भारत-कनाडा संबंधों की नई शुरुआत, दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर बनी सहमति, फिर राजदूत होंगे बहाल

प्रधानमंत्री मोदी-मार्क कार्नी
India-Canada Relations: भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ सालों से तनावपूर्ण रहे संबंधों में अब सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं. 9 महीने पहले दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था, लेकिन अब G-7 शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान दोनों देशों ने अपने-अपने उच्चायुक्तों (राजदूतों) को फिर से नियुक्त करने पर सहमति जताई है. यह कदम दोनों देशों के बीच सामान्य राजनयिक संबंधों को बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है.
खालिस्तान विवाद और ट्रूडो सरकार की नीतियां
भारत और कनाडा के संबंधों में खटास का प्रमुख कारण खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या थी. जो जून 2023 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में हुई थी. कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था. भारत ने इन आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताते हुए कनाडा पर खालिस्तानी चरमपंथियों को संरक्षण देने का पलटवार किया.
2023 में बढ़ा तनाव
ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था. भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं, और कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा सहित कई राजनयिकों को ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित किया. तनाव के कारण कनाडा में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों और वहां रहने वाले भारतीय समुदाय को वीजा और आव्रजन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा था.
G-7 समिट में नई शुरुआत
कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन ने दोनों देशों के लिए एक नया अवसर प्रदान किया. कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में संबंधों को सामान्य करने पर सहमति बनी.
उच्चायुक्तों की बहाली
दोनों देशों ने दिल्ली और ओटावा में अपने उच्चायुक्तों को फिर से नियुक्त करने का फैसला किया. यह कदम 9 महीने पहले राजनयिक संबंधों के निम्न स्तर पर पहुंचने के बाद उठाया गया है.
मार्क कार्नी ने भारत को एक महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक साझेदार बताया. उन्होंने जी-7 की प्रेस वार्ता में कहा कि ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे मुद्दों पर भारत के साथ सहयोग आवश्यक हैं. 10 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली कनाडा यात्रा थी, जो संबंधों को रीसेट करने का संकेत देती है.
संबंध सुधार के पीछे कारण
जस्टिन ट्रूडो की सरकार के दौरान भारत-कनाडा संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे. ट्रूडो पर आरोप था कि उन्होंने घरेलू राजनीति और सिख समुदाय के वोट बैंक को ध्यान में रखकर भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया.
ट्रूडो के अपमानजनक इस्तीफे और मार्क कार्नी के सत्ता में आने के बाद कनाडा की नीतियों में बदलाव आया. कार्नी ने भारत के साथ रचनात्मक संबंधों पर जोर दिया है.
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में, इसने कनाडा को अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के बिना वैश्विक आर्थिक योजनाएँ अधूरी हैं.
2023 में भारत-कनाडा द्विपक्षीय व्यापार 9.36 बिलियन डॉलर का था, जिसमें भारत के निर्यात 5.56 बिलियन डॉलर थे. कनाडा के लिए भारत एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है.
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भविष्य की संभावनाएन
उच्चायुक्तों की बहाली के साथ, दोनों देश अब व्यापार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे. कनाडा में 2022 में 8 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों में 40% भारतीय थे. संबंधों में सुधार से भारतीय छात्रों को वीजा और अध्ययन परमिट प्राप्त करने में आसानी होगी. दोनों देशों के बीच रुकी हुई मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता फिर से शुरू हो सकती है. भारत और कनाडा आतंकवाद विरोधी वार्ताओं को मजबूत करेंगे, विशेषकर खालिस्तान जैसे मुद्दों पर.