एकै साधे सब सधै…क्या मिडिल क्लास को टैक्स राहत देकर मोदी सरकार ने फेरा केजरीवाल के मंसूबों पर पानी? BJP के इस ‘मास्टरस्ट्रोक’ का तोड़ नहीं!
पीएम मोदी, अरविंद केजरीवाल और निर्मला सीतारमण
Delhi Election 2025: 1 फरवरी 2025 को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया, तो हर किसी की नजरें दो जगह टिकी थीं-दिल्ली और बिहार! यह दो राज्य भारतीय राजनीति के केंद्र में हैं, और आने वाले चुनावों के लिए दोनों ही राज्य बीजेपी के लिए अहम मैदान बन चुके हैं. तो सवाल यह है कि क्या इस बजट से दिल्ली और बिहार के वोटर्स को खुश किया जा सकता है? क्या बीजेपी अपने राजनीतिक लक्ष्यों को इस बजट के जरिए पूरा कर पाएगी? चलिए, आसान भाषा में समझते हैं.
दिल्ली का मिडिल क्लास
दिल्ली का मिडिल क्लास हमेशा से पावरफुल रहा है. सरकारी कर्मचारी, निजी क्षेत्र के कामकाजी लोग, छोटे व्यापारी, और वे सभी लोग जो आराम से अपना जीवन जी रहे हैं, उनके लिए इस बार बजट में कुछ खास टैक्स राहत दी गई है. अब, आप सोच रहे होंगे, “क्या खास है इसमें?” खैर, दिल्ली का मिडिल क्लास अपनी मेहनत से खूब कमाता है, लेकिन टैक्स की चपत भी कम नहीं. इस बार, टैक्स स्लैब्स में बदलाव और छूट के जरिए बीजेपी ने इस वर्ग को अपना संदेश दिया है – हम तुम्हारे साथ हैं!
यह टैक्स राहत कहीं न कहीं बीजेपी का दिल्ली के मिडिल क्लास को लुभाने का मास्टरस्ट्रोक है, क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पकड़ मजबूत हो रही है. बीजेपी का ये कदम यह साबित करने की कोशिश है कि वह सिर्फ बड़े-बड़े वादे नहीं करती, बल्कि लोगों की जेब भी समझती है. मिडिल क्लास को यह राहत कितनी असरदार होगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस बजट ने साफ दिखा दिया कि बीजेपी का ध्यान अब दिल्ली के मिडल क्लास वोटर्स पर है.
मिडल क्लास की परेशानियां
कई सालों से मिडिल क्लास लगातार समस्याओं का सामना कर रहा था, लेकिन कोविड-19 के दौरान इस वर्ग ने हालात को काबू में करने में सरकार का सहयोग किया. जैसे ही स्थिति सामान्य हुई, मिडिल क्लास ने अपनी परेशानियों और मांगों को फिर से उठाना शुरू किया. चुनावी मौसम में फ्रीबीज़ की घोषणाओं ने इस वर्ग को यह अहसास दिलाया कि उनकी आवाज़ अब राजनीति में कहीं दब गई है और उनके हितों की बात करने वाला कोई नहीं बचा. सरकार को यह समझ में आ गया है कि मिडिल क्लास की नाराजगी और उसकी मांगों को नजरअंदाज करना अब आसान नहीं होगा. भले ही मिडिल क्लास की संख्या देश की कुल आबादी में सबसे बड़ी न हो, लेकिन इसकी राजनीतिक ताकत और निर्णय प्रभावित करने की क्षमता बेहद मजबूत है, खासकर उन लोकसभा सीटों पर जहां मिडिल क्लास के वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
क्या अरविंद केजरीवाल के मंसूबों पर पानी फिरेगा?
जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2025 पेश कर रही थीं, उसी वक्त आम आदमी पार्टी के ट्विटर हैंडल से अरविंद केजरीवाल मिडिल क्लास के लिए अपनी सात अहम मांगें उठा रहे थे. इनमें आयकर स्लैब बढ़ाकर 10 लाख करने की मांग प्रमुख थी, लेकिन सरकार ने इनकम टैक्स की सीमा को सीधे 12 लाख रुपये तक बढ़ा दिया. इस फैसले ने केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं, क्योंकि वह जिस मुद्दे पर लगातार केंद्र सरकार से सवाल उठाते आ रहे थे, वही मुद्दा अब उनकी उम्मीदों से कहीं अधिक सरकार ने पूरी कर दिया. अब यह देखना होगा कि इस फैसले से दिल्ली की राजनीति में केजरीवाल की योजना पर कितना असर पड़ता है.
क्या दिल्ली की नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल को मुश्किल होगी?
नई दिल्ली सीट पर 2020 में 1.46 लाख मतदाता थे, जो अब बढ़कर 1.90 लाख के आसपास पहुंच चुके हैं. यहां की ज्यादातर आबादी मिडिल क्लास है, और सरकारी कर्मचारी बड़ी तादाद में रहते हैं. केंद्र सरकार ने पहले ही कर्मचारियों को लुभाने के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया है. इस बीच, अरविंद केजरीवाल ने मिडिल क्लास के लिए अपनी सात डिमांड रखी थीं, लेकिन अब जब सरकार ने टैक्स स्लैब बढ़ाकर उनकी मांग पूरी कर दी, तो उन्हें विरोध करने में कठिनाई हो सकती है. चुनावी आचार संहिता के तहत केजरीवाल इस फैसले का विरोध नहीं कर सकते, खासकर जब यह सरकारी कर्मचारियों के हितों से जुड़ा हो.
