एक केस में कई पेंच! दोषी पाए गए सोनिया-राहुल तो चली जाएगी सांसदी, नेशनल हेराल्ड की पूरी ABCD

राहुल और सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं. अगर उनकी सांसदी गई या उन्हें जेल हुई, तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा. पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है, और इसका असर 2029 के लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है.
National Herald Case

राहुल गांधी और सोनिया गांधी

National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई ने सियासी हलचल मचा दी है. पिछले एक दशक से चर्चा में रहे यह मामला अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है. आखिर क्या है यह नेशनल हेराल्ड केस? अगर सोनिया और राहुल दोषी पाए गए, तो क्या उनकी सांसदी जा सकती है? और इस मामले का कांग्रेस और भारतीय राजनीति पर क्या असर हो सकता है? आइए, सबकुछ आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं.

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

नेशनल हेराल्ड एक ऐतिहासिक अखबार है, जिसकी शुरुआत 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी. इसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की कंपनी चलाती थी. AJL दो और अखबार चलाती थी. हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज. इस कंपनी में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने निवेश किया था. समय के साथ अखबार घाटे में चला गया, और 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया. यहां तक सबकुछ ठीक था.

लेकिन साल 2010 में कांग्रेस ने इसे संभालने की जिम्मेदारी उठाई. कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपये खर्च किए. 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नाम की एक कंपनी बनी, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी है. आरोप है कि इस कंपनी ने एजेएल की 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियों को सिर्फ 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया. यह सौदा कथित तौर पर गलत तरीके से किया गया, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोप लगे. दरअसल, आरोप ये है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को AJL के 90 फीसदी शेयर दे दिए गए. यानी बिना यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड को एजेएल का मालिकाना हक भी मिल गया.

2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले को अदालत में उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया और राहुल गांधी ने यंग इंडियन के जरिए एजेएल की संपत्तियों को हड़पने की साजिश रची. इसके बाद 2014 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच शुरू की.

क्या- क्या हुआ?

अप्रैल 2025 में ईडी ने इस मामले में बड़ा कदम उठाया. उसने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में एजेएल की 751 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की. इसके बाद, 9 अप्रैल 2025 को ईडी ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. चार्जशीट में मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, और अगली सुनवाई 25 अप्रैल 2025 यानी आज होनी है.

कांग्रेस ने इसे ‘बदले की राजनीति’ करार दिया है. पार्टी के नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की साजिश है, जिसका मकसद विपक्ष को डराना है. दूसरी ओर बीजेपी का कहना है कि यह भ्रष्टाचार का मामला है और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. अगर दोषी पाए गए राहुल गांधी तो क्या होगा? अगर सोनिया और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में दोषी पाए जाते हैं, तो इसके कई बड़े परिणाम हो सकते हैं.

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सांसदी पर खतरा

भारत के जनप्रतिनिधित्व कानून (Representation of the People Act, 1951) के तहत, अगर किसी सांसद को किसी आपराधिक मामले में दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उनकी सांसदी रद्द हो जाती है. नेशनल हेराल्ड केस में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत सजा होने पर अधिकतम 7 साल की जेल हो सकती है. इसका मतलब है कि अगर राहुल गांधी दोषी पाए गए और उन्हें दो साल से ज्यादा की सजा मिली, तो उनकी सांसदी खतरे में पड़ सकती है. राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी पर भी यही नियम लागू होगा.

कांग्रेस पर असर

राहुल और सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं. अगर उनकी सांसदी गई या उन्हें जेल हुई, तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा. पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है, और इसका असर 2029 के लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह बोफोर्स कांड के बाद गांधी परिवार के लिए सबसे बड़ा संकट हो सकता है.

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है. ईडी पहले ही 751 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. अगर दोष सिद्ध हुआ, तो ये संपत्तियां स्थायी रूप से जब्त हो सकती हैं. अगर सजा दो साल से ज्यादा हुई, तो सजा पूरी होने के बाद भी 6 साल तक राहुल और सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस ने इस मामले को ‘न्याय की लड़ाई’ बताकर जनता के बीच ले जाने की योजना बनाई है. पार्टी का कहना है कि यह मामला बेबुनियाद है, और इसमें कोई पैसों का लेन-देन नहीं हुआ. कांग्रेस का दावा है कि नेशनल हेराल्ड केस में कोई गलत काम नहीं हुआ. पार्टी के मुताबिक, यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका मकसद अखबार को पुनर्जनन देना था. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, “इस मामले में कोई अपराध नहीं है.”

बीजेपी का पक्ष

बीजेपी का कहना है कि नेशनल हेराल्ड केस भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि सोनिया और राहुल गांधी ने जनता की संपत्ति को हड़पने की कोशिश की. पार्टी का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है, और दोषियों को सजा मिलेगी.

अब तक की टाइमलाइन

1938: नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत.
2008: अखबार घाटे के कारण बंद.
2010: यंग इंडियन कंपनी बनी, जिसमें सोनिया और राहुल की हिस्सेदारी.
2012: सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में शिकायत दर्ज की.
2014: ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की.
2015: सोनिया और राहुल को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिली.
2022: ईडी ने दोनों नेताओं से पूछताछ की.
2025: ईडी ने चार्जशीट दाखिल की, आज सुनवाई होगी.

जब ईडी ने चार्जशीट दाखिल की तो कोर्ट ने ईडी से केस डायरी और कुछ लापता दस्तावेज जमा करने को कहा है. अगर कोर्ट चार्जशीट को स्वीकार करता है, तो मामला ट्रायल की ओर बढ़ेगा. इसमें सालों लग सकते हैं, क्योंकि सोनिया और राहुल पहले ही हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में राहत की मांग कर चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. अगर दोष सिद्ध हुआ, तो राहुल और सोनिया को जेल हो सकती है, और यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा.

सियासत का नया तूफान?

नेशनल हेराल्ड केस न सिर्फ कानूनी, बल्कि सियासी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. अगर सोनिया और राहुल गांधी दोषी पाए गए, तो उनकी सांसदी जा सकती है और कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है. दूसरी ओर, अगर वे बरी हुए तो कांग्रेस इसे अपनी जीत के रूप में पेश कर सकती है. फिलहाल, यह मामला भारतीय राजनीति में एक नए तूफान का संकेत दे रहा है.

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