महाकुंभ हादसे पर Supreme Court का सुनवाई से इनकार, याचिकाकर्ता को CJI ने इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की दी सलाह
सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court On Maha kumbh Stampede: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी को मची भगदड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की सलाह दी.
दरअसल, महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी की सुबह मौनी अमावस्या के अवसर पर लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर अमृत स्नान के लिए जमा हुए थे. इस दौरान अचानक भगदड़ मच गई, जिससे कई लोग गिरकर दब गए और कई अन्य घायल हो गए. मृतकों की संख्या आधिकारिक तौर पर 30 बताई जा रही है, लेकिन चश्मदीदों के अनुसार यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट का रुख
महाकुंभ भगदड़ पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई सोमवार, 3 फरवरी को हुई. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने इस मामले को गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले में कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया. CJI ने कहा, “यह एक दुखद घटना है, जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है, लेकिन मामले को उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, क्योंकि वहां पहले से ही एक न्यायिक आयोग गठित किया गया है.”
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में यह आरोप लगाया था कि यूपी सरकार ने महाकुंभ में भगदड़ जैसी घटना को रोकने में लापरवाही बरती है. उन्होंने प्रशासन की चूक और विफलता का मुद्दा उठाया और यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक समर्पित ‘भक्त सहायता प्रकोष्ठ’ की आवश्यकता है, जिसे कुंभ के आयोजनों में शामिल किया जाए.
यूपी सरकार ने क्या-क्या कहा?
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि इस घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग पहले ही गठित किया जा चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि इसी प्रकार की याचिका पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की जा चुकी है. अदालत ने इस जानकारी को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता है, और इस मामले पर वहां उचित कार्रवाई की जाएगी.
याचिकाकर्ता की मांग
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में यूपी सरकार से महाकुंभ के दौरान भीड़ प्रबंधन की प्रणाली को बेहतर बनाने की मांग की थी. उनका यह भी कहना था कि प्रशासन ने भगदड़ जैसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए. इसके अलावा, उन्होंने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया जाए कि वह अन्य राज्यों से चिकित्सा सहायता दलों को महाकुंभ में तैनात करे, ताकि भविष्य में किसी भी आपातकालीन स्थिति का तुरंत समाधान किया जा सके.
हादसे के बाद की स्थिति
महाकुंभ में मची भगदड़ के बाद प्रशासन और पुलिस पर कई सवाल उठाए गए. घटना के बाद यूपी सरकार ने इस मामले में एक न्यायिक आयोग गठित किया था, जिसके तहत भगदड़ की घटनाओं की जांच की जा रही है. हालांकि, कई लोग यह मानते हैं कि यदि प्रशासन ने उचित इंतजाम किए होते तो इस तरह की घटना को रोका जा सकता था.