Gwalior में है देश का इकलौता यमराज का मंदिर, जहां दिवाली से पहले होती है पूजा, 275 साल पहले सिंधिया राजवंश ने किया था स्थापित

Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में देश का इकलौता यमराज मंदिर है, जिसे 275 साल पहले सिंधिया राजवंश द्वारा स्थापित किया गया था. हर साल दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के मौके पर खास पूजा की जाती है.
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ग्वालियर में यमराज का मंदिर

Gwalior Yamraj Temple: यमराज का नाम सुनते ही हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. यमराज यानी लोगों के प्राण हरण कर ले जाने वाले भगवान के दूत. लेकिन आपको सुनकर और जानकर आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में यमराज का मंदिर है. दीपोत्सव शुरू होने से पहले यानी दीवाली से ठीक एक दिन पहले इस मंदिर मे यमराज की विशेष पूजा और उनका अभिषेक होता है. नरक चतुर्दशी के मौके पर यमराज की पूजा कर उन्हें खुश करने के लिए न केवल ग्वालियर-चंबल अंचल बल्कि देश भर से लोग पहुंचते हैं. यह देश का एकमात्र यमराज का मंदिर है, जो लगभग पौने तीन सौ यानी 275 साल से भी ज्यादा पुराना है.

सिंधिया वंश ने कराई थी मंदिर की स्थापना

ग्वालियर शहर के बीचों बीच फूल बाग इलाके में स्थित मारकंडेश्वर मंदिर में यमराज मंदिर स्थित है. यमराज की यह प्रतिमा बताती है कि यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 275 साल पहले की थी. तब से निरंतर यहां पूजा-अर्चना होती है. इसका तांत्रिक महत्व होने के चलते यहां देश भर से लोग यहां पहुंचते है और यमराज की स्तुति पूजा करते है.

नरक चतुर्दशी पर होती है खास पूजा

मार्कण्डेश्वर मंदिर के पूजारी पंडित मनोज भार्गव बताते हैं कि यमराज के रूप की चतुर्दशी को नरक चौदस भी कहा जाता है. इस रोज यमराज की पूजा-अर्चना करने का खास महत्व है. इसको लेकर पौराणिक कथा है कि यमराज ने जब भगवान शिव की तपस्या की थी. तब उससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर जो भी तुम्हारी पूजा-अर्चना और अभिषेक करेगा उसे सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होंगी. साथ ही बाद में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी. तभी से नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

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चांदी के चौमुखी दीपक से आरती

मंदिर के पुजारी पंडित भार्गव का कहना है कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा-अर्चना भी खास तरीके और नेवैद्य से की जाती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर घी, तेल,पंचामृत ,इत्र ,फूल माला,दूध, दही शहद आदि से अनेक बार अभिषेक किया जाता है. उसके बाद स्तुति गान और पूजा करने के बाद दीप दान किया जाता है. इनका दीपक भी खास रहता है. चांदी के चौमुखी दीपक से यमराज की आरती उतारी जाती हे.

देश भर से आते हैं श्रद्धालु

यमराज की पूजा करने के लिए देश भर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं और यमराज को रिझाने की कोशिश करते हैं. इस बार भी पहले से ही भक्तों का यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. भक्तों का कहना है कि वे हर साल यहां पूजा करने पहुंचते है और उनकी मनोकामना पूरी होती है. यमराज का ये मंदिर देश में अकेला होने के कारण पूरे देश की श्रृद्धा का केंद्र है और इस साल भी यहां नरक चौदस पर देश भर से श्रृद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचे हैं.

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