रायबरेली, कैसरगंज, फ़िरोज़ाबाद और देवरिया…यूपी की 4 सीटों पर फंसा बीजेपी का पेंच

यूपी की हाई प्रोफाइल सीट में शुमार कैसरगंज सीट पर भाजपा का कब्जा है. यहां से बृजभूषण शरण सिंह सांसद हैं. महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
पीएम मोदी और सीएम योगी

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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब 8 दिन बचे हैं, लेकिन अब तक 433 के करीब लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी बीजेपी यूपी की 4 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पाई है. इसमें ब्रजभूषण शरण सिंह की सीट कैसरगंज के साथ-साथ रायबरेली, देवरिया, फिरोजाबाद की लोकसभा सीट शामिल है.

पहले 12 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम को लेकर खींचातानी जारी था, लेकिन बीजेपी ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए. मछलीशहर की सुरक्षित सीट से बीपी सरोज को दोबारा टिकट दे दिया गया है. बलिया से वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काटकर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को टिकट दे दिया गया है. गाजीपुर से पारसनाथ राय, इलाहाबाद (प्रयागराज) से नीरज त्रिपाठी को मैदान में उतारा गया है. कौशांबी की सुरक्षित सीट से विनोद सोनकर और फूलपुर से प्रवीण पटेल को टिकट मिल गया है. आइये जानते हैं कि इन सीटों पर बीजेपी ने अब तक क्यों नहीं उम्मीदवार उतारे:

बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के लिए गले की फांस

बता दें कि यूपी की हाई प्रोफाइल सीट में शुमार कैसरगंज सीट पर भाजपा का कब्जा है. यहां से बृजभूषण शरण सिंह सांसद हैं. महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इसे लेकर पहलवानों ने दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी किया था. ऐसे में अगर भाजपा बृजभूषण शरण सिंह को टिकट देती है तो हरियाणा में जाट समुदाय नाराज हो जाएगा. इससे पार्टी को हरियाणा में चुनावी नुकसान झेलना पड़ सकता है. साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समाज के लोग नाखुश हो जाएंगे. पहले चरण में होने वाले मतदान में पश्चिमी यूपी की सीटों पर पार्टी शिकस्त खा सकती है. इस लिए इस सीट पर बीजेपी असमंजस की स्थिति में है.

रायबरेली में कांग्रेस का इंतजार कर रही है बीजेपी

अब तक सोनिया गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ती थी. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वो राजस्थान के रास्ते राज्यसभा पहुंच गईं हैं. स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता रायबरेली से प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में बीजेपी इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के नाम तय होने का इंतजार कर रही है. अगर कांग्रेस यहां से प्रियंका गांधी को टिकट देती है तो बीजेपी नुपूर शर्मा जैसी मजबूत नेत्री के सहारे उन्हें घेरने की कोशिश कर सकती है.

देवरिया से स्थानीय प्रत्याशी की मांग

अब बात देवरिया सीट की कर लेते हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार कलराज मिश्र ने जीत दर्ज की थी, वहीं 2019 में यहां से बीजेपी के रमापति राम त्रिपाठी चुनाव जीते थे. बीजेपी इस बार के चुनाव में यहां हैट्रिक लगाना चाहती है. हालांकि, बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ताओं की मांग ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. दरअसल, देवरिया में स्थानीय प्रत्याशी देने की मांग जोर-शोर से की जा रही है. पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस सीट से हमेशा बाहरी उम्मीदवार ही दिया जाता है, जबकि स्थानीय कार्यकर्ता केवल झंडा-बैनर उठाने में ही रह जाते हैं. देवरिया सीट से सूर्य प्रताप शाही का दावा सबसे मजबूत है. हालांकि, वो भूमिहार समुदाय से हैं. ब्राह्मण बहुल्य सीट होने के कारण कोई ब्राह्मण चेहरा ही जिताऊ माना जाता है. ऐसे में पार्टी पर किसी मजबूत ब्राह्मण चेहरे को उम्मीदवार बनाने का दबाव भी है.

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फिरोजाबाद में भी असमंजस बरकरार

फिरोजाबाद सीट से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को प्रत्याशी बनाया है. साल 2019 में इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार चंद्रसेन जादौन ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अक्षय यादव को हराया था. ऐसे में बीजेपी इस बार एक नए उम्मीदवार की तलाश में है. क्योंकि यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है. अपनी जीत को दोहराने के लिए बीजेपी किसी मजबूत कैंडिडेट पर दांव लगा सकती है.

 

 

 

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