दिल्ली में 67 प्रतिशत मिडिल क्लास
पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में 67 प्रतिशत लोग मिडिल क्लास के हैं. यह रिपोर्ट 2022 में जारी किया गया था. पीपुल रिसर्च के मुताबिक पूरे देश में दिल्ली में ही सबसे ज्यादा मिडिल क्लास के लोग रहते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में जो मिडिल क्लास हैं, उनकी सालाना आय 5 लाख से 30 लाख के बीच है. 2015 में सीएसडीएस और लोकनीति ने एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें 71 प्रतिशत लोगों ने खुद को मिडिल क्लास का बताया था.
इस सर्वे में 27.8 प्रतिशत लोगों ने खुद को उच्च और 43.8 प्रतिशत लोगों ने निम्न-मध्यम वर्ग करार दिया था. सीएसडीएस के एक अन्य आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में 73 प्रतिशत लोग प्राइवेट नौकरी करते हैं. अब बात बिहार की भी कर लेते हैं.
केंद्रीय मदद से बिहार का विकास
बिहार, जो एक समय तक राजनीतिक संघर्ष और विकास की कमी से जूझता रहा, अब थोड़ा बेहतर स्थिति में है. लेकिन बीजेपी जानती है कि यहां का वोट बैंक हर बार बदल सकता है. इसलिए बिहार के लिए इस बजट में कुछ बहुत अहम घोषणाएं की गई हैं. और ये सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और पहचान को भी सलाम है.
निर्मला सीतारमण ने बिहार के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना, आईआईटी पटना का विस्तार, और बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने जैसी योजनाओं का ऐलान किया. इन घोषणाओं का सीधा संदेश है – “हम बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं!” बिहार के लोग हमेशा से अपने पारंपरिक उत्पादों और सांस्कृतिक धरोहरों से जुड़ाव रखते हैं, और बीजेपी ने इन्हें अपने बजट में जगह दी.
इसके अलावा, बिहार के पश्चिमी कोसी नहर के लिए भी सपोर्ट का ऐलान किया गया, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है. और तो और, वित्त मंत्री ने बजट पेश करते वक्त बिहार की मधुबनी पेंटिंग से प्रेरित साड़ी पहनी, जो एक प्रतीकात्मक संदेश था कि बीजेपी बिहार के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा दिखा रही है.
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क्या इन कदमों से बीजेपी को होगा चुनावी फायदा?
अच्छा, अब बात करते हैं सबसे बड़े सवाल की. क्या इन घोषणाओं से बीजेपी को वोटों में बढ़त मिलेगी? खैर, बीजेपी की यह रणनीति बेहद सटीक नजर आती है. दिल्ली में मिडल क्लास को खुश करने का तरीका और बिहार में विकास की दिशा में किए गए प्रयास, दोनों ही राज्यों के चुनावी खेल को प्रभावित कर सकते हैं.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने जो पकड़ बनाई है, बीजेपी अब उसे चुनौती देने के लिए मिडल क्लास को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है. टैक्स राहत, ज्यादा disposable income, और बेहतर जीवनशैली के वादे, ये सभी ऐसे तत्व हैं जो दिल्ली के मध्यम वर्ग को प्रभावित कर सकते हैं. वहीं, बिहार में बीजेपी ने अपने पुराने गठबंधन साझेदार नीतीश कुमार के साथ मिलकर बिहार के विकास को आगे बढ़ाने का स्पष्ट संदेश दिया है.
यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हर बजट का एक राजनीतिक संदर्भ भी होता है, और यह बजट भी उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. बीजेपी ने इस बजट में केवल आर्थिक आंकड़े और योजनाएं ही नहीं, बल्कि राज्य के वोटर्स के लिए अपने राजनीतिक इरादे भी साफ किए हैं.
क्या दिल्ली और बिहार के वोटर्स की उम्मीदें पूरी होंगी?
यह सवाल महत्वपूर्ण है. दिल्ली और बिहार दोनों ही राज्यों में चुनावों के लिहाज से यह बजट बेहद अहम साबित हो सकता है. दिल्ली का मिडल क्लास और बिहार के ग्रामीण, दोनों के लिए इस बजट में कुछ न कुछ खास बातें हैं. मिडल क्लास को टैक्स राहत देकर बीजेपी ने एक सटीक दांव खेला है, वहीं बिहार के लिए केंद्रीय विकास योजनाएं और सांस्कृतिक सौगातें बीजेपी को वहां के वोटर्स के करीब लाने में मदद कर सकती हैं.
बजट 2025-26 को लेकर जो प्रमुख बातें सामने आई हैं, उनमें दिल्ली और बिहार के लिए कई अहम घोषणाएं थीं, जो सीधे तौर पर बीजेपी के राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं. मिडल क्लास को राहत देने के लिए टैक्स में बदलाव और बिहार के विकास को लेकर घोषित योजनाएं, दोनों ही राज्यों में बीजेपी की स्थिति को और मजबूत कर सकती हैं. अब यह देखना होगा कि क्या बीजेपी इन घोषणाओं से चुनावी मैदान में वाकई विजय हासिल कर पाएगी या नहीं.