15 साल और NIA की अटूट मेहनत…आतंकी Tahawwur Rana को अमेरिका से भारत लाने की पूरी कहानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की और राणा का मुद्दा उठाया. ट्रंप ने इसके बाद कहा कि राणा को भारत भेजा जाएगा. एनआईए ने एक खास टीम बनाई, जो अमेरिका गई और वहां के अधिकारियों के साथ मिलकर कागजी काम पूरा किया.
Tahawwur Rana

आतंकी Tahawwur Rana (तस्वीर- AI)

26/11 Attack: 26/11 मुंबई आतंकी हमले का एक बड़ा साजिशकर्ता तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को आज अमेरिका से भारत लाया जा रहा है. यह भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और सरकार की कई सालों की मेहनत का नतीजा है. राणा को भारत लाने के लिए क्या-क्या हुआ, कब से शुरू हुई यह कोशिश और अब आगे क्या होगा? आइये सबकुछ विस्तार से जानते हैं.

तहव्वुर राणा का मुंबई हमले से क्या कनेक्शन?

तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो पहले पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर था. उसका नाम 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले से जुड़ा. इस हमले में 10 आतंकियों ने मुंबई के कई इलाकों में गोलीबारी और बम धमाके किए, जिसमें 166 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए. जांच में पता चला कि राणा ने अपने दोस्त डेविड हेडली (दाऊद जिगलानी) की मदद की थी. हेडली ने मुंबई में हमले की जगहों की रेकी की थी और राणा ने उसे वीजा दिलाने में सहायता की थी.

गिरफ्तारी से लेकर भारत की मांग तक

2009 में अमेरिका की जांच एजेंसी एफबीआई ने राणा को पकड़ा. उसे शिकागो में गिरफ्तार किया गया, क्योंकि वह डेनमार्क में एक और हमले की साजिश में भी शामिल था. भारत ने तुरंत कहा कि राणा को हमें सौंपा जाए, क्योंकि वह मुंबई हमले का गुनहगार है. लेकिन अमेरिका में उसका केस चलता रहा. 2011 में अमेरिकी कोर्ट ने उसे डेनमार्क हमले की साजिश में दोषी ठहराया, पर मुंबई हमले के लिए उसे सजा नहीं दी. फिर भी भारत ने हार नहीं मानी.

भारत ने कैसे शुरू की कोशिश?

2019 में भारत सरकार ने अमेरिका से औपचारिक तौर पर कहा कि राणा को हमें सौंप दो. इसके लिए एनआईए ने राणा के खिलाफ सख्त कानूनों के तहत केस दर्ज किया, जैसे कि आतंकवाद रोकने का कानून (UAPA) और भारतीय दंड संहिता की धाराएं. 2020 में भारत ने अमेरिकी कोर्ट में राणा की गिरफ्तारी की मांग की और सबूत दिए कि उसने हेडली को मुंबई भेजा था. भारत ने कहा कि राणा ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की मदद की थी.

यह भी पढ़ें: आज दोपहर तक भारत पहुंचेगा Tahawwur Rana, अमेरिका से रवाना हुई स्पेशल फ्लाइट, शाह-जयशंकर के साथ NSA की मीटिंग

राणा ने क्या-क्या बहाने बनाए?

राणा नहीं चाहता था कि उसे भारत भेजा जाए. उसने अमेरिकी कोर्ट में कई दलीलें दीं. उसने कहा कि भारत में उसे सजा के साथ-साथ टॉर्चर किया जाएगा, क्योंकि वह मुस्लिम है और पाकिस्तानी सेना का पुराना अफसर है. उसने यह भी कहा कि उसे पार्किंसन नाम की बीमारी है, जिससे उसकी हालत खराब हो सकती है. उसकी ये बातें कोर्ट में 2023 तक चलती रहीं. 2024 में उसने अमेरिका के सबसे बड़े कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन 7 अप्रैल 2025 को वहां से भी उसकी हार हुई.

भारत सरकार और एनआईए की मेहनत

इस बीच भारत सरकार और एनआईए ने पूरा जोर लगाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की और राणा का मुद्दा उठाया. ट्रंप ने इसके बाद कहा कि राणा को भारत भेजा जाएगा. एनआईए ने एक खास टीम बनाई, जो अमेरिका गई और वहां के अधिकारियों के साथ मिलकर कागजी काम पूरा किया. 9 अप्रैल 2025 को राणा को अमेरिका में हिरासत में लिया गया.

अब भारत में क्या होगा?

राणा को आज दोपहर तक दिल्ली लाया जाएगा. पहले उसे एनआईए की हिरासत में रखा जाएगा, जहां उससे मुंबई हमले के बारे में सवाल-जवाब होंगे. एनआईए जानना चाहती है कि हमले की साजिश में और कौन-कौन शामिल था और पाकिस्तान का कितना हाथ था. इसके बाद उसका केस दिल्ली की एक खास कोर्ट में चलेगा. उसे तिहाड़ जेल में रखा जाएगा, जहां उसकी सख्त निगरानी होगी. जांच से अगर नए सबूत मिले, तो पाकिस्तान पर और दबाव बन सकता है.

क्यों है यह बड़ी बात?

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह भारत की जीत है. उन्होंने कहा कि हम अपने देश पर हमला करने वालों को छोड़ेंगे नहीं. जो लोग मुंबई हमले में अपनों को खो चुके हैं, उनके लिए यह राहत की खबर है. मुंबई हमले का केस लड़ चुके वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि यह भारत की कानूनी और कूटनीतिक ताकत दिखाता है. राणा को लाना सिर्फ सजा की बात नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत इरादे का सबूत है.

तहव्वुर राणा को भारत लाने में 15 साल से ज्यादा का वक्त लगा. अब सबकी नजर इस बात पर है कि राणा से पूछताछ में क्या निकलता है और मुंबई हमले के पीड़ितों को कितना इंसाफ मिल पाता है.

ज़रूर पढ़ें