दिल्ली में INDI गठबंधन की हार केजरीवाल के लिए टेंशन की बात क्यों?

शराब घोटाला मामला का गिरफ्तार होना लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ है. दिल्ली-पंजाब में तो आम आदमी पार्टी को एक बड़ी ताकत के रूप में देखा जा रहा था, उनके पास सबसे बड़ा चेहरा अरविंद केजरीवाल थे.
Arvind Kejriwal

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल

Exit Poll 2024: भारतीय जनता पार्टी का लक्ष्य दिल्ली में अपनी 2019 की सफलता को दोहराना है. वहीं विपक्ष का बीजेपी को सफलता से रोकने का. पिछले कुछ महीनों से राजधानी भाजपा और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के बीच प्रमुख राजनीतिक तूफान के केंद्र में रही है. दिल्ली पर शासन करने वाली AAP को भरोसा है कि वह लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी. लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे ने सीएम केजरीवाल और उनकी पार्टी सहित कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं है.

शुरुआती अनुमानों के अनुसार, इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया और न्यूज़18 एग्जिट पोल का अनुमान है कि दिल्ली में भाजपा पांच से छह सीटें जीत सकती है, जबकि कांग्रेस-आप गठबंधन को संभावित रूप से एक या दो सीटें मिल सकती हैं. दिल्ली में मुख्य मुकाबले में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की बांसुरी स्वराज और आप के सोमनाथ भारती के बीच मुकाबला है, जबकि उत्तरी दिल्ली में भाजपा के मनोज तिवारी और कांग्रेस के कन्हैया कुमार के बीच मुकाबला है. तिवारी मौजूदा लोकसभा चुनावों में बरकरार रहने वाले एकमात्र मौजूदा भाजपा सांसद हैं, जबकि बाकी छह सीटों पर इस बार नए चेहरे हैं.

दिल्ली के साथ-साथ पंजाब में भी फेल!

शराब घोटाला मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल का गिरफ्तार होना लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ है. दिल्ली-पंजाब में तो आम आदमी पार्टी को एक बड़ी ताकत के रूप में देखा जा रहा था, उनके पास सबसे बड़ा चेहरा अरविंद केजरीवाल ही थे. लेकिन उसी चेहरे को भ्रष्टाचार के आरोप में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. उस एक गिरफ्तारी ने आम आदमी पार्टी के आने वाले सियासी भविष्य को अंधेरे में ला दिया है. केजरीवाल को 21 दिनों के लिए कोर्ट ने राहत दी थी. इस दौरान केजरीवाल ने दिल्ली से लेकर पंजाब तक में खूब रैलियां कीं, लेकिन आम चुनाव के लिहाज से किसी भी नेता के लिए 21 दिन बहुत ज्यादा नहीं होता है.

केजरीवाल का जेल मॉडल भी धड़ाम!

आम आदमी पार्टी के लिए ये ज्यादा बड़ी चिंता इसलिए भी है क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने दूसरे विपक्षी नेताओं की तरह इस्तीफा देने का फैसला नहीं किया है. हर बार एक अलग तरह के मॉडल को हवा देने का काम करने वाले केजरीवाल अब जेल मॉडल को भी प्रचलित करने का काम कर रहे हैं. उनकी तरफ से कहा जा रहा है कि वे जेल से ही सरकार चलाने वाले हैं. दो आदेश भी जारी किए जा चुके हैं, ये अलग बात है कि उनको लेकर अलग विवाद छिड़ा हुआ है. अब अगर एग्जिट पोल के नतीजे सच साबित हुए तो केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए यह शुभ संकेत नहीं है.

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लालू का दांव भी अपना नहीं पाए दिल्ली के सीएम

वैसे अगर राजनीति के बड़े गिरफ्तारी कांड को याद किया जाए तो सबसे बड़ा सियासी दांव लालू प्रसाद यादव ने चलने का काम किया था. 1998 में चारा घोटाले में उनकी गिरफ्तारी हुई, सभी को लगा कि उनका उत्तराधिकारी उनकी पार्टी का ही कोई करीबी होगा, कई नेताओं ने सीएम बनने के सपने भी सजा लिए थे. लेकिन तब लालू ने बड़ा खेल करते हुए अपनी ही पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना दिया. सरकार पूरे पांच साल तक चली, सत्ता से दूर रहकर भी लालू बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे.

लेकिन केजरीवाल के मामले में अभी तक ऐसा नहीं हुआ. आम आदमी पार्टी ने सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सहानुभूति की राजनीति करने की कोशिश की लेकिन ऐसा करने में वो नाकामयाब होती दिख रही है. केजरीवाल ने पंजाब में भी अकेले लड़ने का ऐलान किया था. वहां के नतीजे भी अलग दिखाई दे रहे हैं. वैसे भी एक कहावत है. जिस पार्टी ने दिल्ली की 7 सीटों पर बाजी मार ली, मानों केंद्र की सत्ता उसी की. लेकिन एग्जिट पोल के नतीजों ने केजरीवाल और कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है.

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