में उन्होंने मोह माया त्यागकर संत का रूप धारण कर लिया. पायलट बाबा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट में उनके निधन की घोषणा की गई, जिसमें लिखा था, “ओम नमो नारायण, भारी मन और हमारे प्रिय गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ, दुनिया भर के सभी शिष्यों, भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबा जी ने महासमाधि ले ली है. उन्होंने आज अपना नश्वर शरीर त्याग दिया है. यह सभी के लिए अपने घरों में शांत रहने और प्रार्थना करने का क्षण है. यह शांत रहने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का क्षण है. आगे के निर्देश सभी को बताए जाएंगे. नमो नारायण.”

 

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‘महाभारत’ के महान योद्धा अश्वत्थामा से मुलाकात का दावा

बता दें कि एक बार पायलट बाबा ने दावा किया था कि उन्होंने हिंदू महाकाव्य ‘महाभारत’ के महान योद्धा अश्वत्थामा से मुलाकात की थी. उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें ‘अनवील्स मिस्ट्री ऑफ हिमालय (पार्ट 1)’ और ‘डिस्कवर सीक्रेट ऑफ द हिमालय (पार्ट 2)’ शामिल हैं, जहां उन्होंने अपनी 16 साल की तपस्या के दौरान हिमालय में अपने अनुभव साझा किए.

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वायुसेना में पायलट बाबा का कार्यकाल

बिहार के सासाराम में जन्मे पायलट बाबा ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद 1957 में वायु सेना में शामिल हुए. 1965 के युद्ध के दौरान, उन्होंने पाकिस्तानी शहरों के ऊपर कम ऊंचाई पर अपने Gnat विमान को उड़ाया. इस काम से उन्हें खूब प्रसिद्धि मिली थी. हालांकि, 1971 के युद्ध के बाद उन्होंने वायु सेना छोड़ दी. हिंदुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद पायलट बाबा हिमालय चले गए. पायलट बाबा समाधि की अपनी अनूठी प्रथा के लिए प्रसिद्ध थे. जापान से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका तक उनके अनुयायी हैं.

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