Supreme Court: रिज क्षेत्र में पेड़ों के कटान पर SC सख्त, DDA को लगाई ‘सुप्रीम’ फटकार, कहा- बड़े अफसरों को बचाया जा रहा है

Supreme Court: न्यायमूर्ति अभय ओका ने कहा कि यह आपकी ओर से पूरी तरह लापरवाही है. आप एक भी साधारण दस्तावेज नहीं ढूंढ सकते. कुछ भी नहीं किया गया है और अधिकारियों की कोई बैठक नहीं बुलाई गई है.
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सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को कड़ी फटकार लगाई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि DDA ने रिज क्षेत्र में दिल्ली के उपराज्यपाल(LG) विनय कुमार सक्सेना के दौरे के बारे में जानकारी नहीं दे पाई. बता दें कि, यह वही जगह है जहां अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए पेड़ों को काटा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में बड़े नामों को बचाने की कोशिश की जा रही है और छोटे अफसरों पर आरोप लगाए जा रहे हैं.

LG के दौरे से संबंधित रिकॉर्ड न मिलने पर जताई नाराजगी

दरअसल, 24 जून को न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की अवकाशकालीन पीठ ने DDA से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए दिल्ली के रिज वन क्षेत्र में पेड़ों को काटने के निर्देश उपराज्यपाल सक्सेना की ओर से DDA अध्यक्ष के रूप में जारी किए गए थे. इस दौरान, DDA की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पीठ को बताया कि DDA अभी भी LG के 3 फरवरी के दौरे से संबंधित रिकॉर्ड ढूंढने की कोशिश कर रहा है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई. न्यायमूर्ति अभय ओका ने इसी को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को कड़ी फटकार लगाई है.

उपाध्यक्ष के खिलाफ अवमानना ​​का मामला दर्ज किया है- SC

न्यायमूर्ति अभय ओका ने कहा कि यह आपकी ओर से पूरी तरह लापरवाही है. आप एक भी साधारण दस्तावेज नहीं ढूंढ सकते. कुछ भी नहीं किया गया है और अधिकारियों की कोई बैठक नहीं बुलाई गई है. मुझे वास्तव में उम्मीद है कि उपाध्यक्ष इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. जिस तरह से काम किया जा रहा है, उस पर हमें संदेह है. हम देखते हैं कि ईमेल का पहला हिस्सा जिसमें LG से मुलाकात की बात कही गई है. क्या DDA को इस मामले में कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी. बड़े अधिकारियों को बचाना और छोटे अधिकारियों पर आरोप लगाना ही सिर्फ DDA का काम है. उन्होंने आगे कहा कि हमने आपके उपाध्यक्ष के खिलाफ अवमानना ​​का मामला दर्ज किया है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हम उन्हें जेल भेज रहे हैं.

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‘उपाध्यक्ष को आगे आना होगा और हमें साफ-साफ बताना होगा’

न्यायमूर्ति अभय ओका ने कहा कि लेकिन ध्यान रहे, उपाध्यक्ष को आगे आना होगा और हमें साफ-साफ बताना होगा कि पेड़ों को काटने के लिए उन्हें किसने निर्देश दिया था. अगर वह ऐसा करते हैं, तो वह पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी सेवा करेंगे. अगर बड़े अधिकारी ने कुछ किया है, तो उन्हें इसका खुलासा करना होगा. पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें यह एक सुधारात्मक उपाय करना होगा. कोई भी लीपापोती नहीं की जा सकती. न्यायालय ने DDA उपाध्यक्ष को 24 जून को पारित आदेश के निर्देशों का पालन करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया. बता दें कि दिल्ली निवासी बिंदु कपूरिया की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी. उनकी यचिका में आरोप लगाए गए हैं कि अदालत की ओर लेअनुमति न मिलने के बाद भी पेड़ों को काटा गया.

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