MP News: विधानसभा सत्र से पहले मोहन सरकार के मंत्रियों को मिलेगा जिलों का प्रभार

MP News: प्रभारी मंत्री को जिले में चल रही योजनाओं की सीधी मॉनीटरिंग और नई योजनाओं की मंजूरी का अधिकार रहता है. साथ ही जिला स्तर पर होने वाले प्रत्येक कर्मचारी के तबादले के लिए प्रभारी मंत्री अनुशंसा करते हैं.

मोहन सरकार के मंत्रियों को मिलेगा जिलों का प्रभार

MP News: मध्य प्रदेश में सरकार का गठन हुए छह महीने बीत गए, लेकिन सरकार के गठन की प्रक्रिया की अंतिम कड़ी अभी बकाया है. प्रदेश में अब तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं सौंपा जा सका है, जबकि मुख्यमंत्री का पद संभालने के कुछ दिन बाद ही डॉ. मोहन यादव अपर मुख्य सचिवों को संभागों का प्रभार सौंप चुके हैं. वे संभागों का दौरा भी कर रहे हैं.

विधानसभा चुनाव के बाद गत 13 दिसंबर को डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई गई. सरकार ने ठीक से काम करना शुरू ही किया था कि लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए. 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही सरकारी कामकाज ठप पड़ गए और मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्री, विधायक और भाजपा संगठन चुनाव की तैयारियों में जुट गया. अब लोकसभा चुनाव निपट गए हैं. चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आए हैं, ऐसे में फिलहाल एसीएस को जिलों में जाकर समीक्षा के निर्देश है. मुख्यमंत्री भी फिलहाल कैबिनेट विस्तार की संभावना से इनकार कर चुके हैं. सूत्रों का कहना है कि संभवतः विधानसभा सत्र से पहले मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपे जा सकते हैं. मंत्री भी बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं. चूंकि प्रदेश में जिलों की संख्या 55 है और मंत्री 30 हैं, इसलिए कुछ मंत्रियों को एक साथ दो-दो जिलों का प्रभार सौंपा जाएगा.

ये भी पढ़ेंः मोदी 3.0 के आगाज से पहले अशोक गहलोत की मांग, बोले- विशेष राज्य के दर्जे पर पहला हक राजस्थान का…

जिम्मेदारी देने से पहले मंत्रियों से भी होगी पसंद पर चर्चा

मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि क किस मंत्री को किस जिले का प्रभार सौंपा यह मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र का मामला है. अमूमन जिलों का प्रभार सौंपने से पहले मुख्यमंत्री मंत्रियों से उनकी पंसद भी पूछते हैं. कई मंत्री अपने गृह जिले के अनुरोध करते हैं, ताकि आने-जाने में आसानी नजदीक के जिले का प्रभार उन्हें सौपे जाने का रहे. दिसंबर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपर मुख्य सचिवों को संभागों का प्रभार सौंपा था. इसका मकसद प्रशासनिक कामकाज में कसावट लाना था. मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों अपर मुख्य सचिवों के साथ बैठक कर उनके प्रभार के संभागों में विकास कार्यों की स्थिति की समीक्षा करते हुए उनके नए एक्सपीरिएंस को लेकर फीडबैक लिया था. उन्होंने कहा था कि सभी अपर मुख्य सचिव अगले महीने जिलों में जाकर विकास कार्यों की समीक्षा करें. वे जिलों में कलेक्टरों से चर्चा कर विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत का जायजा लें.

इन अधिकारियों को मिली है संभाग की कमान

गौरतलब है कि अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान को भोपाल संभाग, विनोद कुमार को जबलपुर, जेएन कंसोटिया को रीवा संभाग, डॉ. राजेश राजौरा को उज्जैन संभाग, एसएन मिश्रा को सागर, मलय श्रीवास्तव को इंदौर संभाग, अजीत केसरी को नर्मदापुरम संभाग, अशोक बर्णवाल को शहडोल, मनु श्रीवास्तव को चंबल संभाग और केसी गुप्ता को ग्वालियर संभाग का प्रभार सौंपा गया है.

प्रभारी मंत्री को होते हैं ये अधिकार

प्रभारी मंत्री को जिले में चल रही योजनाओं की सीधी मॉनीटरिंग और नई योजनाओं की मंजूरी का अधिकार रहता है. जिला स्तर पर होने वाले प्रत्येक कर्मचारी के तबादले के लिए प्रभारी मंत्री अनुशंसा करते हैं. प्रभारी मंत्री द्वारा समय- समय पर जिला योजना समिति की समीक्षा बैठक की जाती है.

ज़रूर पढ़ें