MP News: यूनियन कार्बाइड कचरे को जलाने के लिए 3 चरणों में होगा ट्रायल, हाई कोर्ट ने दी मंजूरी
MP हाई कोर्ट
MP News: भोपाल गैस त्रासदी के यूनियन कार्बाइड कचरा विनिष्टिकरण के मामले में हाई कोर्ट ने ट्रायल रन की अनुमति को मंजूरी दे दी है. मंगलवार को कोर्ट में ट्रायल रन की अनुमति की मांग पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई के बाद MP हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने तीनों चरणों में ट्रायल रन की अनुमति मंजूरी दे दी है.
हाई कोर्ट ने दी 3 चरणों में ट्रायल रन को मंजूरी
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन ने पीथमपुर में 337 टन यूनियन कार्बाइड कचरे के विनिष्टिकरण के मामले पर सुनवाई की. राज्य सरकार ने पीथमपुर में कार्बाइड कचरे को जलाने के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा था, जो आज खत्म हो गया. इस मामले में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यूनियन कार्बाइड कचरे के विनिष्टीकरण के लिए अपनी कम्प्लाइंस रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट पेश होने के बाद कोर्ट ने कचरे को डिस्पोज करने की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी करने की मंजूरी दी है.
पहले होगा 3 ट्रायल रन
हाई कोर्ट ने 30 मैट्रिक टन कचरे के विनष्टीकरण के लिए पहले तीन चरणों में ट्रायल रन की बात कही है. इसके बाद पहले चरण में 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा. दूसरे चरण में 180 किलो प्रति घंटा और तीसरे चरण में 270 किलो प्रति घंटा कचरा नष्ट किया जाएगा. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 27 फरवरी को पहला चरण और 4 मार्च को दूसरे चरण का कचरा डिस्पोज करने की तारीख दी है.
जन जागरूकता अभियान
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरा डिस्पोज को लेकर लोगों के बीच फैली गलत जानकारियों को दूर करने के लिए राज्य सरकार जन जागरूकता अभियान शुरू करेगी. इसी अभियान के तहत 30 मैट्रिक टन कचरे के विनिष्टीकरण के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे.
27 मार्च को पेश करनी होगी रिपोर्ट
राज्य सरकार को तीनों चरणों के ट्रायल रन की रिपोर्ट 27 मार्च को हाई कोर्ट के सामने पेश करना होगा. पहले तीनों चरणों की रिपोर्ट को सेंटर पॉल्यूशन बोर्ड के सामने रखा जाएगा. इसके बाद कोर्ट में पेश किया जाएगा.
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बता दें कि जहरीली यूनियन कार्बाइड वेस्ट को जलाने के लिए पीथमपुर में जगह निर्धारित की गई थी, लेकिन कचरे के विनिष्टीकरण के दौरान जन आक्रोश को देखते हुए इसे रोक दिया गया था. 6 जनवरी को राज्य सरकार ने कचरे के निपटान के लिए 6 हफ्तों का समय मांगा था, लेकिन अब तक सीलबंद कंटेनर खाली नहीं किए गए हैं.